News Strike: विदिशा में क्यों शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ हुए बीजेपी नेता, समझिए पूरी इनसाइड स्टोरी ?

शिवराज सिंह चौहान अपनी ही सीट पर पार्टी के विरोध का सामना कर रहे हैं। यह उनकी सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है, लेकिन अब विधायक सड़क पर उतरे हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी के अंदर एक विधायक के बहाने शिवराज पर निशाना साधा जा रहा है।

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Harish Divekar
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news strike 24 november

Photograph: (The Sootr)

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मध्यप्रदेश के पूर्व मुखिया शिवराज सिंह चौहान अपने ही गढ़ में घिरते हुए नजर आ रहे हैं। एक छोटी सी चिंगारी उनकी सीट पर इस कदर आग में बदल रही है कि अब उसकी लपट सोशल मीडिया तक पहुंच रही है। ये उस सीट का हाल है जो बीजेपी की सबसे सेफ सीट मानी जाती है। उस सीट की अगुवाई कई सालों से शिवराज ही कर रहे हैं। इस सीट से भारी मतों से जीते भी और अब इसी सीट पर उनके अपने पार्टी के लोग सड़क पर उतर आए हैं। कोशिश यूं नजर आती है कि एक विधायक के बहाने शिवराज पर निशाना साधने की कोशिश है।

बुरी तरह से सुलग रहा विदिशा

शिवराज के गढ़ से तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस सीट की बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं विदिशा सीट की। इस लोकसभा सीट से शिवराज सिंह सांसद है। और, वे लंबे अरसे तक सांसद भी इसी सीट से रहे हैं। पिछले कई दिनों से विदिशा बुरी तरह सुलग रहा है। यहां भाजपाई ही भाजपाईयों के दुश्मन नजर आ रहे हैं। मामला शुरू हुआ था एक स्थानीय नेता पर हमले से। जो अब ऐसे विरोध प्रदर्शन का रूप ले चुका है कि क्षेत्र के बीजेपी नेता ही अपने सांसद और विधायक के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। एक बार फिर याद दिला दें कि सांसद और विधायक दोनों बीजेपी से ही हैं।

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इस घटना से शुरू हुआ मामला

अब पूरा मसला भी समझा देते हैं कि यहां पर आखिर हुआ क्या है। पूरा माजरा कुछ दिन पहले हुई एक घटना के बाद शुरू हुआ है। विदिशा के बीजेपी नेता विमलप्रकाश तारण पर अचानक किसी ने सरेराह हमला कर दिया। विमल प्रकाश तारण पेशे से वकील भी हैं। उन पर हमला करने वाला शख्स अचानक उनके पास आया। उस वक्त विमल प्रकाश अपनी टू व्हीलर पर बैठे हुए थे। अनजान शख्स ने अचानक उन्हे सड़क पर पकड़ा और चांटे पर चांटे लगाने लगा। इस घटना से सकपकाए विमल प्रकाश तारण ने एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और संजीव नामदेव नाम के शख्स को पकड़ भी लिया। इस कामयाबी को बकायदा आरोपी का जुलूस निकालकर जाहिर भी किया गया।

शिवराज के करीबियों पर हमले का आरोप

घटना के कुछ ही दिन बाद केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित नेता से मुलाकात भी की। सियासी मुलाकातों के मायने कुछ खास ही होते हैं। क्षेत्र के एक आम से नेता से मुलाकात करने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने अगर वक्त निकाला तो उसके पीछे जरूर कोई खास वजह रही ही होगी। वो खास वजह है विमल प्रकाश के आरोप। सरेराह थप्पड़ खा चुके विमल प्रकाश ने इस घटना पर दो लोगों पर आरोप लगाए हैं। इसमें से एक हैं स्थानीय विधायक मुकेश टंडन और केंद्रीय सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा। विमल प्रकाश का ये भी दावा है कि वो लंबे समय से शहर की समस्याओं को लेकर मुखर थे। लगातार सोशल मीडिया पर उन समस्याओं के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। इसलिए उन पर ये हमला करवाया गया। ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके।

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कांग्रेस ने की सियासी रूप देने की कोशिश

इस घटना के बाद से विदिशा में सियासत गर्मा रही है। पहले तो कांग्रेस ने ही पूरे मामले को सियासी रूप देने की कोशिश की। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट भी किया। इसमें विमल प्रकाश का एक वीडियो भी अटैच था। इस वीडियो में विमल प्रकाश साफ कहते सुनाई दे रहे हैं कि मुझे कुछ भी हुआ तो उसके लिए शिवराज के गुर्गे और विधायक टंडन जिम्मेदार होंगे। जीतू पटवारी ने पीएमओ इंडिया से भी सवाल किया कि क्या इस घटना पर कार्रवाई होगी। क्योंकि खुद विमल प्रकाश दोषियों पर रासुका लगाने की मांग कर रहे हैं।

