News Strike: धर्म परिवर्तन पर बवाल, डेथ पेनल्टी की पैरवी के बाद भी सजा देने में पिछड़ा

मध्यप्रदेश में धर्मांतरण पर विवाद बढ़ता जा रहा है। सरकारी कर्मचारी भी इस खेल में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। शिवपुरी और जबलपुर में ऐसे मामले सामने आए हैं, जबकि राज्य ने धर्मांतरण पर सख्त सजा की पैरवी की है।

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Harish Divekar
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Photograph: (thesootr)

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 NEWS STRIKE (न्यूज स्ट्राइक): मध्यप्रदेश में धर्मांतरण का खेल जोर पकड़ता जा रहा है। 20 साल की बीजेपी सरकार के राज में अब सबसे संगीन आरोप ये है कि सरकारी कर्मचारी भी इस खेल का हिस्सा बन गए हैं।

पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के कई हिस्सों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं और धर्म बदलवाने का मुद्दा गहराता जा रहा है। शिवपुरी से लेकर जबलपुर तक ऐसे मामलों की झड़ी लगी हुई है। ये हालात तब हैं जब मध्यप्रदेश धर्मातरण के मामले में सख्त सजा की पैरवी करने वाला पहले राज्य बन चुका है। 

लगातार आ रही धर्मांतरण की शिकायत 

धर्मांतरण से जुड़े कई मुद्दे विवाद या बहस का विषय ही रहे हैं। जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाना अपराध है, लेकिन माइंडवॉश करके धर्मांतरण करवाने को अपराध माना जाए या आम बात, ये तय करना बहुत मुश्किल हो जाता है। सही और गलत की इसी महीन लकीर के आरपार हो कर धर्मातरण का खेल खेला जाता है। पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से धर्मांतरण की शिकायत आ रही है। हम शुरुआत ताजा मामले से करते हैं। ताजा मामला शिवपुरी का है। जहां हिंदुवादी संगठनों के निशाने पर सरकारी कर्मचारी और कलेक्टर भी हैं। 

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शिवपुरी में सरकारी जमीन पर कब्जे

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकारी कर्मचारी यहां धर्मांतरण में मदद कर रहे हैं। चर्च बनवाने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा कर चुके हैं। इस बात को लेकर प्रदर्शन कर रहे हिंदुवादी संगठनों ने बदरवास के गुडाल गांव, अगरा गांव और रामपुरी में तैनात सरकारी कर्मचारियों पर निशाना साधा है।

खबर है कि उनके प्रदर्शन के बाद पुलिस मुस्तैद हुई और चर्च का निर्माण कार्य रुकवाया। दोनों संगठनों ने अपनी शिकायत में चंद सरकारी कर्मचारियों के नाम भी मेंशन किए हैं। जिसमें वीरेंद्र कुमार तिर्की, अनीता भगत, राजपाती बाई नाम के टीचर्स शामिल हैं और सुगंध चंद पेकरा नाम के पटवारी पर भी यही आरोप लगे हैं। संगठन के विभाग मंत्री नरेश ओझा के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि वन विभाग की जमीन पर गुपचुप तरीके से चर्च बनवाया जा रहा था। संगठनों का ये आरोप भी है कि सब कुछ जानते हुए भी कलेक्टर खामोश बने हुए हैं।

जबलपुर में ईसाई समाज ने रखा भोज

ये तो हुई शिवपुरी की बात। जबलपुर में भी धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है। यहां के कटंगा क्षेत्र में कॉलेज है हवाबाग कॉलेज। इस कॉलेज के पीछे दो समुदाय के युवक आपस में भिड़ गए और तनाव का माहौल बन गया।

हिंदू समुदाय के युवकों का आरोप है कि हवाबाग के चर्च के कम्युनिटी हॉल धर्मांतरण का काम चल रहा था। यहां ईसाई सुमदाय के लोगों ने एक भोज रखा था। जिसमें सिर्फ दिव्यांग बच्चे बुलाए गए थे। जिसमें बड़ी तादाद में नेत्रहीन छात्र मौजूद थे। इस भोज की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैली। कुछ ही देरम विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और बीजेपी के कार्यकर्ता उस जगह पर पहुंचे। 

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भोज के समय की गई थी प्रार्थना

दोनों ही समुदाय के युवकों का आमना सामना हुआ तो बात तो बिगड़नी ही थी। वही हुआ भी। बताया जा रहा है कि दोनों ही पक्षों में जमकर लात घूंसे चले। इस बात की खबर पुलिस तक भी पहुंची।

