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News Strike Photograph: (THESOOTR)
NEWS STRIKE : पार्टी लाइन से भटक रहे विधायकों को वापस लाइन पर लाने के लिए बीजेपी संगठन क्लास लगा सकता है, लेकिन पार्टी उस नेता का क्या करेगी जो संगठन में मौजूद कई आला नेताओं से सीनियर है। एक ऐसी नेता जो वरिष्ठता के क्रम में सीएम मोहन यादव से भी ऊपर आती हैं और, कभी भी, किसी भी फैसले को लेकर सरकार की नाक में दम कर सकती हैं। हम जिस नेता की बात कर रहे हैं। उससे आप भी खूब वाकिफ हैं। इस नेता के एक ट्वीट ने फिर से सरकारी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। हड़कंप मचना लाजमी भी है क्योंकि नेता का ट्वीट पूरे प्रदेश की लाइफलाइन नर्मदा के जल से जुड़ा हुआ है। इस ट्वीट के साथ ये नेता एक बार फिर सुर्खियों में छा गई हैं, नाम है उमा भारती।
नर्मदा नदी पर क्रूज चलाने के लिए सरकार ने किए बड़े फैसले
मध्यप्रदेश नर्मदा नदी का जल उतनी ही सुर्खियों में रहा है, जितना देश में गंगा जल का मुद्दा गर्माता है या फिर यमुना में होने वाला प्रदूषण हर साल सुर्खियां बटोरता है। नर्मदा नदी प्रदेश के लिए अगर पूजनीय है तो आबादी के एक बड़े हिस्से को जीवन देने वाली भी है। घर-घर पानी पहुंचाने की बात हो तो नर्मदा की याद आती है। सिंहस्थ के लिए शिप्रा को पानी से लबालब करना है तो नर्मदा की याद आती है। धार्मिक काम हो तो नर्मदा और अब टूरिज्म को बढ़ाना हो तो भी नर्मदा को ही याद किया जाता है। वॉटर टूरिज्म के तहत नर्मदा नदी पर क्रूज चलाने के लिए सरकार ने कुछ बड़े फैसले किए हैं। जिसके बाद पूर्व सीएम उमा भारती ने फिर ट्विटर पर सरकार के फैसले की खिलाफत शुरू कर दी है।
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नर्मदा नदी में क्रूजिंग मध्यप्रदेश से लेकर गुजरात तक होगी
उमा भारती का ट्वीट जानने से पहले सरकार के फैसला जान लीजिए जिस पर ये ट्वीट आया है। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नर्मदा नदी में क्रूज चलाने की तैयारी है। प्लान अलग-अलग हैं। इसके तहत नर्मदा में महेश्वर से लेकर मांडू तक क्रूजिंग होगी। इस यात्रा में नर्मदा का ऐतिहासिक वैभव नजर आएगा। इसके अलावा बड़वानी के आसपास भी क्रूजिंग होगी। एक प्रस्ताव ऐसा भी है कि क्रूजिंग मध्यप्रदेश से लेकर गुजरात तक होगी। जिसमें ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के साथ-साथ स्टेच्यू ऑफ यूनिटी भी देखी जा सकेगी। नर्मदा नदी के लिए मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों ही स्टेट अहम है। मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले में स्थित अमरकंटक से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। अलग-अलग शहरों से गुजरती हुई नर्मदा जी गुजरात जाती हैं और वहां से अरब सागर में मिल जाती है। भगवान शिव से भी नर्मदाजी का नाता जुड़ा है। कहा जाता है कि शिवजी के पसीने की बूंद गिरी तो नर्मदा नदी की धारा फूट पड़ी।
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परिक्रमा नर्मदा के अस्तित्व को और खास बनाती है
पूरे प्रदेश में नर्मदाजी का महत्व अलग ही है। बहुत सारे स्थानों पर नर्मदा जयंती के मौके पर इस पवित्र नदी को चूनर चढ़ाई जाती है। सबसे ज्यादा महत्व होता है नर्मदा परिक्रमा का। बहुत से भक्त नर्मदा के उद्गम से लेकर उसके अंत तक परिक्रमा करते हैं। ये परिक्रमा कई बार भक्ति और पर्यावरण को समझने के लिए होती है तो कभी-कभी सियासी भी होती है। कुछ लोग नर्मदा की आंशिक परिक्रमा भी करते हैं। यही परिक्रमा नर्मदा के अस्तित्व को और खास बना देती है। उमा भारती ने भी अपने ट्वीट से इसी तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की है। उमा भारती ने करीब चार ट्वीट किए हैं।
