News Strike: हेमंत खंडेलवाल का पॉलिटिकल प्रयोग, मंत्रियों को जारी किया नया फरमान, कार्यकर्ताओं को राहत

मध्यप्रदेश में बीजेपी ने मंत्री से मिलने का नया तरीका शुरू किया। अब मंत्री प्रदेश बीजेपी कार्यालय में बैठेंगे। कार्यकर्ता उनके पास आसानी से जा सकते हैं और समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

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Harish Divekar
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news strike 3 december

Photograph: (The Sootr)

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मध्यप्रदेश में मंत्री से मिलना है तो मंत्रालय के चक्कर मत काटिए। अब बस आप बीजेपी कार्यालय पहुंच जाइए। मंत्रीजी आपको वहीं मिल जाएंगे। सियासी मामलों में मध्यप्रदेश में बीजेपी हमेशा ही नए प्रयोग करती रही है। हम कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश बीजेपी की पॉलिटिकल लैबोरेटरी है। जहां अमूमन हर प्रयोग सफल ही रहा है। फिर वो चाहे लाडली लक्ष्मी का प्रयोग हो या लाडली बहना योजना का। और, अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के निर्देश पर बीजेपी ने मंत्रियों को लेकर नया प्रयोग शुरू किया है।

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बीजेपी ऑफिस में बैठेंगे मंत्रीजी

किसी भी प्रदेश में मंत्री से मिलना बहुत आसान नहीं होता। आम आदमी के तो चक्कर लगा-लगाकर जूते तक घिस जाते हैं। इसके बाद भी मंत्री से मुलाकात हो ही जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती। मध्यप्रदेश में भी हालात कमोबेश ऐसे ही होते जा रहे थे। इसका तोड़ निकाल लिया है प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने। बीजेपी में लंबे समय से ये शिकायत मिल रही थी कि मंत्री से मिलना मुश्किल हो रहा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं का ये दर्द भी था कि तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं होती।

इस शिकायत का हल कुछ यूं निकला है कि अब कार्यकर्ता को अपने क्षेत्र के काम कराने या समस्याएं बताने के लिए मंत्री के बंगले या मंत्रालय के चक्कर काटने ही नहीं पड़ेंगे। सप्ताह में दो दिन छोड़कर मंत्री प्रदेश भाजपा कार्यालय में ही बैठेंगे। यानी कि सोमवार से शुक्रवार तक कोई न कोई मंत्री प्रदेश कार्यालय में मौजूद होगा। उनकी बैठक का समय मुकर्रर हुआ है एक बजे से तीन बजे तक के बीच का। इस दौरान वो कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। और, जितना हो सकेगा मौके पर ही समस्या का समाधान भी करेंगे। 

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कार्यकर्ता-मंत्री के बीच फासले को पाटने की कवायद

आपको कुछ ही दिन पहले हमने ये भी बताया था कि बीजेपी ने समन्वय टोली का गठन किया है। इस टोली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और पार्टी की रीति-नीति को समझने वाले नेता शामिल हैं। ये टोली इस मसले पर गंभीरता से मंथन कर रही थी कि कार्यकर्ता और मंत्री के बीच बढ़ रहे फासले को कैसे पाटा जाए। इसी मंथन में ये नतीजा निकला है। हेमंत खंडेलवाल के निर्देश पर एक दिसंबर से इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। हर दिन एक मंत्री और एक राज्यमंत्री प्रदेश कार्यालय में बैठ रहे हैं। सबसे पहले उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राज्यमंत्री गौतम टेटवाल ने प्रदेश कार्यालय में बैठक की। 

अगली बैठक में होगा फॉलोअप

सोमवार से शुरू हुए इस सिलसिले के तहत जगदीश देवड़ा और गौतम टेटवाल ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। सारी एप्लीकेशन्स भी उन्हें वहीं सौंप दी गई हैं। कुछ मामलों में मंत्री ने वहीं के वहीं कार्रवाई के भी निर्देश जारी कर दिए हैं। इसका फॉलोअप अगली बैठक में होगा। इसके बाद बीजेपी की कोशिश होगी कि कार्यकर्ताओं तक भी ये जानकारी पहुंचे कि उनकी किस शिकायत या समस्या पर क्या कार्रवाई हुई है। इन बैठकों पर हेमंत खंडेलवाल का कहना है कि इससे संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय कायम हो सकेगा। साथ ही व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी भी होगी। 

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कार्यकर्ताओं को पसंद आ रहा नया प्रयोग

सारे मंत्रियों को ये निर्देश भी दिए गए हैं कि इस व्यवस्था को कंटिन्यू रखने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश हो। किसी भी मंत्री की बैठक का दिन तब ही एडजस्ट होगा जब पार्टी का कोई खास कार्यक्रम या बैठक हो। बीजेपी के हलकों में खबर है कि नए अध्यक्ष का ये नया फरमान कार्यकर्ताओं को खासा पसंद आ रहा है। उन्हें यकीन है कि अब अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर सीधे मंत्री से मिलना पहले से कहीं ज्यादा आसान होगा। बस उन्हें ये पता होना चाहिए कि कौन सा मंत्री किस दिन कार्यालय में मौजूद होगा।

इसकी एक मोटी-मोटी लिस्ट भी जारी कर दी गई है। मसलन एक दिसंबर को जगदीश देवड़ा और गौतम टेटवाल की बैठक हुई। उसके अगले दिन यानी दो दिसंबर को राकेश सिंह और दिलीप अहिरवार की बैठक हुई। तीन दिसंबर को विश्वास सारंग और लखन पटेल की बैठक हुई। कल यानी कि चार दिसंबर को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और लखन पटेल से कार्यकर्ता मिल सकेंगे। 5 दिसंबर को मंत्री विजय शाह और नरेंद्र शिवाजी पटेल का नंबर आएगा। 

सीएम की भी है रजामंदी 

बताया जा रहा है कि हेमंत खंडेलवाल के इस फैसले पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी रजामंदी जाहिर की है। उसके बाद ही इस प्रयोग पर अमल शुरू हुआ है। सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल बनाने के लिहाज से ये प्रयोग बेहद अहम भी माना जा रहा है। अगर ये प्रयोग एमपी की सियासी लैबोरेटरी में कामयाब होता है तो ये भी तय है कि बीजेपी दूसरे प्रदेशों में भी इसे लागू कर ही देगी। उम्मीद की जा सकती है कि इसके बाद शायद कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर होगी। और मंत्री भी पूरी शिद्दत से इस नए नियम को मानने में पीछे नहीं रहेंगे।

इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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