News Strike: पदोन्नति के नए नियम पर उलझा कानूनी पेंच, क्या इस बार खुलेगा रास्ता ?

मध्यप्रदेश में पदोन्नति के नए नियमों पर कानूनी पेंच फंस गया है, जिसके चलते कर्मचारियों को लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार है। अब 12 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ही यह साफ होगा कि कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता खुलेगा या नहीं।

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Harish Divekar
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news strike 9 august

Photograph: (The Sootr)

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मध्यप्रदेश में पदोन्नति हासिल करना सरकारी कर्मचारियों के लिए दूर की कौड़ी बनता जा रहा है। हर बार जब उम्मीद की एक नई किरण दिखती है। कोई न कोई रुकावट आ जाती है। 12 अगस्त को फिर पदोन्नति के बंद दरवाजे खुल सकते हैं। शर्त बस ये है कि अब कोई नया सवाल इसके आड़े न आए। फिलहाल जो हालात हैं उसे देखकर लगता है कि पदोन्नति के नए या पुराने नियम से ज्यादा कर्मचारी संगठनों की आपसी राजनीति इस प्रक्रिया पर भारी पड़ रही है। जिसकी वजह से पदोन्नति के लिए बने नए नियम भी कानूनी दांव पेंच में उलझते नजर आ रहे हैं। 

पदोन्नति की आस लगाए बैठे सैकड़ों कर्मचारियों की उम्मीदों को नई जान मिली थी। जब मोहन यादव की सरकार ने पदोन्नति के नए नियम फाइनल कर दिए थे। सरकार की इस तैयारी से ये लगने लगा था कि बस अब प्रमोशन मिलकर ही रहेगा। लेकिन, अरमान जिस तेजी से सजे थे उतनी ही तेजी से ढह भी गए। नए नियमों के खिलाफ सपाक्स ने याचिका दायर कर दी जिसके चलते जबलपुर हाईकोर्ट नए नियमों के तहत भी प्रमोशन मिलने पर रोक लगा थी। इस मामले की सुनवाई अब 12 अगस्त को होनी है।

इस सुनवाई में सरकार क्या जवाब देगी। उससे तय होगा कि कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ होता है या नहीं। वो भी तब जब सपाक्स या फिर कोई अन्य कर्मचारी संगठन फिर से कोई कानूनी पेंच न फंसा दे तो। फिलहाल खबर ये है कि सारे विभागों ने प्रमोशन की लिस्ट तैयार कर ली है। अगर हरी झंडी मिली तो लंबे इंतजार का अच्छा फल मिल ही जाएगा।

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हाईकोर्ट में 12 अगस्त को हो सकती है सुनवाई

आपको याद दिला दें कि कर्मचारियों की पदोन्नति का ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मप्र सरकार ने ही हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें 2002 के नियमों को निरस्त करने के लिए कहा गया था। उसके बाद सरकार नए नियम भी तैयार कर चुकी है जिस पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होना है। इस मामले में 7 जुलाई को एक सुनवाई हुई थी। उस सुनवाई में सरकार ने जवाब भी पेश किया था। अपने जवाब में सरकार ने ये स्पष्ट किया था कि पदोन्नति के नए नियम और पुराने नियमों में क्या-क्या अंतर है। साथ ही पदोन्नति पर लगी रोक हटाने से जुड़े तथ्य भी पेश किए गए थे। मामले की सुनवाई 15 जुलाई को होना थी। पर कुछ कारणों से सुनवाई टल गई। अब हाईकोर्ट रोस्टर के हिसाब से ये अगली तारीख 12 अगस्त हो सकती है।

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नए और पुराने नियम

अब बात करते हैं नए और पुराने नियमों की। हाईकोर्ट ने साल 2002 में प्रमोशन से जुड़े नियमों को निरस्त कर दिया था। कुछ कर्मचारियों को डिमोट करने के भी आदेश थे। इसी फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। तब से अब तक प्रमोशन का इंतजार जारी है।

सरकार ने जारी कर दी थी नए नियम लागू करने की अधिसूचना

सरकार ने साल इसी साल नए नियम तैयार किए और उन्हें लागू करने की अधिसूचना भी जारी कर दी। न्यूज स्ट्राइक पर हम काफी समय पहले ही बता चुके हैं कि प्रमोशन के क्या नए नियम तैयार हुए हैं और उसके लिए कितनी कवायद की गई। अगर आप भी नए नियम जानना चाहते हैं तो न्यूज स्ट्राइक का यह कॉलम पढ़ें। हालांकि उसके खिलाफ भी मामला दायर हो गया। 

सरकार का जवाब तय करेगा कर्मचारियों का भविष्य

कानूनी पेंच ये है कि फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का मामला चल रहा है क्योंकि पुरानी याचिका पर कोई फैसला नहीं आया है। हर वर्ग के कर्मचारियों की चिंता इस बात की है कि नए नियम लागू होने पर पुराने नियम लागू करने का फैसला आता है तो उस समय प्रमोशन पा चुके कर्मचारियों को डिमोट भी किया जा सकता है। अब ऐसे पेचीदा मामले में सरकार का जवाब काफी हद तक ये तय करेगा कि कर्मचारियों का भविष्य क्या होने वाला है। 

सवाल सिर्फ प्रमोशन और डिमोशन का नहीं है। बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं जो नौ साल का लंबा अरसा नौकरी में गुजार चुके हैं। उनके प्रमोशन के कई चांस बीत गए तो क्या उन्हें डबल प्रमोशन मिल सकेगा। इन सारे सवालों के जवाब मिल गए तो प्रदेश के 4 लाख अधिकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो जाएगा। 

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इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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