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Photograph: (THESOOTR)
NEWS STRIKE : क्या मध्यप्रदेश का किसान भी सड़क पर उतरने और आंदोलन करने पर मजबूर हो गया। बीते कुछ समय से विक्रय केंद्रों पर लग रही किसानों की लंबी कतारें देखने के बाद आप का भी यही सवाल पूछने का मन करेगा। उसके बाद जब आप ये सुनेंगे कि दिन दहाड़े किसानों पर लाठियां भांज दी गईं। उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया तो शायद आप भी गुस्से से उबल जाएंगे।
ये सब दिल्ली या एनसीआर की बॉर्डर का हाल नहीं है। मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। खाद की किल्लत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि खेत में पसीना बहाने की जगह किसान आंदोलन पर मजबूर हो गया है। और, उसे संतुष्ट करने वाला जवाब देने की जगह उस लाठियां बरसाई जा रही हैं।
अन्नदाता सड़क पर उतरने को मजबूर
किसी भी प्रदेश में अन्नदाता ही भाग्य विधाता माने जाते हैं। फिर वो चाहें देश का सेहतमंद भविष्य लिखने की बात हो या फिर नई सरकार का भविष्य तय करने की बात हो। वही अन्नदाता सड़क पर उतरने को मजबूर हो चुका है या यूं कहें कि जब गुस्सा और इंतजार सारी हदें पार कर गया तब किसान सड़क पर उतरा भी और लाठियां भी खाईं।
ताजा मामला रीवा का है। यहां करहिया मंडी में किसान खाद की डिमांड के लिए पहुंचा। खाद नहीं मिली तो मांग पर अड़ भी गया। इसके बाद भी मांग पूरी नहीं हुई तो किसान को आंदोलनकारी बनने में देर नहीं लगी। जो खाद मुहैया न करवा पाने वाले प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगा। उन्हें खाद तो नहीं मिली पुलिस की लाठियां जरूर मिल गई। बताया जा रहा है कि इस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हुई हैं।
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खाद के अभाव में सूखने लगी फसल
किसानों का गुस्सा भी तब फूटा जब उन्हें लाइन में लगे-लगे 24 से लेकर 48 घंटे तक हो चुके थे, लेकिन कोई उन्हें ये जवाब देने नहीं आया कि खाद कब मिलेगी या मिलेगी ही नहीं। मंगलवार की शाम जब बिना कुछ जानकारी दिए काउंटर बंद कर दिया गया तो किसान भी आपे से बाहर हो गया और नारेबाजी करने पर मजबूर हो गया।
रीवा ही नहीं गुढ़, त्योंथर, जवा, मनगंवा और सेमरिया से भी किसानों की ऐसी ही शिकायतें सुनने को मिली। बताया जा रहा है कि गुढ़ में इतने किसान खाद लेने पहुंचे थे कि लाइन एक किमी लंबी हो गई थी। क्या धूप क्या पानी सब कुछ भुलाकर किसान खाद के इंतजार में कतार में ही लगा रहा। कुछ किसानों ने ये दावा भी किया कि खाद न मिलने की दिक्कत कई दिनों से चल रही है। अब खाद के अभाव में फसल भी सूखने लगी है।
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कांग्रेस बार-बार उठा रही खाद का मुद्दा
कुछ महीनों पहले सागर में भी ऐसा ही हाल नजर आया था। जब खाद की खातिर विक्रय केंद्रों पर किसानों की लंबी कतार दिख रही थी। टीकमगढ़ से भी ऐसी ही खबरें सुनने को मिलीं। हरदा के किसानों ने भी खाद की किल्लत से जुड़ी शिकायतें की। बीते साल अक्टूबर में कांग्रेस नेता और पूर्व कृषि मंत्री अरूण यादव ने भी एक वीडियो शेयर कर किसानों का हाल दिखाया था।
कांग्रेस तब से अब तक लगातार खाद की कमी का मुद्दा बार-बार उठा रही है। ये अलग बात है कि कांग्रेस ने खुद इस पर अब तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया, लेकिन सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता लगातार सक्रिय बने हुए हैं। जुलाई में पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी इस संबंध में काफी लंबा ट्वीट किया था।
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सरकार को न खेती की न किसानों की चिंता: सिंघार
कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा था कि खाद की आपूर्ति लगातार बिगड़ती जा रही है। उन्होंने अमरवाड़ा में किसानों के प्रदर्शन का जिक्र भी किया और लिखा कि सुबह चार बजे से लाइन में लगे किसान को खाद नहीं मिल पा रही। अगर हफ्ते भर तक खाद नहीं मिली तो उसके बाद खाद मिलना किसी काम का नहीं रहेगा।
कमलनाथ ने प्रशासन पर आरोप भी लगाया कि प्रशासन सब जानता है कि कब किसान को खाद की जरूरत है उसके बाद भी खाद की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। किसानों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि प्रशासन किसानों को जल्द से जल्द खाद मुहैया करवाए।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार भी खाद का मामला उठा चुके हैं। उन्होंने लाइन में लगे किसानों का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बीजेपी सरकार को न खेती की चिंता है और न ही किसानों की। डीएपी के बाद अब यूरिया भी लापता है।
प्रशासन का दावा, खाद का पर्याप्त स्टॉक मौजूद
इससे ये तो जाहिर होता है कि खाद की किल्लत का मुद्दा अब करीब-करीब एक साल पुराना हो चुका है। ये हाल तब है जब देश के कृषि मंत्री खुद 18 सालों तक प्रदेश के मुखिया रह चुके हैं और किसान पुत्र के नाम से मशहूर हुए हैं। जाहिर है ऐसे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी प्रदेश के किसानों को बहुत आस होगी जो अब टूटती नजर आ रही है।
रीवा में किसानों पर लाठियां तक भांजी जा चुकी हैं और प्रशासन ये दावा कर रहा है कि खाद का भरपूर स्टॉक मौजूद है। रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा कि खाद का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और वितरण पर भी सख्त निगरानी रखी जा रही है। कुछ और अफसर ये दावा भी कर रहे हैं कि खाद लेने आए किसानों को पानी और ओआरएस भी दिया जा रहा है और छांव का भी पूरा बंदोबस्त है।
बड़ा सवाल... कब तक बनी रहेगी खाद की किल्लत
सवाल ये है कि जब खाद की किल्लत नहीं है तो किसानों को खाद क्यों नहीं मिल रही। क्यों अन्नदाता खाद की खातिर परेशान घूम रहा है। अगर प्रशासन के दावे के मुताबिक खाद भरपूर है तो उस कड़ी की तलाश क्यों नहीं हो रही। जिसकी वजह तक किसानों तक खाद क्यों नहीं पहुंच रही।
ये सवाल अब सरकार से भी होने लगे हैं कि खाद की किल्लत कब तक बनी रहेगी और उसे दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। इस पर स्थिति स्पष्ट की जाए। किसानों पर लाठियां बरसाने की घटना को शर्मनाक ही कहा जाएगा। ये तो तय है कि इस घटना के बाद अब सरकार पर दबाव बढ़ेगा। संभव है कि इसके बाद खाद की कमी को दूर करने के पुरजोर उपाय किए जाएं।
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News Strike | News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर