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Photograph: (thesootr)
NEWS STRIKE (न्यूज स्ट्राइक) : मध्यप्रदेश के मंत्री प्रहलाद पटेल की अगली पीढ़ी भी अब नर्मदा यात्रा के लिए तैयार है। वैसे नर्मदाजी प्रदेश की लाइफलाइन मानी जाती हैं।
अगर हम ये कह दें की राजनीतिक करियर के लिए भी नर्मदाजी किसी लाइफलाइन से कम नहीं हैं। तो शायद कांग्रेस-बीजेपी दोनों को ही एतराज नहीं होगा। क्योंकि दोनों ही पार्टी के आला नेता जरूरत पड़ने पर नर्मदा की परिक्रमा करते रहे हैं। जहां इसके जरिए खुद मजबूत हुए हैं वहीं, अपनी पार्टी में भी जान फूंकी है।
अब प्रहलाद की बेटी प्रतिज्ञा ये काम करने जा रही हैं। हालांकि, उनकी ये नर्मदा परिक्रमा उनके पिता की नर्मदा परिक्रमा से काफी अलग होने वाली है।
नर्मदाजी राजनेताओं की नैया भी पार लगाती हैं
मध्यप्रदेश में एक हजार से ज्यादा किमी लंबी नर्मदाजी की गहराइयों में कुदरत के तमाम राज छुपे हैं तो राजनीति की बहुत सी बातें भी गोते लगाती हैं। उनकी लहरों पर कभी कश्ती सवार होती है तो कभी शिकारे उतरते हैं कभी क्रूज चलते हैं। इन लग्जरी वाहनों के साथ ही नर्मदाजी मौके बेमौके कई राजनेताओं की सियासी नैया को भी पार लगाती हैं। ये इतिहास भी बेहद पुराना है। जब किसी नेता की राजनीति कमजोर पड़ती है वो नर्मदा परिक्रमा पर निकल पड़ते हैं। कुछ इस नर्मदा यात्रा के बहाने आध्यात्मिक हित साधते हैं तो कुछ राजनीतिक मकसदों को पूरा करने के लिए ये यात्रा करते हैं।
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पहले भी कई नेताओं ने की हैं नर्मदा परिक्रमा
नर्मदा यात्रा करने में मध्यप्रदेश के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम शामिल है। शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह दोनों ने नर्मदा यात्रा की। बीजेपी नेता अनिल माधव दवे का नाम तो नर्मदा यात्रा के लिए हमेशा ही याद किया जाता रहेगा।
मोहन कैबिनेट के मौजूदा मंत्री प्रहलाद पटेल की राजनीतिक पहचान तो मजबूत है ही। उनकी सामाजिक और जननेता की छवि को सबसे ज्यादा मजबूती नर्मदा यात्रा या नर्मदा परिक्रमा से ही मिली है। अब उनकी अगली पीढ़ी ने भी ये कमान उठा ली है। उनकी बेटी प्रतिज्ञा पटेल ने अब नर्मदा यात्रा करने का ऐलान कर दिया है।
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15 दिसंबर को अमरकंटक से होंगी रवाना
पटेल परिवार के कई सदस्य नर्मदा यात्रा कर चुके हैं. अब इस पारिवारिक विरासत को प्रतिज्ञा पटेल आगे बढ़ा रही हैं. प्रतिज्ञा पटेल 1330 किमी लंबी नर्मदा परिक्रमा करेंगी. उनकी यात्रा दो साल में पूरी होगी. 15 दिसंबर को जब बिटिया इस यात्रा के लिए अमरकंटक से रवाना होंगी. तब पापा प्रहलाद पटेल और परिवार के बाकी सदस्य भी वहां मौजूद रहेंगे. प्रतिज्ञा की मामी इस यात्रा में उनकी सहयात्री बनने वाली हैं.
