Gen Z Relationships: स्लो बर्निंग रिलेशनशिप कैसे बन रहा है Gen Z का न्यू नॉर्मल, ये है मेन रीजन

Gen Z अब भाग-दौड़ वाले रिश्ते की जगह स्लो बर्निंग रिलेशनशिप को अपना रहा है। यहां युवा किसी भी डीप कमिटमेंट से पहले खुद को और पार्टनर को समय देना चाहते हैं। यह ट्रेंड करियर फोकस, मेंटल हेल्थ अवेयरनेस जैसे कई मॉडर्न फैक्टर्स के कारण बढ़ रहा है...

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Kaushiki
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Gen Z Relationships: आज की यूथ जेनरेशन यानी Gen Z ने डेटिंग के सारे रूल्स बदल दिए हैं। पहले लोग जल्दी रिश्ते में आते थे और कमिटमेंट भी जल्दी कर लेते थे। पर अब सीन एकदम अलग है।

आज के युवा जल्दी कमिटमेंट करने से बचते हैं। कई बार इसे 'कमिटमेंट फोबिया' कह दिया जाता है। पर एक्सपर्ट्स इसे 'स्लो बर्निंग रिलेशनशिप' ट्रेंड बताते हैं। 

यह ट्रेंड दिखाता है कि आज का यूथ भाग-दौड़ वाले रिश्ते से दूर है। वे किसी भी डीप रिलेशनशिप में आने से पहले पूरी तरह से श्योर होना चाहते हैं। यह उनकी प्रायोरिटी में आए बड़े चेंज को दिखाता है।

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क्या होता है स्लो बर्निंग रिलेशनशिप

'Slow Burning' का मतलब है, रिश्ते को धीरे-धीरे और आराम से आगे बढ़ाना।

  • कमिटमेंट डिले: इसमें कपल्स ऑफिशियल होने में या बड़े वादे करने में काफी टाइम लेते हैं।

  • फ्रेंडशिप फर्स्ट: रिश्ते की शुरुआत एक मजबूत दोस्ती और अंडरस्टैंडिंग पर बेस्ड होती है।

  • नो प्रेशर: किसी भी पार्टनर पर शादी या गंभीर रिलेशनशिप में आने का प्रेशर नहीं होता है।

  • सेल्फ-एक्सप्लोरेशन: दोनों पार्टनर पहले खुद को और अपनी फीलिंग्स को समझने के लिए टाइम लेते हैं।

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Gen-Z के धीरे कमिट होने के मेन रीजन्स

Gen Z जनरेशन का यह नया एटीट्यूड कई फैक्टर्स की वजह से है:

  • टेक्नोलॉजी और ऑप्शंस की भरमार

    डेटिंग ऐप्स: आज टिंडर, बम्बल जैसे ऐप्स पर ढेर सारे ऑप्शंस मिलते हैं।

    बेटर की तलाश: इतने विकल्प होने पर युवा किसी एक पर जल्दी कमिट नहीं हो पाते।

    FOMO: उन्हें हमेशा लगता है कि कहीं कोई बेहतर पार्टनर छूट न जाए। इसे फियर ऑफ मिसिंग आउट कहते हैं।

  • फाइनेंशियल सिक्योरिटी और करियर गोल

    महंगाई: इकोनॉमिक इनसिक्योरिटी आज Gen Z के लिए बड़ी टेंशन है।

    करियर फोकस: वे पहले अपने करियर और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को प्रायोरिटी देते हैं।

    कमिटमेंट का खर्च: वे मानते हैं कि एक स्थिर रिलेशनशिप या मैरिज के लिए पैसा बहुत जरूरी है।

  • मेंटल हेल्थ सबसे पहले

    जागरूकता: इस पीढ़ी में मेंटल हेल्थ और वेल-बीइंग को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है।

    रिश्तों का स्ट्रेस: वे जानते हैं कि टूट चुके रिश्ते कितना मानसिक तनाव देते हैं।

    सेल्फ-केयर: वे कमिटमेंट से पहले सेल्फ-केयर और खुद के साथ टाइम स्पेंड करना पसंद करते हैं।

  • पिछली पीढ़ी के फेलियर से सबक

    डिवोर्स: उन्होंने अपने आसपास तलाक और असफल रिश्तों को देखा है।

    रिस्क अवॉइडेंस: वे किसी रिश्ते में जल्दी बंधकर वह 'रिस्क' नहीं लेना चाहते।

    ऑथेंटिसिटी: वे चाहते हैं कि रिश्ता केवल दिखावा न हो, बल्कि उसमें सच्चाई और ऑथेंटिसिटी हो।

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समझदारी का न्यू नॉर्मल

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह कमिटमेंट फोबिया नहीं है। बल्कि यह Gen Z की समझदारी है। वे जानते हैं कि एक गहरे और लंबे रिश्ते के लिए पार्टनर को पूरा समय देना कितना जरूरी है। स्लो बर्निंग एप्रोच उन्हें सेफ फील कराता है, जहां वे बिना किसी दबाव के ग्रो कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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