AYODHYA. अयोध्या में सकल आस्था के प्रतिमान प्रभु श्रीराम का मंदिर कई मायनों में खास है। यहां आधुनिक भारत के साथ पुरातन वैभव भी नजर आएगा। स्वत्रंत लेखक और रिसर्च स्कॉलर रासबिहारी शरण पाण्डेय मंदिर निर्माण कार्य से दो वर्ष से जुड़े हैं। उन्होंने 'द सूत्र' के साथ बातचीत में अनेक जानकारियां साझा कीं। उनके अनुसार, मंदिर अपनी भव्यता के साथ पूर्व से पश्चिम तक 380 फीट लंबा और 250 फीट चौड़ा होगा। मंदिर की ऊंचाई 161 फीट होगी। 392 अलंकरित नक्काशीदार स्तंभ मंदिर को मजबूती प्रदान करते हैं। यहां 44 अलंकृत दरवाजे लगाए गए हैं। मंदिर के भूतल पर भगवान श्रीराम पांच वर्ष के बालक के रूप में विराजित होंगे। पहले तल पर श्रीराम दरबार भी होगा।
सूर्य देव और मां अन्नपूर्णा का मंदिर
सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के लिहाज से मंदिर में अलग-अलग नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा-प्रार्थना और कीर्तन मंडप का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर के परकोटा के चारों कोनो पर सूर्य देव, मां अन्नपूर्णा, गणपति व भगवान शिव को समर्पित मंदिरों का निर्माण होगा। इसी के साथ मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप भी होगा।
प्राचीन और आधुनिक भारत की झलक
बातचीत में पाण्डेय ने कहा कि राम मंदिर भारतीय वास्तुकला का अद्भूत नमूना है, जो प्राचीनता और सांस्कृतिक महत्व को संजोने के साथ आधुनिकता को भी समेटे हुए है। राम मंदिर केवल आस्था का केन्द्र बिन्दु नहीं, बल्कि यह विविधता में एकता का सजीव चित्रण है। जैसे श्रीराम ने लीलाकाल में हर व्यक्ति को एकता के सूत्र में पिरोया था, वैसे ही कलयुग में राम मंदिर के निर्माण ने हिन्दू समाज को एकजुट किया है।
पूरे देश की बात
पाण्डेय के अनुसार, मंदिर संपूर्ण देश को अपने में समेटे हुए है। मुख्य मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है। परकोटा द्रविण शैली में आकार ले रहा है। राजस्थान से पत्थर मंगाया गया तो पश्चिम बंगाल के कारीगर काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र से लकड़ी आई और उसकी नक्काशी हैदराबाद में की गई। बुंदेलखंड से स्टोन डस्ट लाया गया और मूर्तियों का निर्माण ओडिशा के कारीगरों द्वारा किया गया। ऐसे ही ग्रेनाइट कर्नाटक का है।
ऋषि-मुनियों के भी मंदिर होंगे यहां
उन्होंने आगे बताया कि भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ समरसता का प्रतीक श्रीराम मंदिर, सहायक मंदिरों और महत्वपूर्ण तथ्यों की श्रृंखला से परे अपनी श्रृद्धा का विस्तार करता है। परिसर में प्रस्तावित मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, निषादराज, माता शबरी का मंदिर सभी भारतीयों में समरसता का भाव पैदा करेगा।