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Photograph: (The Sootr)
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने साफ कर दिया है कि उनके दौर में बीजेपी का चाल चरित्र और चेहरा वीडी शर्मा की बीजेपी से काफी अलग होगा। उनके फैसलों में इस बात की झलक दिखने भी लगी है। एक पुराने खांटी भाजपाई के काम करने का तरीका उन्होंने अख्तियार किया है। इसके साथ ही सिंधिया गुट को किनारे लगा कर ये भी साफ कर दिया है कि उनके मामलों में किसी का दखल नहीं चलेगा। फिर वो नेता चाहें कितना भी दिग्गज क्यों न हो या उस नेता का कट्टर समर्थक ही क्यों न हो।
बीजेपी की नई टीम बनने के बाद से वाकई बीजेपी का चेहरा बदला बदला नजर आ रहा है। नया चेहरा ताजगी और नयापन लिए हुए तो दिख ही रही है। इसके साथ ही कुछ बड़े नेताओं के दबदबे से भी मुक्त नजर आ रही है। हेमंत खंडेलवाल ने अपनी नई टीम बनाने के लिए पार्टी के ही पुराने नेता को फॉलो किया है।
किस तरह से वो पहले समझ लेते हैं। और फिर बात करते हैं कि किस तरह दिग्गज नेताओं के समर्थक खासतौर से सिंधिया समर्थकों को अलग-थलग कर दिया गया है। हेमंत खंडेलवाल के फैसलों से साफ है कि वो किफायती और पुराने अनुशासित तरीक से पार्टी चलाने वाले हैं। जो काफी कुछ बीजेपी के दिग्गज नेता कुशाभाऊ ठाकरे के तरीकों से मेल खाता है।
बेकार खर्चों पर रोक, ड्रेसकोड लागू
उनका पहला फैसला है बेकार के खर्चों पर रोक लगाने का। उन्होंने साफ कर दिया है कि वो बहुत ज्यादा पोस्टबाजी पसंद नहीं करेंगे। जितने पदाधिकारी अब तक पार्टी के खर्चे पर पुरानी डीलक्स गाड़ियों को यूज कर रहे हैं। उन्हें भी वापस बुलवाया जा चुका है। अब तैयारी ई व्हीकल्स खरीदने की है।
उनका दूसरा फैसला कर्मचारियों के लिए ड्रेस खरीदने का है। अब पार्टी के सभी कर्मचारियों को भी तयशुदा ड्रेसकोड फॉलो करना होगा। ताकि कार्यकर्ता, नेता और कर्मचारी अलग-अलग नजर आएं।
तीसरा शिकंजा कसा है पार्टी से एडवांस लेने वाले पदाधिकारियों पर। जिन्हें अब एडवांस लेने के बाद पूरा हिसाब भी देना होगा। ताकि पार्टी में फाइनेंशियल डिसिप्लीन भी लागू हो सके।
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सिंधिया समर्थकों को नहीं मिली जगह
इन तीन नए फैसलों के साथ हेमंत खंडेलवाल बीजेपी की गाड़ी को आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं। लेकिन इस गाड़ी पर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को कोई जगह नहीं मिली है। जो नेता कमलनाथ सरकार गिराकर बीजेपी की सरकार दोबारा बनवाने के पैरोकार बने थे खंडेलवाल की बीजेपी में उनकी दाल ज्यादा नहीं गलने वाली है।
शिवराज बीजेपी और महाराज बीजेपी के नाम से पिछले चुनाव में बीजेपी नेताओं में ही काफी फासले नजर आए। अब खंडेलवाल ने इस खाई को पाट दिया है। उनकी बीजेपी में सिंधिया समर्थक या तो अलग-थलग नजर आ रहे हैं या पूरी तरह से नजरअंदाज हो चुके हैं।
कई नेता तो दबी जुबान में ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस से आए नेताओं की अब नई बीजेपी में कोई जगह नहीं बची है। नतीजा ये है कि कई नामी गिरामी सिंधिया समर्थक बिना पद और प्रभाव के परेशान हो रहे हैं। जिनकी आखिरी आस सिर्फ सिंधिया ही बचे हैं।
