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बीजेपी जिलाध्यक्ष की बैठक की तरह लगता है बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का फैसला भी बीजेपी के गले की फांस बन गया है। ऐसा अगर वाकई हुआ भी है तो कोई हैरान नहीं होगी। पार्टी में अगर जिलाध्यक्ष के पद को लेकर माथा पच्ची हो सकती है तो प्रदेशाध्यक्ष का पद तो प्रदेश की सबसे ज्यादा पावरपुल पोस्ट है। उसमें सिर फुटव्वल होना तो लाजमी हो ही सकता है। सूत्रों की मानें तो इसलिए बीजेपी ने एक बार फिर इस पद का फैसला टाल दिया है। असल में बीजेपी ये भी नहीं चाहती कि पीएम के साथ जो बैठक होनी है, उसी बैठक के दौरान कोई विवाद या तल्खी सामने आए। इसलिए अब जो भी फैसला होगा वो पीएम की मध्य प्रदेश विजिट के बाद ही होगा।
मध्य प्रदेश में बहुत जल्द ग्लोबल इंवेस्टर समिट होने वाली है। 24 और 25 फरवरी को भोपाल में ही होने वाली इस इंवेस्टर्स समिट के लिए खुद पीएम मोदी भोपाल आने वाले हैं। उनका आना इसलिए भी ज्यादा अहम माना जा रहा है क्योंकि वो बीजेपी नेताओं के साथ बैठक भी कर सकते हैं। बीजेपी की प्रदेश इकाई चाहती है कि पीएम मोदी इस बैठक में एक अच्छा इंप्रेशन लेकर लौटें।
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क्या प्रदेशाध्यक्ष पर नए नाम की नियुक्ति से पहले हो रही रस्साकशी
फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष को लेकर बीजेपी में जो माहौल है उसे देखकर लगता है कि ये फैसला सही भी है। क्योंकि इस पद की खातिर कई बड़े नेता दिल्ली तक चक्कर काट चुके हैं। खबर तो यहां तक है कि एक नाम तय भी कर लिया गया है। लेकिन उसके बाद से नरोत्तम मिश्रा के घर पर बीजेपी के ही दिग्गजों का आना जाना लगा हुआ है। हालांकि ये अब तक राज ही बना है कि सारे नेता, वो चाहें कैलाश विजयवर्गीय हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया, सब एक के बाद एक नरोत्तम से मिलने खासतौर से उनके घर क्यों जा रहे हैं। क्या ये प्रदेशाध्यक्ष पर नए नाम की नियुक्ति से पहले रस्साकशी का कोई दौर है। जो बीजेपी नहीं चाहती कि पीएम के सामने उजागर हो जाए। अगर ऐसा होता है तो वाकई ये प्रदेश बीजेपी के लिए काफी शर्मनाक भी होगा।
पीएम मोदी के साथ बैठक में हो सकता है नाम फाइनल
बीजेपी के ही कुछ नेता ये दावा भी कर रहे हैं कि शायद पीएम मोदी के साथ हुई बैठक में नाम फाइनल हो जाए। जो तकरीबन मुश्किल ही नजर आता है। बता दें कि पीएम मोदी 23 फरवरी की शाम को भोपाल पहुंचेंगे। उनके रात्रि विश्राम की व्यवस्था राजभवन में होगी। बहुत मुमकिन है कि वो राजभवन के नजदीक स्थित कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में ही बीजेपी नेताओं के साथ मीटिंग करें। ये प्रस्ताव पीएमओ भेजे जाने की भी खबर है। अगर वहां से ओके आ गया तो समझिए कि मीटिंग यहीं होगी।
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पीएम के साथ बैठक में ये होंगे शामिल
इसके बाद से पार्टी में ये मंथन जारी है कि अगर पीएम बैठक लेते हैं तो उस बैठक का हिस्सा कौन कौन होगा। क्या सारे मंत्री और विधायक उस बैठक में मौजूद होंगे या फिर कुछ विधायकों की संख्या घटाई जा सकती है। मामला गंभीर है। चाहें पीएम की बैठक हो या फिर पीएम के साथ समिट करना हो जिसमें देश विदेश से कई बिजनेसमैन आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इस समिट में करीब डेढ़ सौ एनआरआई बिजनेसमैन शामिल हो सकते हैं। लिहाजा सीएम मोहन यादव का पूरा ध्यान इस समिट को कामयाब बनाने पर है। मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष भी पीएम मोदी के दौरे को लेकर काफी संजीदा हैं।
सत्ता-संगठन पीएम मोदी के कार्यक्रम में व्यस्त
सत्ता और संगठन दोनों इसी काम में व्यस्त है इसलिए भी प्रदेशाध्यक्ष के फैसले को टाल दिया गया है क्योंकि पीएम मोदी का दौरा भी अलग अलग भागों में बंटा हुआ है। पीएम मोदी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में हिस्सा लेने के बाद बागेश्वर धाम में एक कैंसर हॉस्पिटल के लिए भूमि पूजन भी करेंगे। कथावाचक पं. धीरेंद्र शास्त्री ने ही उन्हें न्योता दिया गया है। इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी बागेश्वर धाम जाएंगी। 60 दिनों में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड के दौरे पर जाएंगे। इससे पहले 25 दिसंबर को पीएम मोदी ने खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत बनने वाले बांध का शिलान्यास किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी का हर एक नेता इस कार्यक्रम को पूरी तरह से व्यस्थित बनाने में जुटा होगा इसलिए प्रदेशाध्यक्ष पद की चिंता करना अभी दूर दूर तक संभव नहीं दिखता है।
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ये नाम हैं प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदार
बात प्रदेशाध्यक्ष पद की हो ही रही है तो एक बार फिर उन नामों पर गौर कर लेते हैं जो इस पद के मजबूत दावेदार माने जा रहा हैं। इसमें एक नाम हेमंत खंडेलवाल का है। सूत्रों के हवाले से बीच में ये खबर भी आई थी कि खंडेलवाल के नाम पर मुहर लग चुकी है। पर ऐलान नहीं होने तक कुछ पक्का नहीं कहा जा सकता। लिहाजा एससी वर्क से लाल सिंह आर्य, आदिवासी वर्ग से सुमेर सिंह सोलंकी, दुर्गादास उइके और गजेंद्र पटेल का नाम भी चर्चा में बना हुआ है। ब्राह्मण वर्ग से नरोत्तम मिश्रा और राजेंद्र शुक्ल का नाम भी रेस में चल रहा है। ये भी याद दिला दूं कि जब से ये अटकलें लगीं कि हेमंत खंडेलवाल का नाम इस पद के लिए फाइनल हो चुका है, उसके बाद से ही नरोत्तम मिश्रा के घर नेताओं की आवाजाही बढ़ी। फिलहाल इन सबके क्या मायने हैं और बीजेपी का संगठन क्या फैसला लेगा। ये सारी बातें फिर कुछ दिन के लिए टल चुकी हैं। अब उम्मीद ही की जा सकती है कि समिट और पीएम का दौरा पूरा होने के बाद प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान और नहीं टाला जाएगा।
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