क्या है श्वेतपत्र, जिसे ला रही मोदी सरकार, क्या है इसकी अहमियत

श्वेत पत्र यानी वाइट पेपर का एक रिपोर्ट, गाइड, रिसर्च बेस्ड पेपर या औपचारिक सरकारी दस्तावेज होता है। जो कि किसी विषय या समस्या के समाधान, नीति प्रस्तावों के बारे में एक्सपर्ट के एनालिसिस के आधार पर पेश किया जाता है।

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Pooja Kumari
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BHOPAL. 8 फरवरी यानी आज केंद्र सरकार संसद में अपना श्वेत पत्र पेश कर चुकी है। इसका मकसद मनमोहन सिंह सरकार बनाम नरेंद्र मोदी सरकार के समय आर्थिक हालात की तुलना करना है। इसके जरिए ये दिखाया गया है कि कैसे सरकार ने PM मोदी के नेतृत्व में देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकाला।

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क्या है श्वेतपत्र



श्वेत पत्र यानी वाइट पेपर का एक रिपोर्ट, गाइड, रिसर्च बेस्ड पेपर या औपचारिक सरकारी दस्तावेज होता है। जो कि किसी विषय या समस्या के समाधान, नीति प्रस्तावों के बारे में एक्सपर्ट के एनालिसिस के आधार पर पेश किया जाता है। ये एक सफेद कवर में बंधा होता है। यही कारण है कि इसे श्वेत पत्र कहा जाता है। आमतौर पर राजनीति में इसका उपयोग सरकारें ऐतिहासिक रूप से नई पॉलिसी या कानून को पेश करने के लिए करती हैं। इसका उपयोग गवर्नमेंट इनिशिएटिव, किसी स्कीम या पॉलिसी पर जनता की राय जानने के लिए किया जाता है।

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क्या है श्वेतपत्र की कानूनी अहमियत?



बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का कहना है कि श्वेत पत्र वह रिपोर्ट होती है, जिसे सरकार जारी करती है। इसमें सभी बिंदुओं से संबंधित तथ्य शामिल होते हैं, लेकिन इसकी और कोई कानूनी अहमियत नहीं है, साथ ही श्वेत पत्र के तथ्यों और आरोपों के आधार पर कोई जांच हो या आयोग बने तो उनका कानूनी आधार होता है।

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श्वेतपत्रों की शुरुआत कब और कहां से हुई थी?



दुनिया का पहला श्वेत पत्र ब्रिटेन में लाया गया था। इसके बाद गुलाम और आजाद भारत में भी श्वेत पत्र लाए गए। 90 के दशक से व्यापारिक कंपनियों ने भी अपने व्यापार और मार्केटिंग के लिए श्वेत पत्र पेश करना शुरू कर दिया है। बता दें कि ब्रिटिश PM विंस्टन चर्चिल ने जून 1922 में फिलिस्तीन मामलों पर दुनिया का पहला श्वेत पत्र जारी किया था। इसमें ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन लेकर फिलिस्तीन के भविष्य पर अपनी नीति स्पष्ट की थी। वहीं भारत में सन् 1935 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर ‘संवैधानिक सुधारों का श्वेत पत्र’ जारी हुआ। 8 नवंबर 1927 को सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में ‘साइमन कमीशन’ का गठन हुआ। इसका काम ब्रिटिश भारत में संवैधानिक सुधार पर रिपोर्ट देना था। इस दौरान देश में साइमन कमीशन का विरोध किया गया था। इसके बावजूद साइमन कमीशन ने काम किया और श्वेतपत्र पेश की। इसे लागू करने के लिए मार्च 1933 में श्वेत पत्र जारी किया गया था। इसे संसद के दोनों सदनों की जॉइंट पॉर्लियामेंट्री कमेटी के सामने पेश किया गया। इसे ‘संवैधानिक सुधारों का श्वेत पत्र’ नाम दिया गया था। इसकी सिफारिशों पर 2 अगस्त 1935 को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट-1935 पारित हुआ था। 

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भारत के आजाद होने के बाद पहली बार श्वेत पत्र कब जारी हुआ?



भारत के आजाद होते ही अलग-अलग रियासतों और प्रांतों के भारत में विलय के लिए पहला श्वेत पत्र 5 जुलाई, 1948 को ‘राज्य मंत्रालय' ने जारी किया था। इसके तहत डेढ़ साल के भीतर सभी रियासतों, राज्यों, प्रांतों को भारत में शामिल किया जाना था। इसमें कहा गया था कि भारत सरकार की एकीकरण नीति के अनुसार भोपाल, त्रिपुरा, मणिपुर, त्रावणकोर, कोचीन को शामिल कर लिया गया है। राजपूताना राज्य बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर को पुनर्गठित कर संयुक्त राज्य राजस्थान बनाया गया है। 

कॉर्पोरेट कंपनियों ने भी श्वेत पत्र जारी किया  



बता दें कि देश में 28 फरवरी 1950 को गणतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया गया था, उस समय भी श्वेत पत्र पेश किया गया था। ये बजट नेहरू सरकार के पहले वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था। इसमें मथाई ने एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें इकोनॉमिक डेवलपमेंट की जानकारी दी गई थी। वहीं कॉर्पोरेट कंपनियों की बात करें तो, 1990 के दशक से बड़ी-बड़ी कंपनियां भी श्वेत पत्र जारी करने लगी। इनका उपयोग व्यापार बढ़ाने या मार्केटिंग के लिए किया जाता है। 

ग्रीन पेपर क्या होता है?



जानकारी के मुताबिक श्वेत पत्र के अलावा ये ग्रीन कलर में उपलब्ध होते हैं। राष्ट्रमंडल, यूरोप, आयरलैंड रिपब्लिक या USA में ये सफेद की जगह हरे कागज पर लाया जाता है। वहां ये एक सरकारी प्रारंभिक रिपोर्ट होती है। ये किसी भी कानून में बदलाव का पहला स्टेप होता है। ग्रीन पेपर लाने का मतलब ये नहीं है कि सरकार कानून में बदलाव करेगी ही। ये एक तरह से ऐसा प्रस्ताव होता है जिस पर सरकार एक्शन लेने का कमिटमेंट नहीं करती।

मोदी सरकार किस विषय पर श्वेतपत्र संसद में लाएगी? 



मोदी सरकार 2004 से 2014 के बीच UPA शासन के कथित आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेतपत्र लाने जा रही है। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को जब संसद में बजट पेश कर रही थी, तब उन्होंने इसके बारे में जानकारी दी थी। संसदीय वित्त समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता जयंत सिन्हा का कहना है कि ये श्वेत पत्र UPA सरकार के दौरान देश के खराब आर्थिक हालातों को बताएगा साथ ही ये भी बताएगा कि कैसे मोदी सरकार ने 10 साल में सुधारात्मक कदम उठाकर अर्थव्यवस्था को सुधारा है। राजनीतिक रूप से बात करें तो अभी तक पीएम मोदी ने अभी तक के कार्यकाल में वल दो श्वेत पत्र पेश किए हैं, जो अगस्त 2014 में जारी किए गए थे। ये रेलवे में राजस्व बढ़ाने, माल ढुलाई और किराए आदि को लेकर लाए गए गए थे। इसके अलावा दूसरा सामान्य श्वेत पत्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय अक्टूबर 2020 पर लाया गया था। ये टेक्निकल कल्चर मैनेजमेंट और टेक्निकल सेंटर सिस्टम प्रोग्राम पर जारी किया गया था।

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