News Strike: SIR का मध्यप्रदेश में भी विरोध, कांग्रेस ने रखी मांगें, बीजेपी ने साधी चुप्पी

मध्यप्रदेश में एसआईआर (स्पेशल समरी रिविजन) की प्रक्रिया पर कांग्रेस ने विरोध जताया है, जबकि बीजेपी ने चुप्पी साधी है। कांग्रेस का आरोप है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य आदिवासी समुदाय के वोट काटना है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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Harish Divekar
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Photograph: (THESOOTR)

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NEWS STRIKE (न्यूज स्ट्राइक) : बिहार के बाद SIR पर मध्यप्रदेश में भी बवाल शुरू हो गया है। एसआईआर यानी स्पेशल समरी रिविजन अब मध्यप्रदेश में भी होना है।

चुनाव आयोग के SIR के ऐलान के बाद कांग्रेस ने यहां विरोध के सुर बुलंद कर दिए हैं। बीजेपी खामोश है। कांग्रेस के बयानों से प्रदेश में सियासी भूचाल तो आया ही है।

पर, ये समझना जरूरी है कि जब एमपी, बीजेपी का मजबूत गढ़ बन चुका है तो यहां एसआईआर की क्या जरूरत थी। यहां घुसपैठ का भी कोई डर नहीं है। फिर कांग्रेस क्यों इसका विरोध कर रही है और बीजेपी को इस प्रक्रिया से क्या फायदा हो सकता है चलिए समझते हैं।

वैलिड SIR के लिए ये दस्तावेज जरूरी 

चुनाव आयोग ने कुछ ही दिन पहले एक प्रेस कान्फ्रेंस में ये ऐलान कर दिया है कि मध्यप्रदेश में भी SIR होगी। मध्यप्रदेश के अलावा अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी SIR होगी।

ये जानकारी देने के बाद चुनाव आयोग ने फिलहाल राज्य सरकार को ये निर्देश भी दिए हैं कि जरूरी अफसरों के तबादले निश्चित तारीख तक रोक दिए जाएं। ताकि एसआईआर के काम में कोई रुकावट न आए। इसके साथ आपको ये भी बता देते हैं कि कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी हैं। जो आपको SIR में वैलिड मतदाता बताने में मदद करेंगे।

आपके पास केंद्र या राज्य सरकार का पेंशन पेमेंट ऑर्डर होना चाहिए। इसके अलावा बैंक, पोस्ट ऑफिस, एलआईसी का प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, एजुकेशन का प्रमाण पत्र, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फॉरेस्ट राइट सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, एनआरसी दस्तावेज, फैमिली रजिस्टर, जमीन या मकान का आवंटन प्रमाण पत्र होना चाहिए।

इसके अलावा हर एक चीज की बारीकी से जांच के लिए भी चुनाव आयोग ने बहुत से निर्देश दिए हैं। जैसे बीएलओ को पांच-पांच चक्कर लगाकर SIR में वोटर का नाम सुनिश्चित करना होगा। इसके बावजूद पश्चिम बंगाल में भी इसका विरोध जारी है। 

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एक माह चलेगा प्रदेश में SIR का काम 

मध्यप्रदेश में भी विरोध की आग जोर पकड़ रही है। कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने SIR का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि SIR के बहाने बीजेपी करीब पचास लाख मतदाताओं का नाम काटने की तैयारी में है।

आपको बता दें कि SIR का काम प्रदेश में पूरे एक माह तक चलेगा। जिसमें घर-घर जाकर वैरीफिकेशन होगा। कांग्रेस की आपत्ति ये है कि इतने कम समय में वैरिफिकेशन और दस्तावेजों की जांच कैसे हो सकेगी। उमंग सिंगार ने कहा कि इतने कम दिनों में 5 करोड़ मतदाताओं का वेरिफिकेशन कैसे होगा।

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पचास लाख वोटर्स के नाम कटने का अंदेशा

कांग्रेस ने SIR इस पूरी प्रक्रिया को आदिवासियों के खिलाफ बड़ी साजिश बताया है। आपको फिर से याद दिला दें कि बिहार जैसे प्रदेश में घुसपैठियों का और अवैध शरणार्थियों का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए SIR की प्रक्रिया को काफी टाइट रखा गया। लेकिन मप्र में ऐसा कोई डर नहीं रहता।

इसके बावजूद कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि बीजेपी वोटर्स के नाम काट सकती है। ऐसे पचास लाख वोटर्स जिनके नाम कटने का अंदेशा कांग्रेस को है, वो आदिवासी तबके से हो सकते हैं।

उमंग सिंगार ने कहा कि झाबुआ और अलीराजपुर जैसे क्षेत्रों में ऐसे बहुत से आदिवासी हैं जो काम की तलाश में दूसरे प्रदेश जाते हैं। उनके पास दस्तावेज और मोबाइल फोन दोनों नहीं होते। उन्हें इस प्रक्रिया में कैसे शामिल किया जाएगा।

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SIR को लेकर कांग्रेस ने रखी मांगे 

  • कांग्रेस को अंदेशा है कि जब बीएलओ उनकी जांच के लिए घर जाएंगे तो वो लोग मिलेंगे ही नहीं। इसलिए कांग्रेस ने खास मांगे भी रखी हैं-
  • पहले से एक ही जगह पर जमे बीएलओ को बदला जाए। 
  • SIR की प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाला फॉर्म हिंदी में हो। 
  • जिन मतदाताओं के नाम 2025 की सूची में हैं, उन्हें विलोपित न किया जाए। 
  • मतदाता सूची को आधार से भी जोड़ा जाए।
  • जिन घरों में दस या पंद्रह लोग रहते हैं उनके सत्यापन के लिए अलग से घोषणा पत्र होना चाहिए। 
  • किसी भी मकान का नंबर जीरो नहीं होना चाहिए।

सीधा फायदा बीजेपी को: दिग्विजय सिंह

उमंग सिंगार के विरोध के बाद दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का सीधा फायदा बीजेपी को ही होगा। उन्होंने आधार कार्ड को भी मान्य दस्तावेज बनाने की मांग की है। साथ ही डिजिटल वेरिफिकेशन की सुविधा हर राजनीतिक दल को देने की भी मांग की है। 

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का फोकस एमपी पर 

आपको याद दिला दें कि कांग्रेस जिस वोट चोरी का मुद्दा बार-बार उठा रही है। उसमें एक ही घर में बहुत सारे लोग रहने और मकान का नंबर जीरो होने जैसी शिकायतें मिली थीं। जिन्हें देखकर लगता है कि कांग्रेस का डर बिलकुल वाजिब हो सकता है।

बिहार के बाद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एमपी पर फोकस करने की तैयारी में है। कांग्रेस भी धीरे-धीरे एग्रेसिव रूप ले रही है। जिसे देखते हुए SIR को लेकर इतने संशय होना लाजमी भी है।

हालांकि, बीजेपी ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। देखना ये है कि क्या प्रदेश में SIR का काम स्मूदली आगे बढ़ता है या बिहार जैसा बवाल यहां भी खड़ा होता है।

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