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BHOPAL. परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के भ्रष्टाचार मामले में सियासी हलचल बढ़ गई है। मामले में विपक्ष लगातार सरकार के मंत्रियों और लोकायुक्त की जांच को लेकर सवाल उठा रहा है। अब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भ्रष्टाचार के इस मामले में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर लगाए गंभीर आरोप
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए सौरभ शर्मा के मामले में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि सौरभ शर्मा के जरिए परिवहन विभाग से एक केंद्रीय मंत्री को हर महीने दो करोड़ रुपए भेजे जाते थे। इसके अलावा, सिंघार ने कहा कि सौरभ शर्मा के खिलाफ गंभीर दस्तावेज़ों और कॉल डिटेल्स की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार सौरभ शर्मा और उनके रिश्तेदारों से जुड़ी संपत्तियों को बचाने की कोशिश कर रही हैं।
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सत्ता में बैठे नेताओं की मिलीभगत
उमंग सिंघार ने पीएम मोदी जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन प्रदेश की बीजेपी सरकार सौरभ शर्मा का बचाव कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि सौरभ शर्मा 40 दिन कहां रहा और उसकी मदद कौन कर रहा था, इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई। सौरभ शर्मा की कॉल डिटेल अब तक सामने नहीं आई है। कॉल डिटेल्स के सामने आने के बाद कई नेता और अधिकारी बेनकाब होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे नेताओं की मिलीभगत से जुड़ा हुआ है।
मंत्री राजपूत ने संभाला पूरा रैकेट
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस पूरे रैकेट राजपूत ने संभाला। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सौरभ शर्मा के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का रैकेट को चलाया। दशरथ पटेल और अलीम खान रिटायर्ड होने के बाद भी भ्रष्टाचार करते रहे। गोविंद सिंह के साथ संजय ढांडे ने मिलकर घोटाला किया। साथ ही उन्होंने दावा किया कि 1 साल में करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए कमाए गए। हर महीने की कमाई डेढ़ सौ करोड़ थी।
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पत्नी और बच्चों के नाम से खरीदी जमीनें
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि गोविंद सिंह राजपूत ने पत्नी और बच्चों के नाम से 400 करोड़ की जमीनें खरीदी है। राजपूत ने 2019 से 2024 के बीच में पत्नी और बच्चों के नाम जमीन की खरीदी है। साथ ही सास और रिश्तदारों के नाम 200 करोड़ की अपने जमीनें खरीदी गई। राजपूत ने 2023 में शपथ पत्र में 134 करोड़ संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।
कैसे घूमा पैसा? जांच एजेंसियों को सब कुछ पता है!
— Umang Singhar (@UmangSinghar) February 15, 2025
- मंत्री और अधिकारी करोड़ों की जमीनें कैसे खरीद रहे हैं? जांच एजेंसियों के पास सारी जानकारी है!
- घोटाले में शामिल इन सभी लोगों की कॉल डिटेल्स कहां हैं?
चेक पोस्टों का ठेका लेकर परिवहन आरक्षकों से अब तक पूछताछ न होना और रिपोर्ट… pic.twitter.com/oFO664qwXS
समिति के नाम दान कराई जमीन
सिंघार ने आगे बताया कि गोविंद सिंह ने दिल्ली में डिफेंस कॉलोनी में भी जमीन खरीदी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संपत्तियों की खरीद में कई व्यापारिक पार्टनर भी शामिल थे। इस दौरान उमंग सिंघार ने खरीदी गई संपत्ति की रजिस्ट्री भी दिखाई। दावा करते हुए कहा कि एक समिति है जिसमें राजपूत ने पत्नी और बेटे को रखा है। समिति को जमीन दान की गई है।
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मुख्य किरदारों को बचा रही बीजेपी सरकार
उमंग सिंघार ने आगे कहा कि सौरभ शर्मा के ठिकानों पर 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की कार्रवाई हुई, इस कार्रवाई के 41 दिनों के बाद 28 जनवरी को उसकी गिरफ्तारी हुई। इस बीच के 41 दिन सौरभ कहां रहा? इस दौरान किसने उसकी मदद की, इसका कोई भी ठोस जवाब जांच एजेंसियों के पास नहीं है। जानकारी है कि भोपाल के श्यामला हिल्स क्षेत्र की होटल में प्रदेश के एक मंत्री ने उसके ठहरने की व्यवस्था कराई गई थी! उन्होंने कहा कि इस दौरान सौरभ शर्मा के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाईल के कॉल डिटेल्स ट्रेस क्यों नहीं किए हुए? क्योंकि इससे उससे जड़े मुख्य लोगों के संपर्क सामने आ जाते।
उमंग सिंघार ने किए सवाल
- परिवहन विभाग में ठेका की प्रथा कब से शुरू हुई?
