क्या मध्य प्रदेश में शिवराज के दौर के नेताओं को दबाने की या साइडलाइन करने की कोशिश जारी है। आपने पिछले कुछ दिनों में ऐसे बहुत सी खबरें सुनी होंगी, जिसमें किसी पूर्व मंत्री का दर्द या शिकायत का जिक्र होगा। बहुत से पूर्व मंत्री ऐसे हैं जिनकी शिकायत सुनी ही नहीं जाती या सुनकर भी अनसुनी कर दी जाती है। लेकिन एक पूर्व मंत्री ऐसी भी हैं जिनकी पोस्ट ने ही बीजेपी में हड़कंप मचा दिया है। पूर्व मंत्री ने बैक टू बैक दो ट्वीट किए। उसके बाद जो हुआ उससे साफ हो गया कि सत्ता में रहे न रहे इस पूर्व मंत्री का दबदबा कम नहीं हुआ है।
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यहां जिस पूर्व मंत्री की बात की जा रही है, उनका नाम है यशोधरा राजे सिंधिया। यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से दो पोस्ट किए हैं। इन ट्वीट्स के जरिए सिंधिया ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाए हैं। और, ये भी साफ कर दिया है कि वो भले ही सक्रिय राजनीति से दूर हो चुकी हैं, पर इसका ये कतई मतलब नहीं है कि उनका दबदबा कम हो चुका है।
सिंधिया ने दिखाया एक्स पर एग्रेशन
यशोधरा राजे ने कुछ दिन पहले एक खबर का फोटो शेयर किया और साथ में एक पुल का फोटो शेयर किया। इस फोटो में पुल पर आवाजाही रोकने के लिए स्टेंड लगे दिखाई दे जाएंगे। यशोधरा राजे ने अपने ट्वीट में लिखा कि वर्षों के इंतजार के बाद ग्वालियर का विवेकानंद नीड़म पुल बनकर तैयार है। फिर जनता के लिए नहीं खुला, क्यों। क्या अब विकास कार्य किसी कार्यक्रम या फीता काटने के इंतजार में रुकेंगे। ग्वालियर के लोग जवाब के हकदार हैं।
इसके अगले ही दिन यशोधरा राजे का एग्रेशन फिर से ट्विटर पर दिखाई दिया। यशोधरा राजे ने एक और अखबार की कटिंग शेयर की। उस खबर के मुताबिक प्रदेश में कुछ महिला खेल अकादमियों को बंद किया जा सकता है। इस कटिंग को शेयर करते हुए यशोधरा राजे ने लिखा कि साल 2022 में शिवपुरी में शुरू हुई राज्य स्तरीय गर्ल्स क्रिकेट अकादमी कोई खर्चा नहीं बल्कि बेटियों के भविष्य के लिए किया गया निवेश है। एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखते हुए सिंधिया ने अकादमी की उपलब्धियों की लिस्ट भी ट्वीट के साथ पोस्ट की है। अपने इन दो ट्वीट के जरिए यशोधरा राजे ने ये तो साबित कर दिया कि चुनाव न लड़ने का मतलब एक्टिव न होना नहीं होता है। वो भले ही एक्टिव पॉलीटिक्स से दूर हैं, लेकिन पॉलिटिकली काफी एक्टिव हैं। खासतौर से अपने क्षेत्र में।
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X पोस्ट का हुआ ये असर
अब ये जान लीजिए कि उनके ट्वीट का असर क्या हुआ। बात करते हैं पहले ट्वीट की। जो नीड़म के पुल के बारे में था। यशोधरा राजे के ट्वीट के करीब तीन दिन बाद ही सड़क को बंद करने वाले स्टैंड हटा दिए गए। खुद यशोधरा राजे ने ही उसकी फोटोज भी शेयर की साथ ही सीएम मोहन यादव को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने लिखा कि नीड़म का पुल अब ग्वालियर की जनता के लिए खुल चुका है।
बात करें दूसरे ट्वीट की तो खेल अकादमियों पर खुद खेल मंत्री विश्वास सारंग को क्लियरिफिकेशन देना पड़ा। उन्होंने कहा कि खेल अकादमियों को बंद नहीं किया जा रहा है। फिलहाल रिव्यू हो रहा है जो एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि उनकी ये प्रतिक्रिया भी सिंधिया के ट्वीट के बाद की ही मानी जा रही है।
ये तो बात हुई एक पूर्व मंत्री के ट्वीट की। जो खुद ही चुनाव न लड़ने का फैसला भी कर चुकी हैं। लेकिन, इन ट्वीट के क्या मायने हैं और पार्टी की तरफ क्या इशारा है। ये असंतोष तो नहीं है क्योंकि सिंधिया के इन दोनों ट्वीट में कहीं शिकायत नजर नहीं आती। बल्कि ये तो वो धमक दिखाई देती है जो बहुत साल तक सरकार में रहने के बाद मिली है।
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बीजेपी के लिए सॉफ्ट वॉर्निंग ?
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे बीजेपी के लिए एक सॉफ्ट वॉर्निंग के तौर पर भी देख रहे हैं। ये बीजेपी में लगातार बढ़ रहे और नए और पुराने नेताओं के बीच की दूरी और कम्यूनिकेशन गैप की तरफ भी इशारा करता है। इसके चलते अपनी बात सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए एक सीनियर लीडर को ट्विटर का सहारा लेना पड़ा।
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कद तो घटा सकते, लेकिन कैसे दबेगी आवाज
यशोधरा राजे के पोस्ट और उन पर हुई प्रतिक्रिया ये भी साफ करती है कि अगर पुराने नेताओं ने शिकायतों का पुलिंदा इसी तरह खोलना शुरू कर दिया तो बीजेपी को विपक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अपने ही नेता बीजेपी को कभी भी घेर सकते हैं। एक और ट्रेंड जो इन दिनों बीजेपी में साफ नजर आ रहा है। वो ये कि शिवराज सरकार के दौर के नेताओं को लगातार हाशिए पर धकेला जा रहा है। इन दो ट्वीट से ये साफ होता है कि उन नेताओं को कद घटाया जा सकता है लेकिन आवाज कैसे दबेगी।
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