News Strike: Sourabh Sharma  Case पर क्यों बंटी कांग्रेस, राज खुले तो फंसेंगे कितने नेता और अफसर ?

परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर रहा सौरभ शर्मा अब कानूनी एजेंसियों के शिकंजे में कस चुका है। लोकायुक्त पुलिस के बाद ईडी और इनकम टैक्स उससे पूछताछ कर रही हैं। अब जानेंगे इस केस के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच क्या हुआ...

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Harish Divekar
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news strike 17 feb
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मध्य प्रदेश की राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का दौर जोर पकड़ चुका है जिसके केंद्र हैं सौरभ शर्मा। सौरभ शर्मा सरकारी एजेंसियों के निशाने पर क्या आए। बीजेपी सरकार के एक पूर्व मंत्री और एक मौजूदा मंत्री भी सवालों के घेरे में घिर चुके हैं। कांग्रेस के दो नेता, बीजेपी के दो नेताओं को अलग अलग घेरने की कोशिश कर रहे हैं। पहला सवाल ये है कि क्या कांग्रेस कोई रणनीति बनाकर इन दो नेताओं को घेर रही है। अगर इसका जवाब हां है तो फिर दो नेताओं के आरोप अलग अलग क्यों है। और दूसरा सवाल ये है कि अगर ये सब सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है तो पूरी कांग्रेस क्यों गायब है। सिर्फ दो नेताओं को ही ये जिम्मेदारी क्यों दे दी है। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि हम कांग्रेस और बीजेपी के किन दो नेताओं की बात कर रहे हैं। और, ये भी समझेंगे कि सौरभ शर्मा वाले मुद्दा क्या प्रदेश की राजनीति में कोई कमाल करने वाला है या फिर धमाकेदार खुलासों के नाम पर फुस्सी बम ही साबित होने वाला है।

आपको याद ही होगा कुछ दिन पहले एक खबर ने सनसनी फैला दी थी। खबर ये थी कि भोपाल के ही पास जंगल में नोट और सोने से भरी एक गाड़ी मिली है। इस गाड़ी के पकड़े जाने के बाद एक नाम लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। ये नाम है सौरभ शर्मा का। जो परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर रहा है। सौरभ शर्मा अब कानूनी एजेंसियों के शिकंजे में कस चुका है। लोकायुक्त पुलिस के बाद ईडी और इनकम टैक्स उससे पूछताछ कर रही हैं। इस पूछताछ में क्या हुआ वो तो बात करेंगे। उससे पहले ये जान लेते हैं कि इस केस के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच क्या हुआ।

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कांग्रेस नेताओं की अपनी ढफली अपनी राग  

इस केस के आते ही बहुत सारी सियासी खिचड़ियां पकना शुरू हो गई हैं। पर दिलचस्प बात ये है कि इस सियासी खिचड़ी में किसी भी एक पार्टी की एक हांडी नहीं चढ़ी है। बल्कि हालात ये हैं कि अपनी अपनी खिचड़ी और अपना अपना स्वाद। मतलब ये कि इस केस में हर नेता अपने तरह से चटखारे ले रहा है। और अपनी ही तरह से दूसरी पार्टी के नेताओं को घेर रहा है। इस मामले कांग्रेस को मौका मिला बीजेपी को घेरने का, लेकिन पूरी पार्टी के भ्रष्टाचार को घेरने की जगह कांग्रेस के दो अलग अलग नेता बीजेपी के दो अलग अलग नेताओं को घेरने में लगे हुए हैं। 

उमंग सिंघार के निशाने पर क्यों हैं गोविंद सिंह राजपूत?

पहले बात करते हैं उमंग सिंघार की। उमंग सिंघार इस मामले पर मौजूदा मंत्री और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत पर निशाना साध रहे हैं। उमंग सिंघार ने गोविंद सिंह राजपूत पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं जिसमें अनुपातहीन संपत्ति होने का आरोप है। एक समिति के नाम पर जमीने दान करने का आरोप है। असल आरोप ये है कि जमीने अपने सगे संबंधियों को दान की जा रही है। सौरभ की डायरी में मिले दो शॉर्ट फॉर्म्स को भी सिंघार ने डिकोड कर लिया है। उनका दावा है कि डायरी में जहां जहां टीसी लिखा है उसका मतलब है ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और जहां जहां टीएम लिखा है उसका मतलब है ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर इसलिए उनके निशाने पर राजपूत हैं।