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सियासी सन्नाटे में वक्त बीता रहे ये नेता
आपको बता दें कि हालिया विधानसभा चुनाव में सिर्फ छह या सात सिंधिया समर्थक चुनाव जीत सके। बाकी बचे नेताओं को न सत्ता में जगह मिली न संगठन में। इससे पहले उन्हें निगम मंडलों में एडजस्ट किया गया था। लेकिन, इस बार ये गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है।
ऐसे नेताओं में महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, गिर्राज कंसाना, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, इमरती देवी और रक्षा सिरोनिया का नाम शामिल है। जिन्होंने पिछली सरकार तक सिंधिया समर्थक होने के नाते खूब दबदबा दिखाया लेकिन अब सियासी सन्नाटे में वक्त बिताने को मजबूर हैं।
साइडलाइन हुए कई नेता
सिर्फ सिंधिया समर्थक ही नहीं। कुछ और नेता भी हैं जो खंडेलवाल की बीजेपी में साइडलाइन हो गए हैं, भुला दिए गए हैं या उन पर ध्यान ही नहीं जा सका। जिसकी वजह से बार-बार ये दावा हो रहा है कि अभी एक और लिस्ट का ऐलान होगा। खासतौर से बुंदेलखंड और बघेलखंड अंचल के कुछ नेता, गुर्जर और लोधी समाज के कुछ नेता नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
टीकमगढ़ के भाजपा नेता सूरज सिंह लोधी और सकल गुर्जर समाज के रमेश गुर्जर का नाम इसमें अव्वल हैं। जो बीजेपी की नई टीम से खुश नहीं है। इसके अलावा शैलेंद्र बरुआ, कांत देव सिंह, लोकेंद्र पाराशर और जयपाल सिंह जैसे नाम भी शामिल हैं। हालांकि खबर ये भी है कि ये नेता अब ऐसे पद की जुगाड़ में जुट गए हैं जो उन्हें मंत्री दर्जा दे सके।
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नाम के ऐलान के इंतजार में कई दावेदार नेता
भोपाल और इंदौर से भी कई दावेदार अपने नाम के ऐलान के इंतजार में थे। इनमें आशुतोष तिवारी, विनोद गोटिया, जितेंद्र लिटोरिया, उमाकांत दीक्षित, सीमा सिंह, जयभान सिंह पवैया, अशोक अर्गल, उमेश शुक्ला, मुकेश चतुर्वेदी, वेदप्रकाश शर्मा, जीतू जिराती, पंकज जोशी, यशपाल सिंह सिसोदिया, राजेंद्र गुरु, राजेश पांडे, गिरीश द्विवेदी, राजीव खंडेलवाल, ओम जैन, डॉ. हितेष वाजपेयी, सुरेंद्र तिवारी, रघुनाथ भाटी, दीपक सक्सेना, रामनिवास रावत और विजय दुबे जैसे नाम शामिल हैं। जो पार्टी में पद की उम्मीद में थे। दूसरी लिस्ट के ऐलान की आशा अब भी इन्हें उम्मीद बंधा ही रही होगी।
क्या होगा अगली लिस्ट में
महिला और युवा नेताओं को महिला प्रकोष्ठ और युवा प्रकोष्ठ से भी उम्मीद है। महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के अध्यक्ष का ऐलान भी पेंडिंग है। इन दो पदों से भी पार्टी नेताओं को आस बंधी हुई है। अब देखना ये है कि क्या खंडेलवाल असंतोष को एडजस्ट करने के लिए एक और लिस्ट का ऐलान करते हैं और सिंधिया समर्थकों को भी जगह देते हैं या नहीं।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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