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Photograph: (the sootr)
वो लड़ रहे हैं। वो बस लड़ते ही जा रहे हैं। वो बुंदेखंड में भी लड़ रहे हैं। वो चंबल में भी लड़ रहे हैं। वो मालवा में भी लड़ रहे हैं। विंध्य में भी आपस में टकराव की स्थिति है। लड़ रहे हैं बस लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में अब तक एक उसूल था। लड़ो मगर किसी को पता न चले, लेकिन अब वो सब भूल गए हैं। खुलकर लड़ने लगे हैं। क्या आप समझे यहां किस बारे में बात हो रही है। यहां बात हो रही है बीजेपी के नेताओं की। प्रदेश में ऐसा कोई संभाग नहीं जहां बीजेपी के नेताओं में मनमुटाव न हो रहा है। चंद रोज पहले ही प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कुछ नेताओं को वॉर्न किया। वो चुप हुए तो कुछ और नेताओं के बीच की कलह खुल कर सतह पर आ गई है।
प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कुछ ही दिन पहले अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को भोपाल तलब किया था। इसमें दो विधायक थे। दो महापौर थीं और एक पूर्व जिलाध्यक्ष थे। उनके समन के बाद कुछ नेता भोपाल आए और कुछ ने न आ पाने का रीजन बता दिया जिसके बाद इन सभी नेताओं को भरी सभाओं में उलल जुलूल बयान न देने की हिदायत दी गई। साथ ही ये भी ताकीद किया गया कि किसी भी कीमत पर आपसी कलह खुलकर सामने नहीं आनी चाहिए। किन-किन नेताओं को ये सलाह दी गई और क्यों दी गई। इस पर हमने न्यूज स्ट्राइक के एक आर्टिकल में पूरी जानकारी दी है, जिसे आप यहां पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। वीडी शर्मा की समझाइश के बाद उन सभी नेताओं के सुर बदल गए। लेकिन, संगठन चैन की सांस ले पाता उससे पहले फिर गुटबाजी की खबर सामने आ गई।
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बड़बोलेपन पर लगाम की कोशिश
वीडी शर्मा ने जैसे तैसे कुछ नेताओं के बड़बोलेपन और मनमानी को रोकने की कोशिश की। मंशा ये भी थी कि पार्टी में भीतर ही भीतर जो कलह मच रही है, वो ज्यादा उफान पकड़े और उबाल के साथ चारों तरफ बिखर जाए। उससे पहले ही लौ को मद्धा यानी कि धीमा कर दिया जाए। ताकि उबाल अंदर ही अंदर चाहें जितना भी हो पर बाहर किसी को नजर न आए। पर उबाल तो उबाल है। उसे एक जगह रोका तो वो कहीं और से ऊपर आ गया है। नए-नए मामले क्या हैं। चलिए आपको तफ्सील से बताते हैं। ये मामले सागर और देवास से ही जुड़े हैं।
सागर और देवास से जुड़ा है मामला
इन दोनों जगह पर एमआईसी यानी मेयर इन काउंसिल बीजेपी के सिरदर्द की वजह बन गई है। किसी भी नगर निगम में मेयर और कुछ खास जिम्मेदारी संभाल रहे पार्षदों के समूह को मेयर इन काउंसिल कहते हैं, जो अपनी नगर निगम के क्षेत्र से जुड़े खास फैसले लेते हैं। इसे आप नगर निगम की मेयर केबिनेट कह सकते हैं। जाहिर तौर पर सारी जिम्मेदारी इस काउंसिल की है तो शहर में दबदबा दिखाने का ये एक जरिया बनेगी ही और इसलिए ही इस काउंसिल के बहाने क्षेत्रीय राजनीति जोर पकड़ रही है और क्षत्रीय गुटबाजी खुलकर सामने आ रही है।
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पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री में रस्साकशी
