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Photograph: (the sootr)
अपने शरबत को बेचने के लिए हेड मार्केटिंग का सहारा लेने वाले बाबा रामदेव अब पॉलिटिकल पार्टीज के निशाने पर आ गए है। उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज हो चुकी है। अपना शरबत बेचने की उनकी सारी स्ट्रैटजी बैकफायर कर गई। शरबत को जेहाद से जोड़कर बाबा रामदेव ने, आज के माहौल के हिसाब से तगड़ी मार्केटिंग स्ट्रैटजी तैयार की थी। शरबत बिका या नहीं, ये अलग बात है लेकिन बाबा रामदेव खुद कंट्रोवर्सी में फंस गए हैं। पहले तो सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे थे और अब कांग्रेस ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बाबा राम देव का शरबत जेहाद तो आपने देख ही लिया होगा। जवाब में कांग्रेस ने आईटी, दवा और जूता जेहाद जैसे सवाल पूछ डाले हैं।
पिछल कुछ सालों में जेहाद को बहुत अलग अलग तरीकों से डिस्क्राइब किया गया है। इसमें लव जेहाद सबसे ज्यादा प्रचलित और पुराना टर्म था। इसके बाद आया वोट जेहाद, नोट जेहाद, थूक जेहाद। और अब बाबा रामदेव ने एक नया टर्म लॉन्च कर दिया है शरबत जेहाद। आमतौर पर गर्मियों में अपने अपने ड्रिंक्स को बेचने के लिए कंपनियां अलग अलग पंच लाइन अपनानती हैं। कोई कंपनी कहती है डर के आगे जीत है। कोई कहती है टेस्ट द थंडर तो कोई कहती है सीधी बात नो बकवास। लेकिन, लगता है बाबा रामदेव को ऐसी कायदे की टैग लाइन लिखने वाला राइटर नहीं मिला। इसलिए उन्होंने अपने शरबत को बेचने के लिए दूसरे शरबत को खरीदने वालों को शरबत जेहाद का सपोर्ट करने वाला बता दिया। उन्हें शायद ये लगा होगा कि जब देशभर में अलग अलग लेवल पर हिंदू मुसलमान हो ही रहा है तो शायद उनका शरबत भी इस माहौल में ज्यादा बिक जाएगा।
बाबा रामदेव का शरबत जेहाद बन गया पॉलीटिकल मुद्दा
वो शायद ये भूल गए कि जिसे वो शरबत कह रहे हैं वो शब्द ही अरबी का शब्द है। पहले तो उन्हें इसके लिए ही एक नया शब्द तलाशना होगा। खैर बाबा की मार्केटिंग और उसकी स्किल्स पर बाद में बात करते हैं। पहले बात करते हैं कि बाबा रामदेव का ये शरबत जेहाद पॉलीटिकल कैसे बन गया है। असल में बाबा रामदेव ने जब से शरबद जेहाद का टर्म हवा में उछाला है। तब से सोशल मीडिया पर तो उन्हें भरपूर गालियां पड़ ही रही हैं। अब कांग्रेस ने भी उन्हें अपने घेरे में लेना शुरू कर दिया है। इस मामले पर शुरुआत की है कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने। दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव के उस नफरती बयान को देश का माहौल बिगाड़ने का कुत्सित प्रयास करार दिया। थाने में शिकायत दर्ज करवाई और कड़ी कार्रवाई की भी मांग की।
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शरू हुई नई बहस
दिग्विजय सिंह ने संविधान के हवाले से कहा कि हमारा संविधान ऐसे नफरत भरे बयानों की मुखालफत करता है जो लोगों के बीच बैर बढ़ाते हैं। उनके मुताबिक आईपीसी 2023 और आईटी कानून के तहत ये दंडनीय अपराध है। दिग्विजय सिंह की इस शिकायत पर भोपाल की अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रश्मि अग्रवाल ने कहा कि उनकी शिकायत पर जांच होगी। दिग्विजय सिंह इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कई बड़ी कंपनियों को कोट किया। उन्होंने कहा कि विप्रो, सिप्ला, हिमालया और मेट्रो शूज जैसी कई कंपनियों के मालिक मुसलमान हैं तो क्या वो अपनी कंपनी के जरिये आईटी, दवा, आयुर्वेद और जूता जेहाद फैला रहे हैं। और, क्या इन कंपनियों में काम करने वाले लोग जेहादी हैं। ये बयान देते हुए दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव को व्यापारी रामदेव भी कहा। इस पूरे एपिसोड से ये तो साफ है कि बाबा रामदेव ने अपने बयान से एक नई बहस शुरू कर दी और खुद उसमें उलझ भी गए हैं।
