रायपुर : इस बार हम आपको बता रहे हैं सूरजपुर बवाल की पर्दे के पीछे की पूरी कहानी। क्यों आखिर उन लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई जो इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था। क्यों इस पूरे मामले में एक खोखा रकम सामने आ रही है। वहीं आपको बता रहे हैं कि रायपुर दक्षिण के उम्मीदवारों को किस आधार पर टिकट मिली है। कहा कुछ और जा रहा है और बात कुछ और ही है। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॅालम सिंहासन छत्तीसी।
इस बवाल के पीछे कहीं 1 करोड़ तो नहीं
हाल ही में सूरजपुर में मचा बवाल सियासत की सुर्खियों में बना हुआ है। दरअसल इसके पीछे बड़ी कहानी है। सवाल यह है कि कहीं इस बवाल के पीछे एक करोड़ रुपए तो नहीं हैं। लगता तो कुछ ऐसा ही है। इस पूरी कहानी में तीन कैरेक्टर हैं ए,बी और सी। ए कबाड़ का व्यापारी था। उसके व्यापार को करने के लिए एक पुलिसकर्मी ने दूसरे कबााड़ियों को खड़ा कर दिया। इससे नाराज ए ने पुलिसकर्मी के साथ सरेराह बदसुलूकी कर दी। मामला बढ़ा और बात एफआईआर पर आ गई। ए ने एफआईआर न करने के ऐवज में कैरेक्टर बी को 12 लाख रुपए दिए। इसके बाद भी ए के खिलाफ बी ने एफआईआर कर दी।
इससे नाराज ए ने दिल दहला देने वाला कांड कर दिया। इस कांड के बाद जमकर बवाल मचा। ए को एनकाउंटर करने का दवाब बनाया गया। ए को डर था कि उसका एनकाउंटर हो जाएगा। अब यहां पर कैरेक्टर सी की इंट्री होती है। एनकाउंटर न करने के लिए ए ने सी को 1 करोड़ रुपए दिए। ये 1 करोड़ रुपए उपर से नीचे तक बंटने थे। लेकिन मामला इतना बढ़ गया था कि ये बंदरबांट नहीं हो पाई और पैसा सी के पास ही रखा रहा। इस मामले में कलेक्टर और एसपी को हटा दिया गया। जबकि इसमें सीधे तौर पर जिम्मेदार निचले स्टॉफ पर कार्रवाई नहीं हुई। चर्चा ये भी है कि इस पैसे के बंटने के लिए नीचे के अधिकारी और स्टॉफ को बचाया गया। इसीलिए कहा जा रहा है कि यह पूरा बवाल एक करोड़ का है।
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संगठन पर भारी नेताजी
बीजेपी का संगठन सबसे बड़ा माना जाता है। पार्टी के लोग कहते भी हैं कि संगठन में सामूहिक फैसले होते हैं जिनको सबको मानना पड़ता है। पीएम,सीएम भी खुद को पार्टी का एक कार्यकर्ता बताते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की बात कुछ और है। संगठन से बड़े यहां पर एक नेताजी हैं। रायपुर दक्षिण के उपचुनाव में जब टिकट का फैसला होना था तो संगठन की इच्छा धरी की धरी रह गई। संगठन किसी युवा को टिकट देना चाहता था जबकि नेताजी अपने पट्ठे को चाहते थे। नेताजी ने साफ कह दिया था कि अगर उनकी मर्जी से टिकट नहीं दिया गया तो जिताने की जिम्मेदारी भी उनकी नहीं होगी। नेताजी की चेतावनी से संगठन डर गया और उनकी बात पर हामी भर दी। फिर क्या था नेताजी मूंछों पर ताव देते हुए बैठक से बाहर निकल आए।
इसलिए मिला आकाश को टिकट
ये थी बीजेपी की कहानी। अब आपको बताते हैं कांग्रेस के टिकट की कहानी। कांग्रेस ने युवा उम्मीदवार आकाश शर्मा को मैदान में उतारा। इसके पीछे भी बड़ा कारण है। दरअसल कांग्रेस के जो टिकट के दावेदार थे वे बृजमोहन अग्रवाल की बी टीम के सदस्य ही माने जाते रहे हैं। कांग्रेस ये जोखिम नहीं उठाना चाहती थी क्योंकि हर बार ये आरोप लगता रहा है कि रायपुर दक्षिण में कांग्रेस का उम्मीदवार भी बृजमोहन ही तय करते रहे हैं।
इस बार कांग्रेस को संजीवनी चाहिए इसलिए वो बृजमोहन की बी टीम के सदस्य को टिकट देकर किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी। यही कारण था कि आकाश शर्मा को टिकट दिया गया। मुकाबला यहां पर तगड़ा हो गया है क्योंकि पिछला चुनाव बृजमोहन कम अंतर से जीते थे और इस बार तो उम्मीदवार बृजमोहन नहीं हैं। बीजेपी के नेता अब यह कहने लगे हैं कि आकाश बाहरी हैं और उनको उनके ससुर ने टिकट दिलवाया है।
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छत्तीसगढ़ के अफसर को भारत सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। ये खनिज प्रधान राज्य है और इन्हें स्टील मंत्रालय में फाइनेंसियल एडवाइजर बनाया है। नीट परीक्षा में निचले स्तर पर धांधली का खामियाजा इनको ही उठाना पड़ा था। राजनीतिक प्रेशर में सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया था। अब उन्हें स्टील जैसा महत्वपूर्ण विभाग देकर इसकी भारपाई करने की कोशिश की गई है।
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