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Photograph: (The Sootr)
उमा भारती राजनीति से दूर हैं लेकिन इस बात का दर्द रह-रह कर सोशल मीडिया पर छलकता रहता है। पर, क्या कोई उमा भारती की बातों की सुनवाई करने वाला है। फिर वो चाहें संघ हो या फिर बीजेपी। ऐसी कोई जगह नजर नहीं आती जहां से उमा भारती की सवालों का जवाब मिला हो या फिर उनके दर्द पर मलहम कहीं से लगाया हो। हां गाहे बगाहे शिकायतों के लिए डांट जरूर पड़ जाती है। इस बार तो उमा भारती का दर्द हद से इतना ज्यादा गुजर गया है कि शिकायतें सीधे पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर हो रही है। उनके निशाने पर सीएम मोहन यादव भी हैं।
उमा भारती के इस शिकायती मिजाज या यूं कहें कि इस छटपटाहट की कहानी शुरू होती है उस समय से जब उन्हें मध्यप्रदेश के मुखिया की कुर्सी दोबारा नहीं मिली। ये बातें बहुत बार हो चुकी हैं। इसलिए पूरी बात नहीं दोहराते हैं। संक्षेप में केवल इतना रिवाइज कर लेते हैं कि उमा भारती ने हुबली तिरंगा कांड की वजह से प्रदेश के मुखिया की कुर्सी छोड़ दी थी। नैतिकता के आधार पर उन्होंने ये फैसला लिया। लेकिन उसके बाद प्रदेश के भविष्य, उमा भारती की गलत मिजाजी के नाम पर पार्टी ने वादे निभाने की नैतिकता ताक पर रख दी। और, उमा को उनका पद वापस नहीं मिला। तब से अब तक उमा भारती सियासत में फिर वही मुकाम पाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय जनशक्ति भी बनाई। लेकिन वो, वो करिश्मा नहीं दिखा सकीं जो बीजेपी के बैकअप की वजह से साल 2003 में दिखा सकीं थीं। फिर बीजेपी में उनकी वापसी हुई। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा, जीता और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बनी। लेकिन पिछला चुनाव उन्होंने खुद ही न लड़ने का फैसला किया। मोदी कैबिनेट में वो जल शक्ति मंत्रालय संभाल रही थीं। जिसका अहम काम गंगा जल की सफाई से जुड़ा था।
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उमा भारती का ताजा दर्द
उमा भारती का ताजा दर्द भी इसी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। इस बार उन्होंने सीधे पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेकर ही निशाना साधा है। फेसबुक पर खुद उनके ही नाम के आईडी से एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वो गोरक्षा को लेकर भी आक्रमक तेवर दिखा रही हैं।
उमा भारती किसी से डरती नहीं। न वो पीठ पीछे कुछ बोलती हैं। इसका सबूत ये है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है वो ट्वीट भी किया है। वो भी एक दो ट्वीट नहीं बल्कि एक के बाद एक वो तब तक ट्वीट करती गई हैं जब तक कि उनका मन हल्का न हो गया हो या उनकी भड़ास न निकल गई हो। उन्होंने करीब दस ट्वीट किए हैं। जिसमें गंगा जी की सफाई और गो सेवा से जुड़ी बातें लिखीं। उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि वो इस बारे में एक अदालत लगाने वाली थीं। लेकिन अगले ही कुछ ट्वीट्स में उन्होंने यू टर्न भी ले लिया।
उनका पांचवा ट्वीट कुछ यूं है कि मैं मोदी जी एवं उनकी श्री गंगाजी के प्रति आस्था पर विश्वास करती हूं। इसलिए 2019 का चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर की। लेकिन मोदीजी की जीत की कामना करती थी।
