सौरभ शर्मा, चेतन और शरद को 14 दिन के लिए भेजा जेल, ED की पूछताछ में बड़ा खुलासा

भोपाल की विशेष अदालत ने पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उनके साथियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रिमांड खत्म होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीनों को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां सुनवाई पूरी हो गई।

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Vikram Jain
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BHOPAL. परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और साथी चेतन सिंह और शरद जायसवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है। ED ने पूछताछ खत्म करने के बाद सोमवार (17 फरवरी) को सौरभ शर्मा और साथियों को विशेष अदालत में पेश किया था। यहां से कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह कार्रवाई उनके खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक गतिविधियों के मामले में की गई है।

रोहित तिवारी के माध्यम से मिले थे शरद और सौरभ

सात दिन की ED रिमांड के दौरान सौरभ शर्मा और उसके करीबी साथी चेतन सिंह और शरद जायसवाल से पूछताछ में कई राज सामने आए हैं। सामने आया है कि परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और शरद जायसवाल जबलपुर के रोहित तिवारी के जरिए संपर्क में आए थे। 2014-15 के दौरान जबलपुर में एक कॉलोनी का निर्माण हुआ था, यह कॉलोनी भोपाल की एक फर्म ने बनाई थी, जिसमें शरद जायसवाल ने कई प्लॉट्स बेचे थे। यहां से शरद और रोहित तिवारी के बीच करीबी संपर्क हुआ।

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प्रॉपर्टी डीलिंग फर्म का काम छोड़ा

इसके बाद सौरभ ने भोपाल की प्रॉपर्टी डीलिंग फर्म को छोड़ दिया। बाद में अपने साले रोहित तिवारी के लिए निवेशक खोजने का काम किया। इसके बाद चूना भट्‌टी क्षेत्र में फगीटो रेस्टोरेंट का संचालन शुरू किया। इस दौरान रोहित तिवारी के माध्यम से शरद जायसवाल और सौरभ शर्मा की मुलाकात हुई थी। इसके बाद सौरभ शर्मा ने शरद की सहायता से भोपाल और इंदौर में कई प्रॉपर्टी खरीदीं।

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शरद जायसवाल ने यह बताया....

ईडी की पूछताछ में शरद जायसवाल ने बताया कि पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा से मेरी मुलाकात पुरानी है, मैं पहले से ही कंस्ट्रक्शन लाइन में था। सौरभ ने ई-7/78 नंबर बंगला खरीदा था। जो रोहित तिवारी के नाम से खरीदा गया था, इस बंगले का काम मैंने किया था। सौरभ हमेशा मेरे काम की सराहना करते रहता था। इससे हम दोनों की दोस्ती और बढ़ गई। शुरुआत में सौरभ खुद को परिवहन विभाग का अधिकारी बताता था।

शरद जायसवाल साल 2011 में भोपाल के दस नंबर की एक फर्म में काम करता था। जो बिल्डर्स की प्रॉपर्टी बेचने का काम करती थी। इस फर्म में 50 से अधिक कर्मचारी थे और शरद 10 ब्रोकर्स की टीम को संभालता था। उस समय शरद एक सामान्य से घर में अपने परिवार के साथ रहता था।  

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फर्म के कर्ताधर्ताओं का विश्वासपात्र था शरद

इसी फर्म ने साल 2014 में जबलपुर में बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो फर्म का पहला कॉलोनी निर्माण प्रोजेक्ट था। शरद को इस प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग से लेकर बिक्री तक की पूरी जिम्मेदारी दी गई थी। चूंकि शरद फर्म के कर्ताधर्ताओं का विश्वासपात्र था, उसे यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था। यहां उसने अपने संपर्कों का सही इस्तेमाल करते हुए कई प्लॉट्स की बिक्री कराई।

शरद और रोहित के बीच बढ़ा संपर्क

इसके बाद लोकल सपोर्ट की आवश्यकता के कारण शरद ने रोहित तिवारी को प्रोजेक्ट में शामिल किया। रोहित तिवारी एक बिल्डर था और इस सहयोग से शरद और रोहित के बीच संपर्क बढ़ा, शरद ने रोहित का विश्वास जीत लिया और उनका रिश्ते मजबूत हुए। 2016 में शरद ने भोपाल की फर्म को छोड़ दिया और बाद में खुद का ठेकेदारी का व्यवसाय शुरू किया। रोहित तिवारी ने शरद को इंटीरियर डिजाइनिंग से लेकर घर निर्माण कार्य के कई काम दिलवाए। इसके अलावा, रोहित ने शरद को सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थित बंगले का रिनोवेशन कार्य भी सौंपा।

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भोपाल न्यूज मध्य प्रदेश सौरभ शर्मा केस न्यायिक हिरासत प्रवर्तन निदेशालय ED