बीजेपी के ही नेता कर रहे खिलाफ में नारेबाजी

इस घटना पर अब तक कुछ नहीं हुआ उससे ये तो साफ है कि आलाकमान फिलहाल तो मुद्दे पर चुप है। पर हकीकत ये भी है कि विमल प्रकाश नाम की चिंगारी अब शिवराज और उनके करीबी विधायक मुकेश टंडन के खिलाफ आग बन चुकी हैं। उनके समर्थन में पूरे विदिशा में जमकर नारेबाजी और हंगामा हो रहा है। क्षेत्र में आए दिन बीजेपी के ही नेता विधायक और सांसद के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। हाथों की तख्तियां पर लिखा हुआ भी देखा जा सकता है कि जनता त्रस्त, विधायक और सांसद मस्त। इससे साफ जाहिर है कि नाराजगी सिर्फ विधायक से नहीं। बल्कि सांसद से भी है। फिलहाल नारेबाजियों में विधायक के नाम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

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जानें पहले ये इतिहास

अब दो छोटे-छोटे इतिहास भी आपको बता देते हैं। सबसे पहले विमल प्रकाश का इतिहास जान लेते हैं। जो करीब 25 साल पुराना है। ये तब की बात है जब शिवराज का कद पार्टी और विदिशा दोनों ही जगह बहुत बड़ा नहीं था। हालांकि वो यहां से सांसद बन चुके थे। उन दिनों विमल प्रकाश शिवराज के काफी करीबी थे। मुकेश टंडन और श्यामसुंदर शर्मा का नाम शिवराज के करीबियों की लिस्ट में तब विमल प्रकाश के बाद ही आता था। उस दौर में ये सब मिलकर विदिशा में बीजेपी को मजबूत बना रहे थे। इसी बीच शिवराज सिंह चौहान सांसद की बजाय विधायक का चुनाव लड़ने लगे और विदिशा से बुधनी में उनका वॉर रूम शिफ्ट हो गया। इस शिफ्टिंग में मुकेश टंडन और शर्मा ने बाजी मारी और बुधनी तक पहुंच बना ली। जबकि विमल प्रकाश लगातार शिवराज से दूर होते चले गए। उसके बाद से ही बताया जाता है कि विमल प्रकाश, शिवराज के खिलाफ बागी तेवर अपनाते रहे हैं।

बीजेपी का मजबूत गढ़ है विदिशा

अब नजर डाल लेते हैं विदिशा लोकसभा सीट पर। जो बीजेपी का मजबूत गढ़ है। ये सीट हमेशा से संघ के प्रभाव में रही है। शायद इसलिए यहां सेंध लगाने की कांग्रेस की कोशिश हर बार नाकाम हो जाती है। विदिशा में पहली बार जब लोकसभा चुनाव हुए तब जनसंघ के पंडित शिव शर्मा इस सीट से सांसद बने। बीच में दो बार कांग्रेस ने सीट पर कब्जा जमाया। लेकिन 1989 में यहां बीजेपी ने वापसी की और उसके बाद से विदिशा लगातार बीजेपी की सबसे सेफ सीट मानी गई। इतनी कि फिर यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। शिवराज खुद यहां से सांसद बने। उसके बाद सुषमा स्वराज इस सीट से जीतीं।

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शिवराज कैसे पाएंगे छुटकारा?

बीजेपी की इतनी सेफ सीट पर बीजेपी के ही नेता, बीजेपी के ही सांसद और विधायक के खिलाफ उमड़ पड़े हैं। इसमें भी कोई बड़ी बात नहीं होगी कि बीजेपी विधायक मुकेश टंडन के बहाने सारे नेताओं के निशाने पर शिवराज सिंह चौहान ही हों। क्योंकि केंद्र में वही इस सीट के कर्ताधर्ता भी हैं और मंत्री भी। तो क्या ये कहा जा सकता है कि अपने ही गढ़ में शिवराज सिंह चौहान को घेरने की बड़ी तैयारी की गई है। और, ये देखना भी काफी दिलचस्प होगा कि राजनीति के मैदान के सबसे धैर्यवान लेकिन चतुर धुरंधर इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाते हैं।

इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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