थोड़ा और स्क्रॉलडाउन करेंगे तो उनका सातवां ट्वीट दिखेगा कि- मुझे लगा जरूर मेरे निश्चय में कोई खोज है कि गंगा जी अविरल और निर्मल होकर नहीं बह सकी। इसलिए मैंने 2024 का चुनाव लड़ने में भी इच्छा नहीं जताई।
नवें ट्वीट से उन्होंने यू टर्न लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने लिखा कि बीती रात दो बजे एक प्राण घातक उदासीनता ने मुझे घेर लिया। और, मैंने श्री गंगाजी अभियान की मेरी संरक्षक समर्पिता दीदी को जगाया और उन्हें अपनी कठिनाई बताई। श्री गंगाजी के पुत्र प्रधानमंत्री हैं और गौ पालक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री है तो ये दोनों अदालत में गुहार क्यों लगाएं। अपनी जीवन रक्षा के लिए भिक्षा क्यों मांगे। उन्होंने ये भी लिखा कि इन दोनों को अपना परम कर्तव्य निभाना चाहिए।
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गंगा और गौ संरक्षण की जताई फिक्र
इन ट्वीट्स के बाद भी उन्होंने कुछ और पोस्ट शेयर की हैं। सब में गंगा और गौ संरक्षण की फिक्र जताई है। उमा भारती ने उन दो मुद्दों पर सवाल उठाए हैं जिन्हें लेकर बीजेपी हमेशा संवेदनशील नजर आने की कोशिश करती रही है। पीएम मोदी तो खुद कह चुके हैं कि बनारस से चुनाव लड़ने के लिए उन्हें खुद मां गंगा ने बुलाया है। लेकिन उमा भारती दावा करती हैं कि गंगा का जल अब भी अविरल और निर्मल नहीं है। गौ रक्षा भी बीजेपी का कोर इश्यू रहा है। लेकिन उमा भारती ने सीएम मोहन यादव से ही सवाल पूछ लिए हैं।
यू-टर्न लेना है पुरानी आदत
सवाल या मुद्दा उठाना और फिर यू टर्न लेना उमा भारती की पुरानी आदत रही है। हर बार जब वो किसी मुद्दे पर अड़ती थीं तो ये खबर सुनाई देती थी कि खुद संघ ने उमा भारती को फटकार लगाई है। लेकिन इस बार ऐसी कोई खबर सुनाई नहीं दी न ही अटकलें लगी हैं। तो फिर उमा भारती ने यू टर्न क्यों लिया। क्या बार-बार एक ही मुद्दे पर सरेआम बोलने के बावजूद उमा भारती की आवाज कहीं सुनी नहीं गई। क्या उनके ट्वीट्स को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। जब बीजेपी और संघ दोनों से तवज्जो नहीं मिली तो क्या उमा भारती ने फिर यू टर्न लेकर खुद ही सुर्खियों में जगह ढूंढने की कोशिश की है।
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आउटडेटेड हो चुकी हैं उमा भारती?
ये तो तय है कि उमा भारती बीजेपी में हाशिए पर नहीं बल्कि सियासी पटल से पूरी तरह गायब हो चुकी हैं। मोदी-शाह की बीजेपी में उमा भारती आउटडेटेड हैं क्योंकि हिंदुत्व की बात हो या सनातन की चिंता हो। केंद्र सरकार के कई चेहरे उमा भारती से ज्यादा आगे नजर आते हैं। खुद पीएम मोदी सनातन का बड़ा चेहरा बन चुके हैं या प्रोजेक्ट किए जा चुके हैं। जिसके आगे कम से कम बीजेपी में तो कोई और चेहरा टिकना मुश्किल नजर आता है। इसलिए ये मुद्दा उमा भारती की धमक वापस बीजेपी में नहीं गूंजा सकता। शराब बंदी का मुद्दा भी अब पुराना हो चुका है। उमा भारती उसे जितना खींच सकती थीं खींच कर छोड़ चुकी हैं। गंगा जल और गौ सेवा के मुद्दे पर भी उन्हें बीजेपी ने कोई तूल नहीं दी है। तो क्या अब उमा भारती शांत हो जाएंगी या सियासी पटल पर जगमगाते रहने की उनकी छटपटाहट किसी और रूप में बाहर निकलती नजर आएगी।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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