मामला भी तब ही संभला जब पुलिस ने आकर दोनों पक्षों को रोक। हालांकि, पुलिस के सामने ईसाई समुदाय ने धर्मांतरण के आरोप को सिरे से खारिज भी कर दिया। इसे क्रिसमस की खुशी में दिया जाने वाला आम भोज भी बताया। पर हिंदूवादी संगठन जांच की मांग पर अड़े हुए हैं। इस भोज में शामिल हुए छात्रों ने ये भी बताया कि खाने से पहले उन लोगों के साथ मिलकर प्रेयर भी हुई। 

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आदिवासियों का कर रहे हैं ब्रेन वॉश

जबलपुर में इससे पहले भी एक मामला सामने आ चुका है। जिले की कुंडेश्वर तहसील में चल रही चंगाई सभा पर हिंदूवादी संगठनों ने धर्मांतरण का आऱोप लगाया है। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि यहां के भोले भाले आदिवासियों का ब्रेन वॉश कर चंगाई सभा उन्हें ईसाई बनाने में जुटी हुई है।

महासभा के प्रतिनिधियों ने मीडिया को बताया कि उन्हें कई दिनों से लगातार ये खबर मिल रही थी कि यहां धर्मांतरण का काम जारी है। ये जानकारी मिलने के बाद कई कार्यकर्ता अचानक गांव पहुंचे और एक घर पर धावा बोल दिया। घर के अंदर उन्हें बाइबिल मिली और कई लोग प्रेयर करते भी नजर आए। ये जानकारी मिलते ही कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने भी कई लोगों को गिरफ्तार किया और धारा 151 के मामला दर्ज कर लिया। 

ये हालात तब हैं जब मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन गया है जो जबरन धर्मांतरण के खिलाफ डेथ पेनल्टी यानी मौत की सजा का प्रपोजल भी रख चुका है। महिला सशक्तिकरण दिवस के मौके पर ही ये ऐलान किया गया था कि मध्यप्रेदश में माइनर गर्ल्स और महिलाओं का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने पर डेथ पेनल्टी की अनुशंसा की जाएगी। 

धर्म परिवर्तन पर कोई बड़ा फैसला नहीं

संविधान के आर्टिकल 25 के तहत मध्यप्रदेश सरकार ने ये प्रपोजल आगे बढ़ाया था। आपको बते दें कि आर्टिकल 25 किसी भी व्यक्ति के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बना है, लेकिन इस पर बात करना इतना आसान नहीं है। अक्सर इसमें दो मुश्किलें सामने आती हैं। पहली तो यही कि अगर कोई व्यक्ति या परिवार स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करवाता है तो वो खुद किसी के खिलाफ शिकायत नहीं लिखवाता है।

भले ही मामला माइंड वॉश से जुड़ा हो। कई बार ऐसा भी होता है कि पर्सनल दुश्मनी के चलते लोग ऐसी शिकायतें लिखवा देते हैं। इसलिए जब तक पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता कानूनन सजा देना आसान नहीं होता। इसलिए फांसी की सजा या ठोस सजा देने मुद्दों पर कोई बड़ा फैसला अब तक नहीं हो पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इतना जरूर कहा है कि रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों पर ही सख्त सजा या डेथ पेनल्टी के बारे में सोचा जा सकता है। 

धर्मांतरण के मुद्दों पर कार्रवाई आसान नहीं

इससे ये तो साफ है कि अवैध धर्मांतरण के मुद्दों पर कार्रवाई कर पाना इतना भी आसान नहीं है। शायद इसलिए पुलिस बी धारा 151 पर मामला दर्ज कर अपना काम खत्म कर लेती है। इस बारे में विधानसभा में भी सवाल उठ चुका है और जवाब बहुत ही चौंकाने वाला है। विधानसभा के एक सत्र में 1 जनवरी 2020 से 15 जुलाई 2025 तक के धर्मांरण से जुड़े मामलों की जानकारी चाही गई। 

बीजेपी विधायक आशीष गोविंद शर्मा ने इस संबंध में सवाल पूछा था। जिसके जवाब में बताया गया कि इस समय के दरम्यान करीब 283 धर्मांतरण से जुड़े मामले दर्ज हुए। जिसमें से सत्तर प्रतिशत मामले अब भी विचाराधीन हैं। तीस प्रतिशत मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया है या फिर उन पर जांच चल रही है। इसमें से कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें समझौता हो गया और बात ही रफा दफा हो गई।

धर्मांतरण पर गहराई से विचार जरूरी

एक तरफ धर्मांतरण के मामले और दूसरी तरफ मामला दर्ज होने की व्यवस्था और उन पर आए फैसले। ये जाहिर करते हैं कि सख्त सजा के प्रपोजल के बावजूद इस संगीन मामले में कुछ खास बदलाव नहीं आया है। लव जिहाद और धर्म परिवर्तन की खिलाफत तो जोरों पर है पर जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होगी। उनका रुकना या कम होना कैसे संभव होगा। इस पर गहराई से विचार जरूरी है।

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