News Strike: पटवारी का फैसला, मीनाक्षी का ट्वीट, क्या कांग्रेस नेताओं की नई पीढ़ी को भी लगा गुटबाजी का रोग ?

मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के मुद्दे ने फिर तूल पकड़ा है। मीनाक्षी नटराजन ने ट्वीट कर पार्टी के अंदर के मतभेदों को उजागर किया। कांग्रेस में समन्वय की कमी सामने आ रही है। सोशल मीडिया के जरिए नेताओं ने अपने गिले शिकवे जाहिर किए।

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Harish Divekar
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news strike 9 april

Photograph: (the sootr)

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मध्य प्रदेश कांग्रेस अपने आपसी गिले शिकवे भुलाकर मूव ऑन कब करेगी। ये टर्म बड़ा नया सा लगता है न। सोशल मीडिया के दौर में रिश्ता अधूरा छोड़ कर मूव ऑन करना बड़ा आम बन गया है। नई नई उम्र के बच्चे भी मूव ऑन करना सीख चुके हैं। पर, अफसोस की देश की सबसे पुरानी और कभी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस के ही नेता ये गुर नहीं सीख पा रहे हैं। गिले शिकवे भी कुछ इस तरह सामने आ रहे हैं जैसे पार्टी में कोई डिसिप्लीन बचा ही न हो। हम ये सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में दो दिग्गज कांग्रेसियों के बीच की जंग खुलकर सामने आ गई है। पर, इसकी वजह क्या है। एक नेता की इतनी हिम्मत कैसे हो सकती है कि वो खुलकर, सोशल मीडिया पर नाराजगी जता सके। सवाल बहुत से हैं, जिन पर चर्चा जरूरी है।

कांग्रेस में अंतर्कलह का ये मामला चंद रोज पुराना है। पर, इस पर बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कांग्रेस को भी कुछ तो सख्ती दिखाना अब जरूरी सा हो गया है। हम बात कर रहे हैं मीनाक्षी नटराजन के उस ट्वीट की जिसके बाद कांग्रेस की कलह फिर खुलकर सतह पर आ गई। एक बार पहले पूरा मामला समझ लीजिए।

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मीनाक्षी के ट्वीट पर मचा बवाल

मीनाक्षी नटराजन ने हाल ही में एक ट्वीट किया था। उसमें लिखा कि नीमच से प्रदेश प्रतिनिधि बनाए गए गौरव रघुवंशी से व्यक्तिगत कोई दुराव नहीं है। लेकिन, नीमच में भी बहुत से काबिल कांग्रेस नेता हैं जिन्हें ये अवसर मिलना चाहिए था। उन्होंने आगे लिखा कि गौरव भोपाल या उनके अपने जिले से होते तो ठीक होता। मीनाक्षी नटराजन ने अपना ट्वीट इस सेंटेंस पर खत्म किया कि मेरी घोर आपत्ति है, जो मैं दर्ज करवा रही हूं।

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आपत्ति दर्ज करवाने में कोई बुराई नहीं है। वैसे भी कांग्रेस हमेशा से ही ये कहती रही है कि वो एक डैमोक्रेटिक पार्टी है। जहां नेताओं को अपनी बात कहने सुनने की पूरी छूट या मौका दिया जाता है। लेकिन, क्या डैमोक्रेसी का मतलब ये है कि कोई भी नेता कभी भी किसी जिम्मेदार पदाधिकारी के फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्ति दर्ज करवा सकता है। कुछ सवाल हैं जो जरूर पूछे जाने चाहिए। मसलन...

सवाल नंबर एक- मीनाक्षी नटराजन ने ट्वीट करने से पहले क्या ये आपत्ति पार्टी फोरम पर दर्ज करवाई थी।
सवाल नंबर दो- वो खुद एक सीनियर लीडर हैं। जो फोन पर सीधे जीतू पटवारी से चर्चा कर सकती हैं। ट्वीट करने से पहले क्या उन्होंने ऐसा किया था।
सवाल नंबर तीन- क्या मीनाक्षी नटराजन ने खुद ये ट्वीट करने का फैसला लिया या इस फैसले की वजह कुछ और है।
आखिरी और सबसे जरूरी सवाल यानी सवाल नंबर चार- इस ट्वीट के बाद कांग्रेस के आला नेतृत्व ने क्या कदम उठाया।

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कांग्रेस के अधिवेशन में जाने वाले थे 87 नेता

ये ट्वीट मीनाक्षी नटराजन उस वक्त किया जब कांग्रेस एक बड़े अधिवेशन की तैयारी करने वाली थी। 8 और 9 अप्रैल को हुए इस अधिवेशन में हर प्रदेश से एक डेलिगेशन गया था। मध्य प्रदेश से करीब 11 डिलिगेट्स की एक सूची जारी की गई थी। जिसमें ऐसे नेताओं की जगह भी भरी गई थी जो अब इस दुनिया में नहीं रहे या फिर पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। जिसमें सुरेश पचौरी और राम निवास रावत जैसे नेता भी शामिल हैं। जिनकी जगह नए नाम जोड़कर कुछ नए डेलिगेट्स तैयार किए गए। उसमें से एक नाम गौरव रघुवंशी का था। गौरव रघुवंशी नर्मदापुरम के रहने वाले हैं, लेकिन उन्हें नीमच से डेलिगेट बनाया गया था। नए और पुराने डेलिगेट्स मिलाकर मप्र से 87 नेता अधिवेशन में जाने वाले थे।

लेकिन, मीनाक्षी नटराजन की आपत्ति के बाद इस लिस्ट को होल्ड कर दिया गया था। इस मामले में ट्विस्ट ये है कि लिस्ट को होल्ड कर दिया गया। उसके बाद भी डेलिगेट्स अधिवेशन में शामिल होने पहुंचे और अधिवेशन हो भी गया। जिन नामों पर आपत्ति थी वो नेता भी अधिवेशन का हिस्सा बनने में कामयाब रहे।

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सफाई देने पर मजबूर हुई कांग्रेस

इस मामले में कांग्रेस अब सफाई देने को मजबूर है। कांग्रेस के महासचिव संजय कामले ने इस मुद्दे पर कहा कि जो भी प्रतिनिधि चुने गए थे उनका चयन पार्टी के नियमों के आधार पर ही हुआ था। बीजेपी को भी कांग्रेस पर चुटकी लेने का एक मौका मिल गया। और, कुछ नेताओं ने ये बयान दे डाला कि प्रदेश कांग्रेस की और भी कलह सामने आएगी।

पर, इस कलह का कारण क्या है। क्या कांग्रेस के नेता जीतू पटवारी की लीडरशिप एक्सेप्ट करने के लिए तैयार नहीं हैं। मीनाक्षी नटराजन खुद एक पुरानी कांग्रेस नेता हैं। जो राहुल गांधी की करीबी भी मानी जाती हैं। जीतू पटवारी की प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी होने के वक्त भी इस पद की रेस में शामिल थीं।

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क्या नंबर दो के लिए जारी है रेस

जीतू पटवारी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस में नंबर दो की रेस जारी है। मीनाक्षी नटराजन उस पद की भी दमदार दावेदार हैं। तो, क्या ये मान लिया जाए कि अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए और प्रदेश में अपनी धमक बताने के लिए मीनाक्षी नटराजन ने ये रास्ता चुना और अपनी ताकत दिखाई। इस पूरे मामले में सही कौन और गलत कौन, ये तकाजा तो बाद में होगा। पर अभी ये समझना भी जरूरी है कि क्या कांग्रेस ऐसे मामलों पर कोई सख्त कदम उठाएगी।

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