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BHOPAL. सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ला के पूर्व विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला द्वारा आदिवासी युवक पर पेशाब करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसे लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। इसे लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अब भाजपा का दलित और आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा शासन में आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। अब सीधी का यह मामला दिल्ली की राजनीति तक पहुंच चुका है।
सीधी पेशाब कांड पर क्या बोले राहुल गांधी
मध्य प्रदेश के सीधी पेशाब कांड को लेकर पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि आदिवासियों और दलितों के प्रति भाजपा की नफरत का असली चेहरा इस अमानवीय कृत्य से उजागर हो गया है। राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, 'भाजपा शासन में आदिवासी भाइयों और बहनों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में एक भाजपा नेता के अमानवीय अपराध से पूरी मानवता शर्मसार हो गई है। यह आदिवासियों और दलितों के प्रति बीजेपी की नफरत का घिनौना चेहरा और असली चरित्र है।'
कांग्रेस ने जारी किया राहुल गांधी का पुराना वीडियो
आदिवासी ही हिंदुस्तान के असली मालिक हैं. pic.twitter.com/PZr3MykJBk
— Congress (@INCIndia) July 6, 2023
मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आदिवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा में राहुल गांधी ने एक सभा को संबोधित किया था। इस जनसभा में राहुल ने कहा था कि आदिवासी ही हिंदुस्तान के असली और पहले मालिक हैं। बीजेपी पर तंज करते हुए कहा था कि वो वनवासी कहते हैं, क्योंकि वो आपके सारे अधिकार आपसे छीनना चाहते हैं और आपको ये याद नहीं दिलाना चाहते कि आप ही इस देश के पहले और असली मालिक हो। सबसे पहले मैं चाहता हूं कि बीजेपी के लोगों ने आपका अपमान किया है और जो वनवासी शब्द आपके लिए प्रयोग किया है, इसके लिए ये आपसे माफी मांगे। हाथ जोड़कर हिंदुस्तान के आदिवासियों से ये माफी मांगे और कहें कि आप वनवासी नहीं हो, आप आदिवासी हो और आपको जो भी अधिकार चाहिए वो हम देंगे।
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टंट्या मामा के बारे में सोचने पर निडरता और क्रांतिकारी जैसे शब्द आते हैं
“ये जो शब्द होते हैं, ये बहुत चीजें छुपाते हैं। बहुत चीजें ये दिखा भी सकते हैं। जैसे आप टंट्या मामा के बारे में सोचें, तो आपके दिमाग में कौन से शब्द आते हैं, बताइए। कौन सा शब्द आता है, जब आप टंट्या मामा के बारे में सोचते हो? आदिवासी आता है, संघर्ष आता है, निडरता आता है, क्रांतिकारी आता है, ये शब्द आते हैं। जब वो अंग्रेजों के सामने फांसी पर चढ़ रहे थे, तो आपको क्या लगता है, उनके दिल में डर था या नहीं? सवाल नहीं उठता। उनके दिल में डर नहीं था। क्यों नहीं था? उसका कारण क्या था? आम आदमी चढ़ता है, फांसी के सामने खड़ा हो जाता है, डर जाता है, है न? मगर जो आपके टंट्या मामा थे, जब वो चढ़े फांसी पर, उनके दिल में डर क्यों नहीं था, क्योंकि उनके डर को, जो उनके दिल में आपके लिए प्यार था, उसने मिटा दिया था। तो जब हम उनके बारे में सोचते हैं, हमारे दिमाग में ये शब्द आते हैं। निडर, संघर्ष, मोहब्बत, ये शब्द आते हैं।”