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प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों बहुत गर्माहट है। इन हल्कों में पारा इसलिए भी चढ़ा हुआ है क्योंकि इस वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने चल रहे हैं। कई आईएएस और आईपीएस को अपनी चरित्रावली सुधारने की चिंता है, जिनके नाम के तार किसी घोटाले से जुड़ रहे हैं उनकी रातों की नींद हराम हो गई है। अब वे अपने बेहतर चरित्र चित्रण के लिए बड़ी रकम खर्च कर रहे हैं। यह आंकड़ा पेटी से खोका तक पहुंच रहा है। आखिर हो भी क्यों न पूरे प्रशासनिक कॅरियर का जो सवाल है। वहीं चर्चा नए डीजीपी के आने और नए मुख्य सचिव को लेकर भी चल रहीं हैं। प्रशासनिक-राजनीतिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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सीआर चमकाने अफसर दे रहे मोटी रकम
इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार के आईएएस,आईपीएस अफसरों को अपनी सीआर की बहुत चिंता है। चिंता हो भी क्यों न आखिर यही सीआर तो उनके प्रशासनिक कॅरियर के आगे का रास्ता तय करती है। छत्तीसगढ़ में कई घोटाले सामने आए जिनमें शराब,कोल और महादेव सट्टा एप जैसे बड़े स्कैम शामिल हैं। इनसे जुड़े कई अफसर तो जेल की सलाखों के पीछे हैं, जो जेल में नहीं उनकी रातों की नींद उड़ी हुई है। इनमें वे आईएएस और आईपीएस शामिल हैं जिनका नाम ईडी की डायरी में दर्ज है और उनके तार किसी न किसी घोटाले तक जा रहे हैं।
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सूत्र कहते हैं कि इन अफसरों ने अपनी सीआर चमकाने के लिए मोटी रकम खर्च की है। सीआर में उत्तम आचरण,सर्वोत्तम चरित्र और बेजोड़ कर्तव्यनिष्ठा का प्रदर्शन लिखवाया जा रहा है। सीआर लिखने वालों की कमाई इन दिनों, दिन दूनी और रात चौगनी हो रही है। इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने के आखिरी महीनों में दागी अफसर अपनी चरित्रावली सुधारने के लिए दोनों हाथों से जनता के पैसों से लूटी कमाई दोनों हाथों से लुटा रहे हैं। कोल स्कैम के दायरे में आए तीन आईपीएस अफसरों ने घोटालों से जुड़ी टिप्पणी से बचने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। इनका नाम ईडी की चार्जशीट में दर्ज हो चुका है।
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यही हाल उन आईपीएस का भी है जिनके तार महादेव सट्टा एप घोटाले से जुड़ रहे हैं। बताया जाता है कि चार आईपीएस अफसरों को इसके प्रचार प्रसार और संरक्षण के लिए लाखों रुपए महीने दिए जाते थे। सूत्रों की मानें तो ईडी ने ईओडब्ल्यू को इन अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने को कहा था लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव के चलते इसमें कुछ हुआ नहीं। शराब घोटाले में भी इन अफसरों की कार्यप्रणाली जांच के दायरे में है। यहां से भी इनको खूब आमदनी होती थी।
सूत्र बताते हैं कि रायपुर के एक नर्सिंग होम के डॉक्टर के ठिकानों पर हुई छापामार कार्रवाई में 2 करोड़ रुपए बरामद हुए जिसे एक आईपीएस की प्रोटेक्शन मनी बताई गई। साल 2018 से लेकर 2023 तक प्रदेश के कई इलाकों में कुछ चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों ने अपने परिजनों और नाते-रिश्तेदारों समेत उनकी कंपनी में घोटालों से अर्जित रकम निवेश की है। घोटालों की फेहरिस्त में आईएएस रहे पूर्व मुख्य सचिव का नाम भी शामिल है।
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छत्तीसगढ़ में आएगा सिंह
सरकार ने आखिरकार अरुण देव गौतम को प्रभारी डीजीपी बना दिया। आमतौर पर यह होता है कि प्रभारी को ही आगे कंटीन्यू कर दिया जाता है। अरुण देव के डीजीपी बनने के बाद आईपीएस अब आगे की अटकलें लगाने लगे हैं। इनके वाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज चल पड़ा है।
दरअसल ये मैसेज इसलिए भी चला है क्योंकि जीपी सिंह का जिस तेजी से प्रमोशन हुआ है उससे सब हैरान हैं। अधिकारी अब उनको नए डीजी के रुप में देखने लगे है। वे अब डीजी रैंक के हो गए हैँ। मैसेज में कहा जा रहा है कि अब देव काल के बाद गुप्त काल आएगा या सिंहकाल। यानी अब हिमांशु गुप्ता का नंबर लगेगा या जीपी सिंह का। खैर नंबर जिसका भी लगे अधिकारी अपनी-अपनी गोटियां फिट करने लगे हैं।
अब मुख्य सचिव कौन
डीजीपी बनने के बाद अब एक और प्रशासनिक मुखिया की चर्चाएं शुरु हो गई हैं। हालांकि अभी मुख्य सचिव के रिटायरमेंट में चार महीने बाकी हैं लेकिन प्रशासनिकल गलियारों में कई नाम सामने आने लगे हैं। सीनियरिटी के हिसाब से अगले नंबर में रेणु पिल्लै और सुब्रत साहू का नाम है।
इस रेस में रिचा शर्मा और मनोज पिंगुआ का भी नाम है। हालांकि किसका नंबर लगेगा इसको लेकर कोई श्योर नहीं है। चर्चा ये भी है कि हो सकता है सीएस को एक्सटेंशन मिल जाए या फिर ये भी हो सकता है कि दिल्ली से कोई पर्ची आ जाए। खैर इसमें अभी वक्त है इसलिए थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए।