छत्तीसगढ़ की सरकार नौकरशाही को आपस में उलझाने में लग गई है। एक ही काम के लिए दो अफसरों को लगा दिया है,वो भी बराबर के। अब ऐसे में उलझन नहीं होगी तो क्या होगा। पहले प्रदेश में ऐसा नहीं होता था कि एक ही रैंक के सचिव और कमिश्नर एक ही काम को देखें। लेकिन अब ऐसा हो रहा है। वहीं बिना गुनाह के सस्पेंड हुए आईपीएस की बहाली नहीं हो पा रही है। उसकी फाइल गृहमंत्री की टेबिल पर अटक गई है। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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दो अफसर एक विभाग, इसीलिए मची खींचतान
एक विभाग में बराबर के दो अफसर पदस्थ हो जाएं तो कामकाज में उलझनें बहुत हो जाती हैं। प्रदेश के एक बड़े अहम विभाग में कुछ इसी तरह का मामला है। एक बैच के दो अफसरों को एक ही विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया गया है। एक आईएएस है तो एक आईपीएस,दोनों एक ही बैच के अफसर हैं।
एक कमिश्नर है तो एक सेक्रेटरी। यहां पर एक महत्वपूर्ण बात ये सामने आ रही है कि बड़े फैसले लेने में आपसी तालमेल गड़बड़ा रहा है। एक कोई निर्णय लेता है तो दूसरा पेंच फंसा देता है। ऐसे में दिक्कत इस विभाग के तहत आने वाले लोगों को हो रही है। समझ में ये भी नहीं आ रहा है कि कौन किसका बॉस है क्योंकि दोनों ही सीएम के खास हैं। अब समझ में ये नहीं आ रहा कि किसके दीए में तेल डाला जाए ताकि काम बन जाए।
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आईपीएस की बहाली की फाइल गृह मंत्री की टेबल पर अटकी
हाल ही में गृहमंत्री के गृह जिले कवर्धा के लोहरीडीह में बड़ा कांड हुआ। इस कांड को शांत करने के लिए सबसे पहले वहां के एडिशनल एसपी की बलि दे दी गई यानी उन्हें सस्पेंड कर पीएचक्यू भेज दिया। मामला शांत नहीं हुआ तो सीएम ने कलेक्टर,एसपी समेत पूरे थाने को हटा दिया। जब ये बात सामने आई कि इसमें एडिशनल एसपी की कोई गलती नहीं थी।
इसके बाद आईपीएस की बहाली की प्रक्रिया शुरु हुई। सूत्रों की मानें तो फाइल को डीजीपी और गृह विभाग के एसीएस ने ओके कर गृहमंत्री के पास भेज दी। अब यह फाइल गृहमंत्री की टेबिल पर अटक गई और वे इस पर साइन नहीं कर रहे हैं। दिन बीतते जा रहे हैं लेकिन आईपीएस के सितारे फिलहाल गर्दिश में ही चल रहे हैं।
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तबादला उद्योग रोकने छोटी होगी ट्रांसफर लिस्ट
प्रदेश में तबादला उद्योग चलने और उसमें वसूली की खबरों से सीएम नाराज हैं। खासतौर पर खुलेआम तबादलों में मंत्री के नाम आने के बाद सीएम का पारा चढ़ा हुआ है। सीएम ने ताकीद कर दिया है कि ट्रांसफर लिस्ट छोटी हो और जो जरुरी हो वही ट्रांसफर फिलहाल किए जाएं। हाल ही में गरियाबंद के एसपी के तबादले का सिंगल ऑर्डर निकला।
नौकरशाही में कानाफूसी शुरु हो गई कि सिंगल ऑर्डर का मतलब तो सीएम की नाराजगी होती है। लेकिन यहां मामला कुछ दूसरा है। दसअसल सरकार इस छोटे जिले में डीआईजी रैंक के अफसर को नहीं रखना चाहती थी इसलिए उनसे जूनियर अधिकारी को यहां तैनात किया गया। अब सरकार में इसी तरह के एक-एक दो-दो अफसरों की लिस्ट ही निकलती नजर आएंगी।
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