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Photograph: (the sootr)
सिंहासन छत्तीसी. एक आईपीएस को सरकार ने चकरघिन्नी बना दिया है। वे कहते हैं कि इधर चला,मैं उधर,जाने कहां मै किधर चला। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है यह सोचने वाली बात है। वहीं कुछ आईपीएस के तबादलों ने पीएचक्यू को कानों तक खुश कर दिया है। ये तो हुई अफसरों की बात वहीं मंत्रियों के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। उनको कुछ टेंशन सता रही है। अब यह टेंशन उनको क्यों है उसके पीछे भी वजह है।
उधर एक साहब रिटायर होकर बैठ गए हैं लेकिन उनके पुनर्वास की कोई चिंता ही नहीं कर रहा। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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इधर चला मैं,उधर चला,जानें कहां मैं किधर चला :
एक आईपीएस अफसर को पीएचक्यू ने चकघिन्नी बना दिया है। अब इसे काम का बोझ कहें या फिर सरकार की मेहरबानी। एक के बाद एक मिल रही जिम्मेदारी से साहब खुद हैरान हैं। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि उन्होंने तो कोई नारियल चढ़ाया नहीं फिर देव कृपा क्यों हो रही है।
हाल ही में आईपीएस अवार्ड हुए साहब की मूल पोस्टिंग एक बटालियन में कमांडेंट है। गृह विभाग ने उन्हें एक और बटालियन की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप रखी है। पुलिस मुख्यालय ने बिहार चुनाव के लिए फोर्स लेकर उन्हें बिहार जाने का आदेश निकाल दिया है। इधर, गृह विभाग से एक और आदेश निकला जिसमें उनको एक जिले का प्रभारी एसपी बना दिया गया। वहां के एसपी फाउंडेशन कोर्स करने दो महीने के लिए हैदराबाद जा रहे हैं।
इससे पहले के साहब जिले में अपनी आमद दर्ज कराते एक और आदेश सामने आ गया। उन्हें दूसरे जिले का एसपी बना दिया गया। एसपी की फर्स्ट पोस्टिंग के हिसाब से अच्छा जिला मिल गया। वे हैरान हैं कि उपर वाला अचानक इतना प्रसन्न कैसे हो गया, आए दिन एक पोस्टिंग टपक जा रही।
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आखिर उखड़ गया फेविकोल का मजबूत जोड़ :
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने चार जिलों के एसपी का तबादला कर दिया। जिन जिलों के कप्तानों को बदला गया, उनमें राजनांदगांव, मनेंद्रगढ़, सक्ती और कोंडागांव शामिल है। इनमें से कुछ एसपी तो ऐसे हैं जिनके हटने से पीएचक्यू खुश है। क्योंकि, पिछले करीब छह महीने से पीएचक्यू कोशिश कर रहा था कि इन एसपी को कैसे हटाया जाए।
फेविकोल का जोड़ इतना मजबूत था कि कोई हिला नहीं पा रहा था। अब जाकर कामयाबी मिली। बहरहाल, एसपी स्तर पर एक छोटी लिस्ट और आएगी। ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की व्यस्तता से फारिग होने के बाद सरकार यह काम करेगी।
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गुजरात मॉडल की टेंशन में मंत्री :
गुजरात में मंत्रियों का सामूहिक इस्तीफा लेकर कई को घर बिठा दिया गया। इस बात की टेंशन अब छत्तीसगढ़ के कुछ मंत्रियों को होने लगी है। बीजेपी के लोग ही दावा करते घूम रहे कि राज्योत्सव या अधिक-से-अधिक अगले साल होली से पहले मंत्रियों से सामूहिक इस्तीफा ले लिया जाएगा।
सरकार, पार्टी और संघ के लोग भी दबी जुबां से स्वीकार कर रहे कि कुछ मंत्रियों का परफार्मेंस बहुत अच्छा नहीं रहा। कहा जा रहा है कि बीजेपी गुजरात मॉडल उन सभी राज्यों में लागू करने वाली है, जहां मंत्रियों का परफार्मेंस ठीक नहीं। अब इसमें छत्तीसगढ़ शामिल है या नहीं, पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
दिक्कत यह है कि अधिकांश मंत्रियों से कार्यकर्ता नाखुश है। असल में, मंत्रियों काे लगा कि पांच साल के लिए गद्दी मिल गई है। 2028 में विधानसभा चुनाव के समय देखा जाएगा। इस ओवरकांफिडेंस में कार्यकर्ताओं का अनादर होने लगा। मगर इस बीच गुजरात की घटना हो गई। और फिर पीएम मोदी का छत्तीसगढ़ का लंबा दौरा। उपर से अमित शाह महीने में दो बार छत्तीसगढ़ आ ही रहे हैं। मंत्रियों को यही डर खाए जा रहा है सामूहिक इस्तीफे में कहीं उनका नंबर न लग जाए।
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लंबा हुआ साहब का इंतजार :
मुख्य सचिव के लंबे कार्यकाल का रिकार्ड बना रिटायर हुए अमिताभ जैन को पोस्ट रिटायमेंट पोस्टिंग क्या मिलेगी, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। अभी तक जितने भी मुख्य सचिवों को रिटायरमेंट के बाद पोस्टिंग मिली, उसमें इतना विलंब नहीं हुआ। आरपी मंडल को रिटायरमेंट के 20 मिनट के भीतर एनआरडीए चेयरमैन बनाने का आदेश आ गया था। मगर अमिताभ को रिटायर हुए 25 दिन निकल गए, अभी कोई सुगबुगाहट नहीं है।
अलबत्ता, रिटायरमेंट के आखिरी दिनों में जब वे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ जापान और साउथ कोरिया गए थे, तब अटकलें तेज हुई थी कि प्रदेश के मुखिया के साथ विदेश गए हैं, यकीनन उनका कुछ अच्छा ही होगा। उसी समय बिजली नियामक आयोग के चेयरमैन का पद खाली हुआ था। ऐसे में, लोगों ने अंदाजा लगाया कि अमिताभ अब बिजली आयोग के ही चेयरमैन बनेंगे। मगर अभी तक बिजली आयोग का पद विज्ञापित ही नहीं हुआ और न ही मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति केस से हाई कोर्ट का स्टे हटा।
असल में, सरकार में बैठा एक वर्ग मानता है कि पिछले सरकार में सीएस बने अमिताभ जैन को सरकार ने नहीं हटाया, फिर पौने पांच साल से अधिक समय तक ब्यूरोक्रेसी की सबसे उंची कुर्सी पर बैठने का मौका दिया गया।
इसके बाद और क्या? यही परसेप्शन अमिताभ जैन के रास्ते में रोड़ा अटका रहा है। हालांकि, मुख्य सूचना आयुक्त के लिए अमिताभ ने इंटरव्यू दिया है। और खबरें भी इसी तरह की है कि हाई कोर्ट से स्टे क्लियर होते ही उनकी नियुक्ति हो जाएगी।
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