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Photograph: (thesootr)
NEWS STRIKE : वोटर लिस्ट मामले में नेशनल लेवल पर एग्रेशन दिखा रही कांग्रेस इस मोड को देशभर में ऑन ही रखना चाहती है। मध्यप्रदेश भी इससे अछूता रहने वाला नहीं है। यहां कांग्रेस का एग्रेशन आगे बढ़ेगा जिलाध्यक्षों के मार्फत।
अब आप ये जरूर पूछेंगे कि जिलाध्यक्ष हैं कहां जो इस मिजाज को कायम रख सकें। तो हम बता दें कि बस चंद रोज की बात और है। कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का काम पूरा कर लिया है। अब दावा ये है कि एक या दो दिन में ही जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा हो जाएगी।
जिलास्तर पर भी नेताओं का सोच समझकर होता है चयन
किसी भी प्रदेश में राजनीतिक दल को मजबूती देने के लिए जिला इकाई बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर पार्टी जिस तरह प्रदेश के स्तर पर संगठन के पदाधिकारियों का ऐलान करती है। उसी तर्ज पर जिलास्तर पर भी बहुत ठोक बजाकर नेताओं का चयन होता है। आमतौर पर ये प्रक्रिया दिग्गज नेताओं के दबाव में आकर थोड़ी बहुत प्रभावित भी होती है।
टॉप लीडर्स की ख्वाहिश होती है कि वो अपने करीबियों को ये जिम्मेदारी सौंपे। ताकि जिला लेवल तक उनकी पकड़ मजबूत हो सके और कांग्रेस तो बरसों से ही इस तरह से अपने नेताओं के कहने पर पूरी टीम बनाती रही है।
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कांग्रेस में अलग तरह से होगा जिलाध्यक्षों का चुनाव
कभी मध्यप्रदेश में लगातार सरकार में रहने वाली कांग्रेस अपनी इस कमजोरी का शिकार भी रही है। जिसकी वजह से गुटबाजी और कलह भी खूब पनपी। हर अंचल में कांग्रेस अपने किसी सीनियर लीडर की मोहताज रही। जो हर बार पार्टी के मुकद्दर का फैसला करते रहे और कांग्रेस कमजोर से कमजोर होती चली गई। इसलिए इस बार पार्टी ने अलग तरह से जिलाध्यक्षों का चुनाव करने का फैसला लिया है।
कांग्रेस जिलाध्यक्षों का फैसला दिल्ली दरबार से
दावा तो ये भी किया जा रहा है कि इस बार कांग्रेस नेताओं ने हर जिले में जाकर मीटिंग की है। खासतौर से प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने जिलों में जा-जा कर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और फिर ऐसे चेहरे को चुना जो पार्टी का जिलाध्यक्ष बनना चाहिए।
पार्टी के पुराने नेता, समाजसेवी या जिले के किसी प्रबुद्ध व्यक्ति को कांग्रेस ने तवज्जो दी है। इस बार कांग्रेस ये भी दावा कर रही है कि एक नियम का बहुत सख्ती से पालन किया गया है। वो ये कि जिलाध्यक्ष पद की कमान उसी नेता को सौंपी जाएगी जो कम से कम पांच साल से पार्टी से जुड़ा है और एक्टिव भी है। ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की गई है. जिस पर मुहर दिल्ली से ही लगेगी। यानी फैसला दिल्ली दरबार से आएगा।
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नाम तय करते समय माइनस प्वाइंट्स पर नजर ज्यादा
कांग्रेस ने प्रक्रिया को कई स्टेप्स में बांटा है। नियम लिखित तौर पर तो बनाए नहीं गए, लेकिन कुछ बातों को बहुत गौर से चैक किया जा रहा है। जिलाध्यक्ष के नाम तय करते समय प्लस प्वाइंट्स से ज्यादा माइनस प्वाइंट्स पर नजर है।
मसलन नेता किसी भाजपा नेता से ताल्लुक तो नहीं रखता। या बीजेपी के किसी बड़े नेता के साथ दावेदार व्यवसायिक संबंध न रखता हो न ही रिश्तेदारी रखता हो। जो नेता पिछले चुनावों में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा चुके हैं। उन्हें भी मौका नहीं दिया जाएगा। इस बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही रिपोर्ट आला दरबार में पेश की गई है।
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कांग्रेस पुराने एग्रेसिव नेताओं को भी दे सकती है मौका
ये भी माना जा रहा है कि इस बार एग्रेशन को गांव-गांव शहर शहर तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस अपने कुछ पुराने एग्रेसिव नेताओं को मौका दे सकती है। जिसमें मीनाक्षी नटराजन, प्रियव्रत सिंह औऱ कुणाल चौधरी जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। जो पार्टी के आक्रमक रुख को कायम रखने में मददगार हो सकते हैं।
दिल्ली दरबार से भी जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान आसानी से नहीं होगा। रिपोर्ट से पहले बकायदा मंथन होगा। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी प्रदेश के सीनियर लीडर्स से बात करेंगे। प्रभारी हरीश चौधरी भी इस प्रक्रिया से जुड़े रहेंगे। उसके बाद ऐलान किया जाएगा।
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कांग्रेस में कसावट की दिल्ली के सुपर लीडर्स ने थामी कमान
साल 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस काफी सीरियस है। लगातार हार के बाद अब कांग्रेस में कसावट लाने की कमान खुद दिल्ली में बैठे सुपर लीडर्स ने थाम ली है इसकी कवायद जिलाध्यक्षों के चयन से ही नजर आने लगी है। अब देखना ये है कि क्या ये कवायद अगले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की वापसी करवा सकती है।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर
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