प्रतिज्ञा की नर्मदा यात्रा की होगी ड्रोन कैप्चरिंग
हालांकि, प्रतिज्ञा की ये नर्मदा यात्रा अपने पिता की यात्रा से काफी अलग होगी। 1994 में प्रहलाद पटेल ने नर्मदा यात्रा की थी। ये वो दौर था जब आपस में कनेक्ट करने के लिए मोबाइल फोन, इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं। न ही नर्मदा के किनारों पर ऐसी कोई व्यवस्था होती थी कि आसानी से नर्मदा की यात्रा पूरी की जा सके, लेकिन प्रतिज्ञा की नर्मदा यात्रा के समय टेक्नॉलॉजी ने काफी कुछ आसान कर दिया है।
सुनने में आ रहा है कि एक ड्रोन उनके साथ होगा। जो बीच-बीच में उनकी यात्रा को कैप्चर करेगा। उनके साथ एक मिनी ट्रकनुमा गाड़ी भी चलेगी। इसमें उनकी जरूरत के सामान के साथ-साथ उनके मकसद को पूरा करने वाली सामग्री भी होगी।
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यात्रा के दौरान बनेगा गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड
प्रतिज्ञा पटेल अमरकंटक से लेकर अरब सागर तक के अपने सफर को पेटिंग के जरिए केनवास पर उकेरेंगी। यानी नर्मदाजी के उद्गम से लेकर उनके अरब सागर में मिलने तक के अनुभव को रंगों और चित्रों में ढालेंगी। नर्मदाजी के किनारे स्थित धार्मिक स्थलों की पेटिंग बनेगी तो वो स्थान भी पेंटिंग में नजर आएंगे जो नर्मदा के डूब क्षेत्र में आ चुके हैं।
प्लानिंग ये है कि प्रतिज्ञा की पेटिंग्स को सिंहस्थ में प्रदर्शित किया जा सके। कुछ पेंटिंग्स ऐसी होंगी जो दो किमी तक लंबी होंगी। कोशिश है कि पेंटिंग की कुल लंबाई 7 किमी की हो। आपको बता दें कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अब तक 5300 मीटर लंबी पेटिंग का गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज है। अगर प्रतिज्ञा ये पेंटिंग बना लेती हैं तो उसकी लंबाई 7 हजार मीटर तक होगी। यानी यात्रा के साथ ही गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड भी बनेगा।
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ये प्रतिज्ञा की पॉलिटिकल लॉन्चिंग की तैयारी है?
सवाल ये है कि परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा बेटी प्रतिज्ञा पटेल ने ही क्यों संभाला। जाहिर है कि इस नर्मदा यात्रा के बाद प्रतिज्ञा की सोशल इमेज मजबूत होगी। आम लोगों के बीच एक सामान्य और साधारण, डाउन टू अर्थ व्यक्ति की इमेज बनाने का ये एक जाना माना जरिया है। जरिया न भी कहें तो भी सोशल इमेज स्ट्रॉन्ग होना तो तय ही है। तो क्या इसके बाद प्रतिज्ञा की पॉलिटिकल लॉन्चिंग की भी तैयारी है।
क्योंकि नर्मदा परिक्रमा का रास्ता भले ही जटिल हो, लेकिन इसके बाद राजनीति तक जाने का रास्ता आसान हो जाता है। शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह इसके बड़े उदाहरण है।
साल 2016-27 में पूर्व सीएम ने नमानी देवी नर्मदे सेवा यात्रा निकाली थी। 2017-18 में दिग्विजय सिंह नर्मदा यात्रा पर निकले थे। नर्मदा यात्रा का सीधा अर्थ है जनता से जुड़ाव, राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन और चुनावी लाभ।
हालांकि, प्रतिज्ञा की नर्मदा यात्रा में फिलहाल राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन और चुनावी लाभ जैसी कोई मंशा नजर नहीं आती है। पर इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जब सामाजिक छवि मजबूत होगी तो उसे आगे चलकर चुनावी छवि में बदलना आसान होगा। फिलहाल प्रतिज्ञा की प्रतिज्ञा नर्मदा की यात्रा करने और पेंटिंग करने तक सीमित ही नजर आती है।
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