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उमा भारती ने फैसले को नर्मदाजी की धारा से छेड़खानी बताया
पहले ट्वीट में उमा भारती ने लिखा है कि मैंने प्रतिष्ठित समाचार पत्र में पढ़ा कि नर्मदाजी में क्रूजिंग होगी। जो महेश्वर, बड़वानी जैसे शहरों में होगी, टेंडर की प्रक्रिया हो गई है। तीन साल पहले भी ये बात आई थी तब उसे रोक दिया गया था।
अपने अगले ट्वीट में उमा भारती ने लिखा कि नर्मदाजी के दोनों और परिक्रमा मार्ग है। क्रूजिंग में खाने पीने जैसी एक्टिविटी होती है। गंगाजी में यातायात होता रहा है, लेकिन नर्मदाजी में कभी क्रूजिंग नहीं हुई। उमा भारती ने इस फैसले को नर्मदाजी की धारा से छेड़खानी बताया और ये भी लिखा कि वो सीधे सीएम मोहन यादव से इस बारे में बात करेंगी।
पहले उमा भारती का निशाना थे शिवराज अब सीएम मोहन
उमा भारती ने इससे पहले शराबबंदी का मुद्दा उठाया था। प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर उन्होंने प्रदर्शन किया था। इस दौरान कुछ दुकानों पर गोबर भी उछाला था। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड रहा है कि जब वो किसी मुद्दे पर आगे बढ़ती हैं तो सुनवाई न होने तक उस पर डटी ही रहती हैं। पहले उनके इन जिद्दी प्रदर्शनों का निशाना शिवराज सिंह चौहान रहते थे और इस बार सीएम मोहन यादव का फैसला है। ये भी हमेशा ही देखा गया है कि अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में उमा भारती जरा भी गुरेज नहीं करती हैं।
गंगा के मुद्दे पर भी जितनी मुखर, नर्मदा पर भी उतनी ही बेबाक
उमा भारती न पार्टी संगठन से चर्चा की कोशिश करती हैं न सीएम या किसी अन्य जिम्मेदारी व्यक्ति से संपर्क करती हैं। वो पिछले कुछ समय से ट्विटर के जरिए ही प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखती हैं। उनके ट्वीट के निशाने पर सीएम या पूर्व सीएम तो छोड़िए कभी कभी केंद्रीय नेतृत्व भी आ ही जाता है। वो शराब बंदी को लेकर जितना मुखर थीं गंगा के मुद्दे पर भी उतनी है बेबाक थीं। अब नर्मदा के मुद्दे पर उन्होंने अपना कंसर्न जाहिर कर दिया है। ये भी हो सकता है कि वो इस मुद्दे को और आगे लेकर जाएं। मामला सीएम से बातचीत के बाद भी आगे बढ़े और उमा भारती नर्मदा के किसी तट पर धरना देते हुए नजर आएं। उमा भारती ऐसा कर भी सकती हैं क्योंकि उनकी जिद भी ऐसी नदी की तरह ही है जिसका बहाव थाम पाना मुश्किल है। पार्टी का अनुशासन उनके इस स्वभाव की लगाम नहीं खींच सका है।
उमा भारती के इस विद्रोह की काट ढूंढेगा बीजेपी संगठन?
पिछले कई सालों से उमा भारती ने सुर्खियों में बने रहने का ये एक तरीका भी चुन लिया है। वो सरकार की खिलाफत करती हैं और न्यूज में छा जाती हैं। क्या इसके जरिए वो ये साबित करना चाहती हैं कि वो अब भी प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर कितनी सजग रहती हैं। या, सीएम की कुर्सी दोबारा न मिल पाने का मलाल अब भी कहीं न कहीं है जो किसी भी मुद्दे के साथ जोर पकड़ लेता है। बीजेपी ने उन्हें मंत्री पद नहीं दिया, चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया। उनकी साख कमजोर करने की हरसंभव कोशिश हो चुकी है, लेकिन उमा भारती वापसी का रास्ता ढूंढ ही निकालती हैं। कभी शराब बंदी के बहाने तो कभी नर्मदा के जल के बहाने।
बीजेपी का सख्त संगठन विधायकों पर लगाम कसने के तरीके तो ढूंढ लेता है लेकिन उमा भारती के इस विद्रोह की काट नहीं ढूंढ सका है।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर