NEWS STRIKE : मानसून सत्र के बाद मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार, इन चेहरों को मिलेगी जगह?

मध्यप्रदेश में सीएम मोहन यादव के मंत्रिमंडल का विस्तार मानसून सत्र के बाद होने की उम्मीद है। नए अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। मंत्रियों की छुट्टी और विभागों में फेरबदल के साथ नए चेहरों की जगह बन सकती है। 

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Harish Divekar
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Photograph: (THESOOTR)

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नए अध्यक्ष के आते ही बीजेपी में अब बड़े बदलाव होंगे। सीएम मोहन यादव का कैबिनेट भी इससे बच नहीं सकेगा। बहुत जल्द मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगना शुरू हो गई हैं। खास बात ये है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी होने का भी अंदेशा है तो कुछ का दम कम होगा। फिलहाल मानसून सत्र सिर पर है।

इसके ठीक बाद सीएम और पार्टी के नए नवेले अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल इस जरूरी काम में जुट जाएंगे। आपको ये पता ही होगा कि बहुत से सीनियर विधायक मंत्री इन वेटिंग की कतार में है। क्या ये मंत्रिमंडल विस्तार उनके दिन बदल सकेगा। 

नया अध्यक्ष जनता के भरोसे पर उतरेंगे खरा

बीजेपी बहुत शिद्दत से नए कलेवर में आने के इंतजार में थी। जिसका अब चेहरा बने हैं हेमंत खंडेलवाल। नया अध्यक्ष मिलने के बाद बीजेपी में कई पेंडिंग काम निपटाने की प्रक्रिया तेज होगी।

मोहन और हेमंत मिलकर अब ऐसी टीम तैयार करेंगे जिनके साथ वो आने वाली सियासी जंग जीत सकें और जनता के भरोसे पर खरा उतरे। इसे उपलब्धि भी माना जा सकता है और बड़ा चैलेंज जिसका पहला कदम दोनों मिलकर विधानसभा के बाद उठा सकते हैं।

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हेमंत खंडेलवाल की नई टीम मानसून सत्र के बाद 

मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होगा और 8 अगस्त तक जारी रहेगा। इस मानसून सत्र में सरकार विधेयक लाने के साथ-साथ अनुपूरक बजट भी पेश करेगी। इस पूरे सत्र में दस बैठकें होना तय है।

इससे पहले सीएम मोहन यादव 13 से 18 जुलाई तक विदेश यात्रा पर रहेंगे। वहां से आकर मानसून सत्र में बिजी रहेंगे। इन सबसे निपटते ही वो हेमंत खंडेलवाल के साथ अपनी नई टीम फाइनल कर सकते हैं और संगठन की नई टीम पर भी चर्चा करेंगे ही। 

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नए मुखिया का असंतुष्टों के साथ तालमेल बड़ी चुनौती

फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती उन दोनों के सामने है गुटबाजी की और प्रदेश में दिग्गज नेताओं से निपटने की। इनमें से कुछ नाराज या असंतुष्ट हैं तो कुछ नए मुखिया के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। इस चुनौती से दोनों को ही पार पाना होगा। क्योंकि दोनों ही नेता नए हैं, जबकि सत्ता संगठन में शामिल कुछ लोग बेहद पुराने हैं। 

वैसे भी नई बीजेपी अब कबीलों में बंटी बीजेपी है। जिसे एक करना दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। इसकी शुरुआत खुद खंडेलवाल ने गौरीशंकर शेजवार से मुलाकात के साथ की। वो खुद तो पार्टी के पुराने महारथी गौरी शंकर शेजवार से मिलने गए ही अपने साथ सीएम मोहन यादव को भी लेकर गए। 

याद दिला दें कि शेजवार दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं और फिलहाल पार्टी में हाशिए पर है। उनसे मुलाकात के जरिए कुछ खास संदेश देने की कोशिश तो की ही गई है। जिसके गुढ़ अर्थ धीरे-धीरे निकलकर सामने आएंगे।

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कैबिनेट विस्तार में क्या इन नेताओं को मिलेगी जगह

फिलहाल ये मैसेज साफ दिख रहा है कि खंडेलवाल शायद पुराने नेताओं को साधने की और साथ मिलकर चलने की पूरी कोशिश करें। तो क्या इसका असर मोहन कैबिनेट पर भी दिखाई देगा। साल 2023 में सरकार बनने के बाद जो कैबिनेट बनी। उससे शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहे कई दिग्गज नेता या करीबियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब जो कैबिनेट विस्तार होगा क्या उसमें उन नेताओं को भी जगह मिल सकेगी।

अर्चना चिटनीस, बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, रमेश मेंदोला, शैलेंद्र जैन, प्रदीप पटेल, ललिता यादव, महेंद्र हार्डिया, कुंवर सिंह टेकाम, शरद कोल, हरि सिंह साप्रे, सुदेश राय, सुरेंद्र पटवा का भी नाम मंत्रिमंडल की रेस में था, लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया है।

भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, रीति पाठक, गिरीश गौतम, संजय पाठक, दिव्यराज सिंह, विक्रम सिंह, रामेश्वर शर्मा, मालिनी गौड़ को भी शायद अपनी बारी का इंतजार होगा ही। ये सब वो नाम हैं जो शिवराज सरकार के कार्यकाल में अलग अलग पदों पर रहे। 

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खंडेलवाल के आने के बाद इन नामों पर होगा गौर

ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी प्रभु राम चौधरी को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। इन नामों में गोपाल भार्गव नौ बार के विधायक हैं। भूपेंद्र सिंह एक बार के सांसद और पांच बार के विधायक हैं। ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पांच बार विधायक बन चुके हैं।

हरिशंकर खटीक अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे और चार बार के विधायक भी हैं। ऐसे एक नहीं कई नाम हैं जो शिवराज सरकार के दौरान अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें मौका नहीं मिला है। क्या अब हेमंत खंडेलवाल के आने के बाद इन नामों पर गौर किया जाएगा। 

कौन होंगे नए चेहरे, कौन बनेगा ज्यादा दमदार...?

एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि कैबिनेट की कमजोर कड़ियों को छांटकर उन्हें हटा दिया जाएगा। कुछ मंत्रियों के विभाग कम किए जा सकते हैं। उनकी जगह नए चेहरे कौन होंगे या किसे ज्यादा दमदार बनाया जाएगा। ये भी देखने वाली बात होगी।

खुद हेमंत खंडेलवाल भी जिलों में नई टीम बनाएंगे। मंत्रिमंडल की तरह क्या वो संगठन की टीम से भी शिवराज सिंह चौहान के करीबियो को दूर रखेंगे और यही फॉर्मूला वीडी शर्मा के करीबियों के लिए भी अपनाएंगे या उनका पैटर्न कुछ और होगा।

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