सागर में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और देवास में विधायक गायत्री राजे इस राजनीति के निशाने पर हैं। सागर के बारे में हम आपको पहले भी बता चुके हैं। पहले इस जिले से तीन तीन विधायक मंत्री थे। इस बार सिर्फ एक विधायक मंत्री है बाकी दो साइडलाइन हैं। उन्हीं तीन के बीच राजनीति मेयर इन काउंसिल में गुटबाजी का कारण बन रही है। मौजूदा मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच क्षेत्रीय विधायक बंटे हुए हैं। सागर की महापौर संगीता तिवारी और उनके पति सुशील तिवारी दोनों भूपेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। दूसरी टीम बन गई है मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, विधायक शैलेंद्र जैन और जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी की। सागर की महापौर ने आशारानी नंदन जैन को विद्युत एवं पात्रिकी विभाग के प्रभारी पद से हटा कर ये पद शैलेंद्र ठाकुर को सौंप दिया जिसके बाद से दो गुटों के बीच विवाद गहरा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि आशारानी विधायक शैलेंद्र जैन की समर्थक बताई जाती हैं। इसके बाद संगीता तिवारी को भोपाल तलब किया गया था और ये पूछा गया था कि उन्होंने बिना संगठन की जानकारी के ये बदलाव कैसे किया। संगीता तिवारी तयशुदा दिन पर भोपाल में नहीं आ सकी थीं। उन्होंने बाद में वीडी शर्मा से मुलाकात की। उन्होंने सफाई दी कि वो ये नहीं जानती थीं कि एमआईसी में बदलाव से पहले संगठन को सूचित करना होता है।
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देवास महापौर भी हुईं थी भोपाल तलब
कुछ ऐसा ही मामला है देवास का। देवास महापौर गीता अग्रवाल ने सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी के समर्थक अजय तोमर और राम यादव की जगह विधायक के करीबी अजय परिहार और बाबू यादव को एमआईसी का मेंबर बनाया। इस फेरबदल के बाद देवास की महापौर भी भोपाल तलब की गई थीं। अंदर खानों की खबर ये है कि भोपाल से भी दोनों महापौरों को फेरबदल रिवर्ट करने के निर्देश दिए गए थे। और दिलचस्प बात ये है कि इस समझाइश के बाद भी ये खबर लिखे जाने तक दोनों नगर निगमों से फेरबदल को रिवर्ट करने की कोई सूचना नहीं आई थी।
सवाल बहुत सारे हैं
सिर्फ खबर पढ़कर समझेंगे तो राजनीति की तह तक नहीं जा सकेंगे। कुछ सवालों पर सोच विचार करेंगे तो राजनीति का असल खेल समझना आसान होगा। दो महापौरों ने अपनी काउंसिल में बदलाव किया। इसकी सूचना संगठन को नहीं दी गई। ऐसा किसके इशारे पर हुआ और क्या इसके ये मायने नहीं कि बीजेपी संगठन अपनी कसावट खो रहा है जिसे बताए बगैर महापौरों ने बड़े फैसले ले लिए। और, अब उन्हें स्थिति रिवर्ट करने के लिए कहा गया है जो अब तक नहीं हुई तो ये किसी शह पर नहीं हुआ। और, संगठन ने क्यों उन्हें तलब कर ये कार्रवाई की। किसकी शिकायत पर की और ऐसे क्या हालात बनें कि शिकायत पर एक्शन लेने की नौबत आई। सवाल बहुत सारे हैं।
ये सवाल सिर्फ बुंदेलखंड और मालवा से ही नहीं हैं। विंध्य में भी गुटबाजी दिखती रही है और ग्वालियर चंबल में भी दिग्गज अक्सर आमने सामने आते रहे हैं जिनके बारे में हमने बार-बार आपको न्यूज स्ट्राइक में ही बताया है। उन सबका आंकलन करके ये समझा जा सकता है कि बीजेपी में नेताओं की कोल्ड वॉर अब हॉट होने लगी है। जो कभी कभी भी मुश्किल बन सकती है और संगठन का सिरदर्द बढ़ा सकती है।
न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर | News Strike Harish Divekar