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पीएम मोदी के भोपाल दौरे के बाद मध्य प्रदेश बीजेपी में क्या बदलने वाला है या फिर बदल चुका है। ये सवाल नहीं है बल्कि गौर करने लायक बात है क्योंकि पीएम अपने दौरे से मध्य प्रदेश बीजेपी के लिए काफी कुछ मैसेज दे गए हैं। कुछ की क्लास लगी है तो कुछ के लिए मैसेज साफ दिख रहा है। पीएम मोदी के मध्य प्रदेश दौरे और इंवेस्टर्स समिट से जुड़ी कई खबरें आपने अब तक देख सुन ही ली होंगी। पर, हम आपको वो बताने जा रहा हैं, जो शायद आपने या किसी और खबरनवीस ने अब तक नोटिस नहीं किया। ये खबर जुड़ी है बीजेपी की उस बैठक से जो खुद पीएम मोदी ने की प्रदेश के जनप्रतिनिधियों के साथ।
वैसे तो पीएम नरेंद्र मोदी की लिस्ट में मध्य प्रदेश हमेशा ही प्रायोरिटी पर रहा है। पीएम बनने के बाद से लेकर अब तक वो मध्यप्रदेश में कई दौरे कर चुके हैं और कई सौगातें दे चुके हैं। लेकिन, इस बार का दौरा कुछ खास था, इसलिए नहीं कि वो ग्लोबल इंवेस्टर समिट का हिस्सा बनने आए। बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने यहां एक खास बैठक भी की। पहले इस बैठक के बारे में तफ्सील से जान लेते हैं।
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प्रदेश में आकर पीएम का बैठक करना आम बात नहीं
वैसे पीएम मोदी सांसदों से और प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ नियमित तौर पर बैठक करते हैं। लेकिन, किसी प्रदेश में जाकर वहां के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करना आम बात नहीं है। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष सहित तमाम पदाधिकारियों और विधायकों के साथ भी बैठक की। मीटिंग भी कोई कम देर की नहीं थी। बल्कि ये मीटिंग पूरे तीन घंटे तक चलती रही। वो भी इतने सील पैक खिड़की दरवाजों के साथ की मीटिंग से जुड़ी कोई खबर बाहर नहीं आई। सिवाय इसके कि पीएम मोदी ने जनप्रतिनिधियों को नसीहत दी है। जनता से जुड़ने की सलाह दी है।
दिए गए सख्त निर्देश, मीटिंग की बात नहीं जाए बाहर
ये सब वही आम बाते हैं जो आमतौर पर हर मीटिंग में होती हैं। जैसे अपने क्षेत्र में जाकर कुछ नवाचार करें। कार्यकर्ता से संपर्क बनाए रखें। सरकारी योजनाओं की जानकारी जनता को दें। ऐसे तमाम गुरु मंत्र मीटिंग में दिए गए हैं, लेकिन और अंदर की बात क्या है, ये लाख कोशिशों के बावजूद बाहर नहीं आई। एक पूर्व मंत्री ने एक मीडिया हाउस को इतना जरूर बताया कि पीएम ने सबको अपना चाल चरित्र अच्छा रखने की सलाह दी है। विधायक शैलेंद्र जैन के हवाले से एक वेबसाइट ने लिखा है कि ये सख्त निर्देश दिए गए हैं कि मीटिंग में जो भी बातचीत हुई है वो बाहर नहीं बताना है।
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लगातार टल रहा है प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति का ऐलान
यही वो बात है जो अब तक बीजेपी की प्रदेश इकाई भूल चुकी थी। पिछले कुछ समय से बीजेपी में अंतरकलह और गुटबाजी का मामला जोर पकड़ रहा था। वैसे तो ये मुश्किलें अंदर ही अंदर काफी समय से पनप रही थीं। लेकिन, पिछले दिनों जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का मामला सामने आया तो ये सब बातें खुलकर बाहर आ गईं। इस पोस्ट पर नाम नियुक्त करने के लिए ही बीजेपी को खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसके बावजूद हर जिले के अध्यक्ष का नाम दिल्ली से ही फाइनल करना पड़ा। जिसने ये साफ जाहिर कर दिया कि मध्यप्रदेश बीजेपी के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उसके बाद की कसर पूरी कर दी प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर। जिस पर नियुक्ति की अटकलें अक्सर उड़ती रहती हैं, लेकिन नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान लगातार टल रहा है। कभी दिल्ली चुनाव के नाम पर तो कभी ग्लोबल समिट के नाम पर। ग्लोबल समिट में पीएम का आना तय हुआ तो ये अटकलें भी लगने लगीं कि अब अगले प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान या फैसला अब पीएम मोदी ही करेंगे।
वापस लाइन पर आते दिख रहे सारे
वैसे भी प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान की बात जोर पकड़ने के बाद बीजेपी में हलचल बढ़ गई थी। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर अचानक दिग्गज नेताओं का आना जाना बढ़ गया था जिसके बाद ये खबरें आईं कि मिश्रा शायद प्रेशर पॉलीटिक्स कर रहे हैं। लेकिन, अब पीएम मोदी की मीटिंग के बाद सब कुछ ठीक माना जा रहा है। कम से कम अनुशासन के स्तर पर तो ये कहा ही जा सकता है। जिस तरह सारे जनप्रतिनिधियों ने पूरी शिद्दत से मीटिंग में बताए गए नियमों का पालन किया है। और, हर खबर पर खामोशी रखी है। उससे तो ये लगता है कि पीएम मोदी ने न सिर्फ अच्छे जनप्रतिनिधि बनने के टिप्स दिए हैं। बल्कि पार्टी डिसिप्लीन मेंटेन न करने वालों की जमकर क्लास भी लगाई है जिसके बाद सारे जनप्रतिनिधि वापस लाइन पर आते दिख रहे हैं।
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...तो क्या आसान होगा प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान करना
वैसे एक बात आपको और बता दूं। पीएम की बैठक में प्रदेश के अधिकांश सासंद और विधायक मौजूद थे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान इस बैठक में नहीं थे। खबरें हैं कि उन्हें बिहार में पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसलिए वो यहां नहीं आ सके। क्या ये इस बात का भी मैसेज है कि अब मध्य प्रदेश के अहम मसलों से शिवराज सिंह चौहान को दूर रखा जाएगा। वजह चाहें जो भी हो, पर ये तो साफ है कि केंद्र के स्तर पर शिवराज सिंह चौहान का कद बढ़ रहा है। बिहार चुनाव का बिगुल फूंकते हुए पीएम ने जिस तरह किसानों को तवज्जो दी है उसे देखते हुए ये भी लगता है केंद्रीय कृषि मंत्री होने के नाते राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज सिंह चौहान की जिम्मेदारी बढ़ ही जाएगी। खैर इससे अहम मुद्दा ये है कि पीएम की क्लास लगने के बाद बीजेपी राइट ट्रेक पर आ ही गई है तो क्या अब प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान करना भी आसान होगा। चलिए इस सियासी घटनाक्रम का भी थोड़ा और इंतजार कर ही लेते हैं।
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