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आजकल हर तरफ शादी का मौसम है। डेस्टिनेशन वेडिंग्स, डिजाइनर लहंगे, महंगी बुकिंग्स। युवा अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। कोई आलिया भट्ट के लहंगे को कॉपी कर रहा है, तो कोई प्रियंका चोपड़ा की तरह डेस्टिनेशन वेडिंग का सपना देख रहा है।
इस शोर-शराबे से अलग एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। वो है शादी के फैसलों में लड़कियों का दखल। 90 के दशक के बाद जैसे-जैसे ग्लोबलाइजेशन और लड़कियों की शिक्षा बढ़ी, उनकी आत्मनिर्भरता और खुद निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ गई।
आज की लड़की के लिए शादी सिर्फ पति और परिवार की देखभाल नहीं है। वह अब अपना जीवनसाथी खुद चुन रही है। अपनी शर्तें रख रही है। अगर रिश्ता न चले तो उस बुरे बंधन से बाहर निकलने में भी देर नहीं लगाती। ऐसे में आइए जानें 90 के दशक के बाद कैसे बदल गई शादी की रीत...
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साथी चुनने के नए तरीके
एक जमाना था जब रिश्तेदार और परिवार की बुआ ही जोड़ी मिलाती थीं। अब यह काम मैट्रिमोनियल वेबसाइट्स, डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया कर रहे हैं। प्रेम विवाह का चलन भी बढ़ गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल होने वाली शादियों में 10 से 15 प्रतिशत अब प्रेम विवाह होते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप का चलन भी बढ़ा है। यहां जोड़े पहले साथ रहकर एक-दूसरे को समझते हैं, फिर शादी का फैसला लेते हैं।
पहले अच्छी नौकरी और करियर (Career First)।
फिर आर्थिक स्वतंत्रता (Financial Freedom) का आनंद।
घूमना-फिरना (Traveling)।
और फिर शायद शादी (Marriage is not a compulsion)।
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मां बनने के नए विकल्प
अब शादी न चलने पर जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। महिलाओं के पक्ष में मजबूत कानून और लोकतंत्र ने उन्हें शक्तियाँ दी हैं। लड़कियां अब बुरे रिश्ते को ढोने की बजाय उसे छोड़ना पसंद करती हैं।
बड़ी उम्र में विवाह करने पर IVF और सरोगेसी जैसी तकनीकें उपलब्ध हैं। बड़ी कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों को एग फ्रीजिंग के लिए मेडिकल कवर दे रही हैं। महिलाएं अब अपनी मर्जी से मां बनने के लिए तकनीकी सहायता ले सकती हैं।
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पेरेंट्स भी बदल रहे हैं
अब ज्यादातर माता-पिता भी अपने बच्चों के फैसलों (change in lifestyle) में अड़चन नहीं डालते। मिडिल क्लास में जाति, धर्म और प्रदेश की दीवारें टूट रही हैं। माता-पिता का मानना है कि जिंदगी तो बच्चों को ही बितानी है, तो उन्हें अपनी पसंद का पार्टनर चुनने का पूरा हक है।
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लड़कियां अब रखती हैं कड़ी शर्तें
आज की लड़की (healthy lifestyle) न सिर्फ अपना वर खुद चुन रही है, बल्कि अपनी शर्तें भी खुलकर रख रही है। अब वह सैलरी, स्वभाव, परिवार और यहां तक कि लड़के की गाड़ी जैसी छोटी-छोटी बातों पर भी समझौता नहीं करती।
कई बार लड़कियां शादी से पहले ही ये शर्तें रखने लगी हैं:
अच्छी नौकरी और बड़ी गाड़ी चाहिए।
घर में घरेलू सहायक जरूरी है।
लड़के के माता-पिता के साथ नहीं रहना है।
एक बड़ा तबका सिंगल रहने (Rules of lifestyle) को प्राथमिकता दे रहा है। मॉर्गन स्टेनली के सर्वे के अनुसार, 2030 तक 25-44 उम्र की 45% महिलाएं सिंगल रह सकती हैं। इसलिए शादी जैसे बड़े फैसले से पहले इमोशनल और फाइनेंशियली तैयार होना जरूरी है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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