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अरुण तिवारी, BHOPAL. 12 जून 2023 सोमवार को सतपुड़ा भवन में लगी आग को कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस वचन पत्र समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष अभय दुबे ने आरोप लगाया कि सतपुड़ा की आग कई संदेह पैदा कर रही है। इस आग में भ्रष्टाचार की फाइलों को जलाया गया है। डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश फायर सेफ्टी एक्ट लाएंगे साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस बुझी आग के सुलगते सवाल बीजेपी सरकार से कर रही है
एक पुरानी कहावत है ‘आग लगने पर कुंआ खोदना’ मगर दुर्भाग्य देखिए कि मप्र में कई बड़े अग्निकांड हुए मगर भ्रष्टाचार में डूबी बीजेपी सरकार ने आग लगने पर कुंआ खोदना तो दूर उस आग को कोरे आश्वासनों और बातों की बौछारों से बुझाने की कोशिश की। सितंबर 2020 में शिवपुरी जिला अस्पताल में लगी आग का मामला हो या मई 2021 में अशोकनगर जिला अस्पताल में आग की लपटों से जैसे-तैसे 14 नवजात शिशुओं को बचाया गया हो। इसी क्रम में नवंबर 2021 में हमीदिया केंपस स्थित कमला नेहरू अस्पताल में आग की वजह से 12 मासूम बच्चों ने दम तोड़ने का मामला हो। चुनावों के पहले वर्ष 2013, वर्ष 2018 में मंत्रालय और प्रशासकीय कार्यालयों की आग हो या हाल ही में चुनावों के पहले 2023 में सतपुड़ा भवन में लगी भयंकर आग का मामला हो, इन बुझी हुई आग के सुलगते सवाल कांग्रेस बीजेपी की सरकार से कर रही है।
प्रशासनिक ऑफिसों के फायर सेफ्टी प्लान का ऑडिट कराने पर सवाल
तीन वर्षों में प्रत्येक वर्ष एक फायर सेफ्टी ऑडिट कराना अनिवार्य होता है इसकी रिपोर्ट अग्निशमन प्राधिकारी को प्रस्तुत करना होती है। कांग्रेस इसी नियम को लेकर बीजेपी सरकार से जानना चाहती है कि क्या नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों के अनुसार सतपुड़ा भवन, विंद्याचल भवन, नवनिर्मित वल्लभ भवन, विधानसभा भवन, बड़े अस्पतालों और प्रशासनिक कार्यालयों का फायर सेफ्टी प्लान स्वीकृत कराया गया है? क्या इन भवनों का फायर सेफ्टी ऑडिट कराया गया है? क्या इन भवनों के लिए निर्धारित अग्निशमन प्राधिकारियों के खिलाफ बीते वर्षों में हुई घटनाओं को लेकर कोई सख्त कार्यवाही की गई है?
बीजेपी सरकार जांच कमेटियां तो बनाती है मगर रिपोर्ट नहीं आती
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी सरकार जांच कमेटियां तो बनाती है, मगर ज्यादातर हादसों की जांच में या तो लीपापोती कर दी जाती है या रिपोर्ट ही प्रस्तुत नहीं की जाती। चाहे वह रतनगढ़ मता मंदिर में भगदड़ से 115 श्रद्धालुओं की मौत का मामला हो या पेटलावद में अवैधानिक विस्फोट से 78 लोगों की मौत का मामला हो या मंदसौर में किसानों को गोलियों से छलनी करने का मामला हो या हमीदिया अस्पताल में आग से मासूम बच्चों की मौत का मामला हो।
18 सालों में बीजेपी सरकार ने कोई फायर सेफ्टी एक्ट नहीं बनाया
कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कोरे प्रचार की प्रसिद्धि में डूबी मप्र की भाजपा सरकार ने केंद्र और कोर्ट के निर्देश के बावजूद कोई फायर सेफ्टी एक्ट समूचे मप्र के लिए नहीं बनाया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त-2005 में फायर एडवायजरी कमेटी की मीटिंग बुलायी थी, इसमें मप्र ने भी प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद व्यापक विचार विमर्श के बाद जुलाई-2017 में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ विश्व भर के फायर सर्विस एक्ट के दृष्टिगत एक व्यापक विचार विमर्श किया गया, तत्पश्चात एक मैटेंनेंस ऑफ ए फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस फार द स्टेट मॉडल बिल 2019 सभी राज्यों को मुहैया कराया गया। मगर मप्र की भाजपा सरकार की गंभीर लापरवाही देखिए कि प्रादेशिक स्तर पर फायर सेफ्टी के लिए कोई कानून नहीं लाए।
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मैटेंनेंस ऑफ ए फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस फार द स्टेट बिल लाएंगे
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन गंभीर तथ्यों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मैटेंनेंस ऑफ ए फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस फार द स्टेट बिल लाया जाएगा। ताकि न सिर्फ ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसों से बचा जा सके, बल्कि जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही भी की जा सके।
प्रेस कान्फ्रेंस में ये भी कहा
- सतपुड़ा में एनआरएचएम, आयुष्मान घोटाले की फाइलें जलीं।