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Photograph: (thesootr)
NEWS STRIKE (न्यूज स्ट्राइक): एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का फॉर्म नहीं भरा तो राशन पानी मिलना मुश्किल होगा। ये बात आपने सुनी या नहीं। ये खबर आपने किसी फॉर्म या नियमतालिका में भले ही न पढ़ी हो, लेकिन है बहुत सुर्खियों में।
पूरे देश में तो नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश में इस एक इंफर्मेशन ने सियासी पारा हाई कर दिया है। वैसे तो एसआईआर की प्रक्रिया पर हर दूसरे दिन देश के किसी हिस्से में कोई न कोई बखेड़ा हो ही जाता है, लेकिन इस बार बीजेपी के ही नेता और मोहन कैबिनेट के मंत्री ने ऐसा बयान दे दिया है कि पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।
मंत्री जी की चेतावनी पर हो गया बवाल
राशन के बारे में आप जानते ही होंगे। गरीबी रेखा से नीचे के लाखों लोगों के लिए राशन रोज की लाइफ लाइन है। इसी राशन की वजह से उन्हें दो वक्त का खाना नसीब होता है। इसी राशन के भरोसे घर चलता है और बच्चे बड़े होते हैं।
अब जरा सोचिए कोई किसी दिन ये कह दे कि राशन मिलना बंद होने वाला है। तो, ऐसे परिवारों पर क्या बीतेगी जो राशन के भरोसे दिन गुजारते हैं। इसलिए जब मंत्री महोदय ने एसआईआर के नाम पर राशन न मिलने की चेतावनी दी तो बवाल खड़ा हो गया। ये मंत्री हैं गोविंद सिंह राजपूत। जो सीएम मोहन यादव की कैबिनेट का हिस्सा हैं और भारीभरकम विभाग का जिम्मा संभालते हैं।
जरा और पुराने इतिहास की बात करें तो याद दिला दें कि गोविंद सिंह राजपूत पहले कांग्रेसी थे और दल बदलकर बीजेपी में आए हैं। कट्टर सिंधिया समर्थक कहे जाने वाले मंत्रीजी का सागर जिले में भी अच्छा खासा दबदबा है। उनके आगे पार्टी के पुराने दिग्गज भी फीके पड़े हुए हैं। यही मंत्रीजी एसआईआर पर ऐसी बात बोल गए कि बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा है।
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SIR में नाम नहीं जुड़वाया तो राशन-पानी...
मध्यप्रदेश में खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग की कमान संभाल रहे गोविंद सिंह राजपूत का बयान बहस का कारण बन गया है। ये बयान उन्होंने सागर जिले में हुए एक कार्यक्रम में ही दिया। सोशल मीडिया के दौर में उनका बयान पोस्ट की आग बनकर फैल गया।
गोविंद सिंह राजपूतअपने वायरल वीडियो में ये कहते सुने जा सकते हैं कि गांव में मतदाता सूची का काम चल रहा है। सभी लोग अपना नाम जुड़वा लें। उन्होंने ये भी साफ किया कि इस बार नाम अलग तरह से जोड़े जा रहे हैं।
इसके बाद वो ये चेतावनी भी देते हैं कि अगर नाम नहीं जुड़वाया तो आपका राशन पानी, आधार कार्ड और दूसरी कई सुविधाएं रोकी जा सकती हैं। इन सुविधाओं को बंद करने की बात कहना मंत्रीजी को बहुत भारी पड़ गया। क्योंकि इसे सुनकर ही कई यूजर्स हैरान रह गए। जिसमें बीजेपी औऱ कांग्रेस दोनों के नेता भी शामिल हैं।
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कमलनाथ ने बयान को बताया लोकतंत्र पर हमला
ये वीडियो 28 नवंबर के आसपास का बताया जा रहा है। जिसके सोशल मीडिया पर वायरल होते होते आज का दिन आ गया है। वीडियो की जानकारी मिलते ही कांग्रेस ने मौका लपक लिया और इसे आम जनता को गुमराह करने वाला बयान बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी एसआईआर के नाम पर मतदाताओं पर दबाव बना रही है।
कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस मामले पर लंबा चौड़ा ट्वीट किया और लिखा कि ये साफ नजर आ रहा है कि बीजेपी पहले राशन पानी छीनेगी और फिर मुफ्त इलाज, किसानों को खाद, महिलाओं को मिलने वाला लाड़ली बहना का पैसा, छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति और सारी सुविधाएं बीजेपी छीन लेगी। कमलनाथ ने इस बयान को लोकतंत्र पर सीधा हमला भी बताया।
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नहीं आई गोविंद सिंह राजपूत की कोई प्रतिक्रिया
हालांकि, खबर लिखे जाने तक इस मामले पर खुद गोविंद सिंह राजपूत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। न ही बीजेपी की तरफ से कोई रिएक्शन आया। इस बयान पर पार्टी की चुप्पी से ये तो साफ है कि वो भी बयान पर डैमेज कंट्रोल का तरीका ढूंढ रही है। वैसे ऐसे मामलों पर चुप्पी ही बड़ा हथियार होती है। इस यकीन के साथ कि कुछ दिनों बाद बयान खुद ब खुद भुला दिया जाएगा और सब कुछ पहले जैसा ही चलता रहेगा। खासतौर से जब विपक्ष कमजोर और कम एक्टिव हो। शायद इसलिए बीजेपी निश्चिंत है।
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SIR में ऐसा कोई नियम नहीं जिससे सुविधाएं छिने
पर न्यूज स्ट्राइक में हम आम जनता को ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि एसआईआर की प्रक्रिया आवश्यक है और इसमें शामिल होना भी जरूरी है। इस काम के लिए बीएलओ और बीएलए भी तैनात किए गए हैं। जो आपके घर पर आकर ही फॉर्म देंगे और आपके घर से ही भरा हुआ फॉर्म भी कलेक्ट करेंगे। बस कुछ जरूरी दस्तावेज हैं जो पूरे होना चाहिए। उसके बाद ही आप इस प्रक्रिया से पूरी तरह जुड़ सकेंगे।
पर, ये भी ध्यान रखें कि एसआईआर की प्रक्रिया के तहत ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे चूकने पर आप से राशन या आधार कार्ड जैसी सुविधाएं छीन ली जाएंगी। राजनेताओं की बातों या किसी भी विवाद में उलझने से पहले प्रक्रिया को समझें और फिर इसका हिस्सा बनें।
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