News Strike: प्रदेशाध्यक्ष के चक्कर में अटकी निगम मंडलों की नियुक्ति, और लंबा होगा इंतजार ?

बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष का नाम तय हो गया है, लेकिन आधिकारिक ऐलान अब तक नहीं हुआ। पहलगाम हमले के चलते फिलहाल सरकार की प्राथमिकता बदली है। संगठन के बाद ही निगम मंडलों की नियुक्ति होगी, यही सीएम की मंशा है।

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Harish Divekar
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news strike 23 april

Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश में बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष का नाम तय हो चुका है। अब निगम मंडलों में नियुक्ति पर चर्चा शुरू हो चुकी है, लेकिन.... बस इस लेकिन ने बड़ा पेंच फंसा रखा है। राजनीतिक गलियारों में एक नाम जोरों पर उछल रहा है। दावा किया जा रहा है कि वही नाम प्रदेशाध्यक्ष पद पर काबिज होगा, लेकिन उसका ऐलान कब होगा। फिलहाल पहलगाम में हुए हमले से देश दहल रहा है। हर देशवासी पहलगाम हमले का शिकार हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है। देश के इस दर्द में द सूत्र भी शामिल है। पूरे देश की तरह हम भी शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की अपील भी करते हैं। जाहिर है कि सरकार के लिए इससे बड़ी प्राथमिकता फिलहाल कुछ नहीं हो सकती। इसका असर ये होगा कि अगले कुछ समय तक प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान संभव नहीं होगा। सीएम मोहन यादव की मंशा यही है कि पहले संगठन बने और उसके बाद ही निगम मंडलों में नियुक्ति का ऐलान हो। इसकी क्या वजह है वो भी आपको समझा देते हैं।

मध्य प्रदेश में निगम मंडलों को नियुक्ति का इंतजार है। मोहन यादव ने सत्ता में आने के बाद निगम मंडलों की नियुक्तियां निरस्त कर दी थीं। उसके बाद से सारे निगम और मंडल खाली पड़े हैं। लोकसभा चुनाव होने तक बीजेपी नेताओं ने सब्र रखा, लेकिन चुनाव होने के बाद से ये सवाल पूछा जाने लगा है कि निगम मंडल में नियुक्तियां कब होंगी। अंदर की बात ये है कि फिलहाल निगम मंडल की नियुक्तियों का मामला और आगे बढ़ गया है। निगम मंडल के पद तो फिलहाल नहीं भरे जाएंगे, लेकिन कुछ आयोगों को अध्यक्ष जरूर मिल सकते हैं। मध्य प्रदेश में महिला आयोग, मप्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, सामान्य निर्धन वर्ग आयोग, मप्र राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग शामिल हैं।

आयोग में जल्द हो सकती हैं नियक्तियां

ये संभावनाएं जताई जा रही हैं कि आयोगों में नियुक्तियां जल्द होंगी, लेकिन निगम मंडल में नियुक्ति के कोई आसार नहीं है। इससे पहले भी अलग अलग कारणों से इन नियुक्तियों को टाला जाता रहा है। पहले लोकसभा चुनाव होने का तर्क दिया गया। इसके बाद बीजेपी अपने सदस्यता अभियान में जुट गई। जो बड़े लेवल पर चला था। इस अभियान के तहत बीजेपी ने बड़ी संख्या में नए सदस्य बनाए।

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गुटबाजी भी आई सतह पर

इसके बाद सरकार अपने ही एक साल की उपलब्धियां गिनाने में व्यस्त हो गई। इसके बाद बुदनी और विजयपुर सीट पर बाय इलेक्शन हुए जिसके बाद ये फैसला फिर टाल दिया गया। इन सबसे निपटने के बाद ये उम्मीद जताई गई कि प्रदेशाध्यक्ष और निगम मंडल दोनों पर नियुक्तियां होंगी, लेकिन मामला फिर टल गया।

इस बार पार्टी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का हवाला दिया। हर जिले में नए जिलाध्यक्ष तैनात किए गए। वैसे तो ये आसान चुनाव होना था, लेकिन बीजेपी में इस पर जमकर खींचतान हुई जिसका नतीजा ये हुआ कि जिलाध्यक्ष की नियुक्ति ही अलग अलग चरणों और लिस्ट के जरिए हुई। जिलाध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया के दौरान बीजेपी की आपसी गुटबाजी भी सतह पर आ गई। जो आलाकमान की आंखों से भी बची नहीं रह सकी।

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अटकता ही जा रहा नियुक्ति का मामला

उसके बाद से हर तरह की नियुक्ति का मामला अटकता ही जा रहा है। नए साल की शुरुआत के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष पद पर नए चेहरे की नियुक्ति की अटकलें तेज हो गई थीं। लेकिन, अब अप्रैल भी गुजरने को है। पर प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। सूत्रों की मानें तो प्रदेशाध्यक्ष पद की वजह से ही निगम मंडल में नियुक्तियों का मामला भी अटक रहा है। असल में सीएम मोहन यादव ये चाहते हैं कि पहले प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान हो और संगठन मजबूत हो जाए। उसके बाद नए प्रदेशाध्यक्ष के साथ तालमेल बिठा कर ही आगे की नियुक्तियां की जाएंगी। ये फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि बमुश्किल दो साल के अंदर पंचायत चुनाव शुरू होंगे। उसके बाद नगरीय निकाय चुनाव और इन चुनावों के बाद फिर विधानसभा चुनाव की तैयारियां सिर पर होंगी। इसलिए सीएम की मंशा साफ है कि सत्ता और संगठन को एक साथ कदमताल करते हुए ही आगे बढ़ना होगा। निगम मंडल की नियुक्ति भी दोनों की सहमति से ही होगी।

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इस नाम पर लग चुकी है मोहर, बस ऐलान बाकी

अब बात करते हैं कि किस नाम पर प्रदेशाध्यक्ष पद पर मोहर लगी है। इस रेस में पहले कई नाम शामिल थे। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम इस पद की रेस में शामिल बताया जाता रहा है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सुमेर सिंह सोलंकी जैसे कई नाम फेहरिस्त में शामिल रहे हैं। न्यूज स्ट्राइक के पुराने आर्टिकल्स को पढ़कर आप वो पूरी लिस्ट जान सकते हैं जो लोग प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन, अंदरूनी हल्को में चर्चा ये है कि हेमंत खंडेलवाल के नाम पर मोहर लग भी चुकी है। बस नाम का ऐलान बाकी है।

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देश के जो ताजा हालात हैं, उन्हें देखकर लगता है कि इस नाम का ऐलान या इस पद के लिए दावेदार के नाम के ऐलान में थोड़ा वक्त और लगेगा। तब तक निगम मंडलों की नियुक्ति के लिए भी इंतजार करना होगा।

 

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