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सिंघार ने परिवहन आरक्षक गौरव पाराशर, हेमंत जाटव और धनंजय चौबे का नाम भी लिया है। इन पर आरोप लगाया है कि ये तीन ही चेक पोस्ट का ठेका लेते थे, लेकिन इनको अब तक किसी भी जांच एजेंसी ने जांच के दायरे में नहीं लिया है। इस मामले में राजपूत ने फिलहाल किसी आरोप का जवाब नहीं दिया है। पर बीजेपी की तरफ से कहा गया है कि खुद सिंघार सिर्फ 15 महीने की सरकार में भ्रष्टाचार के आरोप में फंस चुके हैं इसलिए उन्हें नसीहत नहीं देना चाहिए।

हेमंत कटारे के निशाने पर पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह

अब बात करते हैं दूसरे नेता की। ये दूसरे नेता हैं हेमंत कटारे। उप नेता प्रतिपक्ष के निशाने पर हैं पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह। जिन पर आरोप लगाने के लिए कटारे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर चुके हैं। उनका आरोप है कि भूपेंद्र सिंह ने मंत्री रहते हुए सौरभ शर्मा को मालथौन चेक पोस्ट पर पदस्थ किया था। जो भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई में है। इस संबंध में उन्होंने दस्तावेज भी पेश किए। हालांकि इसके जवाब में खुद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पुख्ता प्रमाण दिए जाएंगे तो वो इस्तीफा भी दे सकते हैं।

अलग अलग नेताओं पर हमला क्या प्लान्ड स्ट्रेटजी?

पर हमारा सवाल कुछ और है। हम ये बिलकुल नहीं कहते कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना गलत है या फिर भ्रष्टाचारी को एक्सपोज करना गलत है। हमारा सवाल तो उस रणनीति पर है, जिसके तहत कोई भी पार्टी किसी भी कार्रवाई को अंजाम देती है। कांग्रेस के दो नेता इस गंभीर मुद्दे पर मुखर हैं। ये अच्छी बात है। पर दोनों के निशाने पर अलग अलग नेता हैं। क्यों कांग्रेस इस गंभीर मुद्दे पर आपस में एकमत नहीं है। क्या ये वाकई कांग्रेस की प्लान्ड स्ट्रेटजी है। अगर नहीं तो कांग्रेस के नेता किसके इशारे पर दो अलग अलग नेताओं को घेर रहे हैं। इत्तेफाक ये भी है कि दोनों नेताओं का ताल्लुक सागर से ही है। और, दोनों के बीच सागर में रसूख की जंग भी खूब होती रही है।

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मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए सौरभ शर्मा की डायरी और मुंह दोनों ही खुलने का इंतजार किया जा रहा था। लोकायुक्त के बाद ईडी सौरभ शर्मा ने पूछताछ करने आई और साथ में ही ये खबरें आईं कि सौरभ ने बहुत से नाम बताना शुरू कर दिया है। लेटेस्ट अपडेट ये है कि ईडी की पूछताछ पूरी हो चुकी है और तीनों आरोपियों सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को जेल भेजा जा चुका है।

क्या सामने आएंगे पूछताछ में सौरभ के बताए गए नाम 

इस पूछताछ के बाद क्या वो नाम सामने आएंगे जिनका खुलासा सौरभ ने किया है। खबर तो ये भी आ रही है कि पूरे मामले में बहुत से अफसर भी शामिल हैं, क्या उन अफसरों के नामों का खुलासा होगा। बड़े नाम सामने आए तो कटघरे में मोहन सरकार और शिवराज सरकार भी खड़ी नजर आएंगी क्योंकि मामले का खुलासा मोहन यादव की सरकार के दौरान हुआ है और जिन चेक पोस्ट और ट्रांसपोर्ट नाकों की वजह से ये धांधली हुई वो सब शिवराज सरकार के दौर में खुले थे। मामले की तह तक जाएं तो कई गंभीर पहलू उजागर हो सकते हैं। इसलिए कांग्रेस को चाहिए को वो इस तरह बिखरा हुआ विरोध प्रदर्शन न करे। एक मजबूत विपक्ष के तौर पर कांग्रेस चाहे तो नीतिबद्ध तरीके से इस मामले को उठा सकती है और भ्रष्टाचार की पूरी कहानी पेश कर सकती है।

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