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मध्यप्रदेश बीजेपी के नए नवेले अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल नई तर्ज पर अपनी टीम बनाने की कवायद में जुट गए हैं। वैसे तो खंडेलवाल बीजेपी के अनुशासन और तौर तरीकों में रचे बसे नेता हैं। लेकिन, अपनी टीम बनाने के लिए उन्होंने पार्टी के पारंपरिक तरीके से अलग तरीका चुना है।
कहा जा रहा है कि उनकी टीम ट्रस्टेड बनने से पहले काफी ज्यादा टेस्टेड भी होगी। ऐसी टीम की तलाश में खुद खंडेलवाल प्रदेश के दौरे पर निकल चुके हैं। दिल्ली से जुड़े सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने भी खंडेलवाल को फुल फ्री हैंड दिया है। इसलिए उनके तौर तरीको पर कोई रोक टोक करने वाला भी नहीं है।
प्रदेश के दौरे पर प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल
अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद खंडेलवाल ने दिल्ली का दौरा किया। इस दौरान उनकी आलाकमान से मुलाकात हुई। कहा जा रहा है कि आलाकमान ने उन्हें फ्री हैंड दिया है, लेकिन कुछ शर्तें भी बता दी हैं।
अब उन शर्तों को ध्यान में रखते हुए खंडेलवाल को अपनी नई टीम तैयार करनी है। दिल्ली से लौटने के बाद खंडेलवाल खुद मालावा, विंध्य और महाकौशल के दौरे पर जा चुके हैं। वो खुद कार्यकर्ताओं से वन ऑन वन बातचीत कर रहे हैं।
आसान नहीं है सिलेक्शन प्रोसेस
आमतौर पर संगठन के नेताओं से रायशुमारी के बाद नई टीम का गठन किया जाता है। कार्यकर्ताओं का फीडबैक जरूरत पड़ने पर लिया जाता है, लेकिन हेमंत खंडलेवाल पहले कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं। उनका फीडबैक जानने के बाद ही हर जिले की कार्यकारिणी तैयार होगी। पर, ये प्रोसेस भी बहुत आसान होने वाली नहीं है क्योंकि हेमंत खंडेलवाल ने इसे अलग-अलग लेवल्स में बांट दिया है।
टीवी के रियलिटी शोज की तर्ज पर अब पार्टी में पद हासिल करने वालों का सिलेक्शन प्रोसेस भी अलग-अलग लेवल पार करने के बाद होगा। जो आखिरी लेवल तक कायम रहेगा वही नेता बीजेपी की नई टीम का हिस्सा बन सकेगा।
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टीम चुनने का तरीका सबसे अलग
ये सिलेक्शन प्रोसेस कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद शुरू होगी। किसी अप्रोच से खंडेलवाल तक पहुंचने वाले या बड़े नेताओं का नाम लेकर उनसे मिलने वाले नेताओं को मौका मिलना मुश्किल है। फिलहाल ये भी साफ कर दिया गया है कि पहले से जमा नेता कितना भी पावरफुल क्यों न हो।
अगर कार्यकर्ता उसे फेल कर देते हैं तो उसका अपने पद पर बने रहना या सिलेक्ट होना मुश्किल होगा। इसलिए कहा जा रहा है कि खंडेलवाल की टीम पहले टेस्ट होगी। टेस्ट में खरा उतरने के बाद ही किसी भी नेता को खंडेलवाल की टीम में मौका मिल सकेगा। इसलिए ही उनके टीम चुनने के तरीके को सबसे अलग माना जा रहा है।
मोर्चा-प्रकोष्ठ में भी बड़े बदलाव की तैयारी
बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि खंडेलवाल की प्लानिंग मोर्चा और प्रकोष्ठ पर भी बड़े बदलाव करने की है। कोशिश ये होगी कि हर नेता के पास एक ही जिम्मेदारी हो। असल में वीडी शर्मा के कार्यकाल में सात मोर्चे और संगठन थे जिसमें से तीन की कमान सांसद संभाल रहे थे। एक मोर्चा प्रमुख सरकार में मंत्री भी थे। इस वजह से बहुत से काम प्रभावित हुए।
मसलन माया नरोलिया महिला मोर्चा की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। सांसद रहते हुए वो मोर्चे के ज्यादा कार्यक्रम नहीं कर सकीं। पिछड़ा वर्ग मोर्चा की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री नारायण कुशवाह भी मोर्चा को पूरा समय नहीं दे सके। यही हाल किसान मोर्चे का भी रहा। सांसद बनने के बाद दर्शन सिंह इस पद पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए।
नए चेहरों को मिल सकता है मौका
वीडी शर्मा की टीम में 7 सांसद और 5 विधायक ऐसे थे जो दोहरी जिम्मेदारियां संभाल रहे थे। अंदर की खबर ये है कि खंडेलवाल सबसे पहले इन तेरह लोगों को ही पद से हटा सकते हैं और नए चेहरों को मौका दे सकते हैं।
मैसेज साफ है। टीम खंडेलवाल में ऐसे नेताओं की कोई जगह नहीं होगी जो पार्ट टाइम संगठन का काम देखें। वो उन नेताओं को ये जिम्मेदारी सौंपेंगे जो फुल टाइम अपने मोर्चे या संगठन को संभाल सकें।
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ये चुनाव होंगे लिटमस टेस्ट
वैसे तो प्रदेश में सिर पर कोई चुनाव नहीं है, लेकिन ढाई से तीन साल के भीतर विधानसभा चुनाव होना ही है। बीजेपी बिलकुल ये नहीं चाहेगी कि उस चुनाव में उसका परफोर्मेंस कमजोर पड़े या खराब हो।
उन चुनावों से पहले पंचायत और निकाय चुनाव होंगे जो असल में खंडेलवाल का लिटमस टेस्ट भी होंगे। पर, खंडेलवाल हर टेस्ट में पास हो सकें। उसके लिए उनकी टीम का मजबूत होना भी जरूरी है इसलिए ही उन्हें फ्री हैंड भी दिया गया है कि वो बिना किसी प्रेशर के मजबूत संगठन तैयार कर लें।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक के लेखक हरीश दिवेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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