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सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल
उनका बयान किस कदर बैक फायर कर गया इसका अंदाजा आप इस तरह लगाइए कि बहुत से हिंदुओं ने ही उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ लगाई है। चलिए आपको कुछ ऑनलाइन रिएक्शन्स बताते हैं। एक यूजर ने बाबा रामदेव का वीडियो देखकर कमेंट किया कि गुणवत्ता पर बेस्ड प्रोडक्ट बेचो नफरत पर बेस्ड नहीं। एक और यूजर ने लिखा है कि योग से धंधा, धंधे से दंडा, दंडे से दंगा और दंगे से देशभक्ति का शरबत बेचने का नाटक। एक यूजर ने बाबा रामदेव को उनकी पुरानी कंट्रोवर्सी भी याद दिलाई। उसने लिखा कि इसने अभी-अभी अपने मिसलीडिंग एड्स के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी। कुछ यूजर ने इसे हेट मार्केटिंग का एक स्वरूप बताया है। एक यूजर ने लिखा कि सरकार का ध्यान कॉमेडियन्स पर है और ऐसी हेट स्पीच देने वाले अनचैक्ड रह जाते हैं।
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कंट्रोवर्सी क्रिएट करना बाबा रामदेव की पुरानी आदत
आपको बता दें कि अपने प्रोडेक्ट बेचने के लिए कंट्रोवर्सी क्रिएट करना या हाईप क्रिएट करना बाबा रामदेव की पुरानी आदत बन चुकी है। विवादों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन हम सबसे पहले उस विवाद की बात कर लेते हैं जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबा रामदेव को नहीं बख्शा था। आपको याद होगा कि कोरोना काल में बाबा रामदेव ने एक दवा लॉन्च की थी, जिसका नाम था कोरोनिल। उन्होंने ये दावा भी कर दिया था कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता मिल चुकी है। कुछ ही दिन के अंदर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ही उनके दावे का खंडन कर दिया था। इसके बाद भी रामदेव नहीं माने एलोपैथी को जहर, बेवकूफ विज्ञान जैसे कई शब्दों से उन्होंने नवाजा। नतीजा ये हुआ कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उनके खिलाफ याचिका दायर कर दी। नवंबर 2023 में बाबा ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वो इस तरह की भ्रामक बयानबाजी नहीं करेंगे। पर इसके अगले ही दिन उन्होंने एलोपैथी पर विवादित बयान दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट भी लगा चुका है लताड़
बाबा रामदेव इतने पर ही नहीं सुधरे जिसकी वजह से नौबत अवमानना के नोटिस तक पहुंच गई। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जनता को गुमराह करने के लिए अवमानना का नोटिस जारी किया। ये नोटिस उनके साथी आचार्य बालकृष्ण के नाम पर भी था। बाबा रामदेव ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश सुना दिया। उन्हें नेशनल लेवल के डेली न्यूजपेपर्स में बिना शर्त सार्वजनिक माफी विज्ञापन जारी करने के लिए भी कहा गया। जवाब में बाबा रामदेव ने कहा कि अपने बयानों पर अफसोस जताते हुए वो बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हैं। उन्होंने ये भी कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथी अक्सर एक दूसरे के खिलाफ होते हैं। इसलिए वो ज्यादा उत्साहित होकर बहक जाते हैं और ऐसे बयान दे डालते हैं।
क्या होगी बाबा रामदेव पर कार्रवाई
लेकिन, इस बार तो मामला ऐलोपैथी का भी नहीं था। सिर्फ शरबत का था। बाबा रामदेव तो इसमें भी उत्साहित होकर बहक गए। क्या आपको भी लगता है शरबद जेहाद जैसे मार्केटिंग के तरीके अपनाने वाले बाबा रामदेव पर फिर से कार्रवाई होना चाहिए। इस बारे में आपका क्या सोचना है कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताइए।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर