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Photograph: (The Sootr)
तालाब में रह कर मगरमच्छ से बैर। ये कहावत अगर मध्यप्रदेश के संदर्भ में होती तो कुछ यूं कही जाती कि ग्वालियर चंबल में रह कर महाराज से बैर। जो कोई भी बहुत सोचसमझ कर करता है। लेकिन, बीजेपी के ही एक विधायक हैं। बिलकुल बेबाक और बिंदास। उन्होंने महाराज के सामने ही मजाक-मजाक में ऐसे बयान दिए हैं जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुके हैं। महाराज से विधायकजी का बैर थोड़ा पुराना भी बताया जाता है। पर अब दोनों एक ही पार्टी में हैं सो मिलजुलकर चलना मजबूरी है। लेकिन, मौका मिलने पर विधायकजी भी विधानसभा में देख लेने की धमकी दे ही देते हैं। उनके अंदाज का माखौल बनाने से खुद महाराज सिंधिया भी नहीं चूके। ज्योतिरादित्य सिंधिया यूं तो धीर गंभीर नेता हैं। लेकिन, विरोधियों पर तंज कसना हो तो उनका मिजाज कुछ बदला-बदला ही दिखता है। फिर भले ही विरोधी अपने ही दल का हो या दूसरे दल का हो।
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सिंधिया का मिजाज भले ही मजाकिया हो, लेकिन पूरी बातचीत में एक तीखा तंज छिपा है। तंज भी उसी विधायक पर हैं जो उनके ठीक बगल में बैठे हुए नजर आए। विधायक का नाम है पन्नालाल शाक्य। जो अपने खरे-खरे बयानों के लिए फेमस हैं। ऐसा भी हुआ है कि उनके बयान पार्टी के लिए मुसीबत बन गए और बीजेपी ने अधिकारिक रूप से उससे पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन, पन्ना लाल शाक्य का अंदाज नहीं बदला। पन्ना लाल शाक्य गुना सीट से विधायक हैं। सीट का नाम सुनकर तो आप समझ ही गए होंगे कि यहां सिंधिया की पैठ कितनी गहरी होगी। और वो इस सीट को लेकर कितना पजेसिव होंगे। क्योंकि सिंधिया गुना शिवपुरी से ही सांसद हैं। बरसों से इसी सीट से जीत रहे हैं।
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सिंधिया के खिलाफ रही है शाक्य की राजनीति
इसी सीट से पन्ना लाल शाक्य भी चुनाव लड़ते आ रहे हैं और विधायक भी बन रहे हैं। ये राजनीतिक अदावत तब से जारी है जब सिंधिया कांग्रेस में हुआ करते थे। तब शाक्य की राजनीति सिंधिया के खिलाफ ही हुआ करती थी। अब दोनों एक ही पार्टी में हैं। साथ मिलकर एक ही मंच पर नजर भी आते हैं। पर शाक्य के तेवर साफ बताते हैं कि वो भी उन चंद भाजपाइयों में से हैं जो दल बदलुओं को कुछ खास पसंद नहीं करते। शायद इसलिए जब अपने सामने किसी बीजेपी नेता को सिंधिया की तारीफ करते देखते हैं तो कुछ यूं निशाना साधते हैं।
मजाक या सियासी कसक?
बताया जाता है कि गुना में एक सभा में बीजेपी जिलाध्यक्ष सिंधिया की खूब तारीफ कर रहे थे। इसके बाद जब शाक्य को मंच पर आने का मौका मिला तब उन्होंने मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसे मजाक के साथ साथ सियासी कसक भी कहा जाए तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। जो जाहिर करती है कि सिंधिया के खिलाफ बीजेपी में कितने गुट या नेता सक्रिय हैं।
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यहां नहीं विधानसभा में लेंगे जवाब
यही एक मौका नहीं है शाक्य इससे पहले भी मंच पर आकर सिंधिया के सामने ही उनके करीबी को हड़का चुके हैं। मामला 28 नवंबर का है। जब सभा में सिंधिया और कलेक्टर एक ही सोफे पर बैठे थे। गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल को शाक्य ने जमकर लताड़ा। शाक्य ने कहा कि कलेक्टर साहब यहां बैठे हैं। जवाब तो हम उनसे ही लेंगे। ये लंबी-लंबी लाइन क्यों लग रही है। आपकी व्यवस्था कैसी है। क्या महाराज साहब को बदनाम करना चाहते हो कि उनके क्षेत्र में ऐसा क्यों हो रहा है। कभी नहीं चाहूंगा कि महाराज की बदनामी हो। वहां एक महिला लाइन में तड़पती रही और मर गई। इसका क्या कारण है। ये बात उन्होंने खाद की किल्लत के संबंध में कही थी। आखिर में शाक्य ये चेतावनी देने से भी नहीं चूके कि साहब से जवाब तो लेंगे। यहां नहीं तो विधानसभा में लेंगे। उनके इतना कहते ही सभा में सन्नाटा छा गया था। खुद सिंधिया चुपचाप बैठे रहे और कलेक्टर सिर झुकाए सुनते रहे। ये मामला इसलिए भी गंभीर था क्योंकि कलेक्टर कन्याल सिंधिया के करीबी अधिकारी माने जाते हैं।
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सिंधिया पर लगातार कसते रहे हैं तंज
ये किस्सा इतने पर ही खत्म नहीं होता। इसके बाद वाले कार्यक्रम में शाक्य ने अपने बयान से फिर सिंधिया पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि महाराज ने कहा है कि खेल पर ही बोलना कुछ और नहीं बोलना। मैंने भी कहा ठीक है महाराज जैसी आपकी आज्ञा। मंच से विधायक की ये खुली बयानबाजी को सिंधिया के लिए मैसेज भी माना जा रहा है। कानाफूसी यही है कि विधायक बार-बार सिंधिया और उनके मातहतों को समझा रहे हैं कि क्षेत्र में काम नहीं हो रहा है। जिसका नतीजा गंभीर हो सकता है। पुराना कोल्ड वॉर भी इसका एक कारण है। क्योंकि खुद सिंधिया भी कोल्ड वॉर के ठंडेपन में कभी-कभी गर्म छौंका मार देते हैं।
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सिंधिया भी नहीं चूकते कोई मौका
एक वायरल हो रहे वीडियो में सिंधिया ने जिस तरह शाक्य का जिक्र किया। वो साफ बताता है कि खुद वो भी कोई मौका नहीं चूकते हैं। गुना में जिज्जी की पंचायत रेस्ट्रो मार्ट के उद्घाटन के बाद सिंधिया को एक सर्विस बेल दिखाई दी। जिसे उठा कर उन्होंने कहा कि शाक्यजी ये घंटी मैं आपको नहीं लेने दूंगा पता नहीं आप किसकी घंटी बजा दो। दोनों के बीच की ये नोंकझोंक बड़ी मजेदार लगती है। पर, असल मायनों में अंदर ही अंदर ये नोकझोंक बड़ी सियासी लड़ाई बन चुकी है। शाक्य आज महाराज के सामने आम से विधायक लग सकते हैं। पर, परिसीमन के बाद सीट की तासीर बदली तो हो सकता है शाक्य भी लोकसभा का चुनाव लड़ें। ऐसे समय में सिंधिया भी उनकी हार-जीत का बड़ा हिस्सा शेयर करेंगे। सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए ये कहा नहीं जा सकता। फिलहाल ये छोटे-छोटे हमले ये जरूर जाहिर करते हैं कि कोल्ड वॉर का तापमान कभी भी बदल सकता है।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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