- 2019 से 2023 तक इस विभाग के मंत्री कौन थे?
- सौरभ शर्मा के खिलाफ 70 से ज्यादा शिकायतें होने के बावजूद उनका वीआरएस किस दबाव में स्वीकृत किया गया?
- सौरभ शर्मा की पोस्टिंग किन चेकपोस्टों पर रही और इन चेकपोस्टों को ठेके पर देने का रैकेट कब और कैसे चला?
सौरभ शर्मा को किसका संरक्षण
सिंघार ने आगे कहा कि इसे संयोग ही कहे सौरभ शर्मा ने 2019 से 2024 के बीच खुद के, पत्नी, मां, रिश्तेदारों अन्य के नाम से बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त की। उस बीच 2019 से 2024 के बीच मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने खुद के, पत्नी, बेटों, परिजनों एवं अन्य लोगों के नाम से संपत्तियां क्रय की हैं। उन्होंने मांग की है कि उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से इस बड़े घोटाले की जांच कराई जानी चाहिए।
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पत्नी-बेटे और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी जमीनें
- नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने खुद के, पत्नी सविता सिंह, पुत्र आकाश सिंह, पुत्र आदित्य सिंह के नाम पर सागर में तिलीमाफी, बशियाभान्सा, कनेरादेव, भापेल, किर्रावदा, मारा इमलिया, पथरिया जाट और मेनपनी के साथ ही सागर से लगे हुए जैसीनगर, झिला, नरयावली, खुरई, भिलैया एवं जेरई में 150 एकड़ से भी ज्यादा भूमि स्वयं, पत्नी और बेटों के नाम पर क्रय की गई, जो कि रिकार्ड में दर्ज है। इन जमीनों का वास्तविक बाजार मूल्य 400 करोड़ से अधिक है।
- इसके साथ ही मंत्री राजपूत ने अपनी सास, अपने साले एवं साले की पत्नी, अपने भाईयों और उनके परिवार, रिश्तेदारों के नाम से भापेल, लुहारी, दमोह में देवरानवांसा, पथरिया में सैकड़ों एकड़ जमीने खरीदी हैं। इनका मार्केट रेट 200 करोड़ है।
- खरीदी गईं कई जमीनों को सिंचित भूमि से असिंचित कराया गया है। जिससे जमीनों का मूल्यांकन कम दिखाया गया, जिस कारण शासन के लाखों रूपए का नुकसान हुआ, यहां
स्टांप ड्यूटी की राशि चोरी की गई। - मंत्री राजपूत द्वारा साल 2023 के घोषणा पत्र में 53.86 हेक्टेयर (134.65 एकड़) संपत्तियां नहीं बताई गई।
- मंत्री राजपूत ने भ्रष्टाचार की काली कमाई को खपाने के लिए फर्जी समिति बनाई थी जिसका नाम ज्ञानवीर सेवा समिति है। इस समिति में पत्नी सविता सिंह को अध्यक्ष और बेटे पुत्र आकाश सिंह को सचिव हैं। इस समिति के माध्यम से बेशकीमती जमीनें खरीदी गई। सिंघार ने दावा किया कि इन जमीनों की रजिस्ट्री, खसरे उनके पास हैं। कई जमीनों को रिश्तेदारों के नाम से खरीदकर समिति को दान कराई गई।
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