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Photograph: (the sootr)
RAIPUR.छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए सम्मान समारोह पर सवाल खड़े हो गए हैं। कहा जा रहा है कि तीन चार लोगों ने अपने चहेतों को रेवड़ी बांट दी। और कुछ केटेगरी में तो यह सम्मान समारोह ऐसा लगा जैसे कांग्रेस ने यह लिस्ट तैयार की हो। यहां तक कि इस पूरे आयोजन में पीएमओ की भी इंट्री हो गई। है न हैरानी की बात लेकिन जो है सो है।
बीजेपी में भी अब गुटबाजी का कीड़ा लग गया है। यह दिखाई दिया राजनांदगांव में। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में मौत का तांडव हो रहा था और मंत्रीजी मंच पर सुर साध रहे थे। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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सम्मान पर सवाल :
छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए सम्मान समारोह और उसमें बंटे सम्मान पर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्र कह रहे हैं कि संघ और संगठन को अंधेरे में रखकर चंद लोगों ने तय कर अपने अपने चहेतों को सम्मान की रेवड़ी बांट दी। पहली बात तो ये है कि घोर कांग्रेसी मानसिकता के लोगों को अवॉर्ड दिया गया।
अगर ये मान भी लिया जाए कि कांग्रेस की मानसिकता है तो क्या हुआ यदि वे योग्य हैं तो उनको सम्मान मिलना ही चाहिए। लेकिन दूसरा सवाल यहीं पर आकर खड़ा हो रहा है। पुष्ट सूत्र यानी ऐसे सूत्र जो इस मसले से सीधे जुड़े हुए हैं, वे ही दबी जुबान में बहुत कुछ बता रहे हैं। जो सम्मानित हुए उनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनको पीएमओ और संघ के कोटे का बताकर एलिजिबिल बनाया गया।
चार लोगों ने अपने चहेतों के नाम तय कर लिए और बता दिया कि यह नाम पीएमओ से आया है इसलिए इसके नाम पर मुहर तो लगानी ही पड़ेगी। दूसरे का नाम संघ के कोटे से है इसलिए इसको भी इग्नोर नहीं किया जा सकता। इसलिए एक पुरस्कार दो लोगों को दे दिया गया। खबर ये भी है कि संघ ने अपनी तरफ जो नाम दिए थे उन पर तो गौर भी नहीं गया। यह छत्तीसगढ़ है और यहां सब मुमकिन है।
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बीजेपी में गुटबाजी :
कहते हैं कि सत्ता आती है तो अपने साथ कुछ बुराइयां भी लेकर आती है। यही हाल कुछ बीजेपी में हो रहा है। गुटबाजी तो कांग्रेस का पुराना मर्ज माना जाता रहा है क्योंकि कांग्रेस के हाथों में ज्यादा समय तक सत्ता की बागडोर रही है। लेकिन अब वक्त बदल गया है। सत्ता के साथ साथ बीजेपी में भी गुटबाजी दिखाई देने लगी है। कुछ छिपकर हो रही है तो कुछ खुलेआम जाहिर है।
छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों पोस्टर पॉलिटिक्स चल रही है। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के राजनांदगांव आगमन से जुड़ा कार्यक्रम चर्चा में है। लेकिन इसकी वजह कार्यक्रम नहीं बल्कि उससे जुड़ा एक गायब चेहरा है।
जिला प्रशासन ने निमंत्रण पत्र जारी किया और बीजेपी ने बैनर पोस्टर छपवाए। लेकिन क्षेत्र के सांसद संतोष पांडेय का नाम और फोटो न तो जिला प्रशासन द्वारा जारी निमंत्रण पत्र में दिखाई दिया और न ही भारतीय जनता पार्टी के बैनर पर। अब यह गलती से हुई चूक है या जानबूझकर की गई भूल, यह तो यही लोग बता सकते हैं जिन्होंने ये पत्र और बैनर छपवाए हैं।
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मौत का तांडव,मंत्री ने साधा सुर :
हाल ही में बिलासपुर में रेल हादसा हुआ। इस रेल हादसे में 11 लोगों की जान चली गई। लेकिन इतने भीषण हादसे में एक मंत्री में संवेदनहीनता दिखाई दी। छत्तीसगढ़ में राज्योत्सव जिलों में भी मनाया गया। एक जिले में राज्योत्सव के मुख्य अतिथी बनकर मंत्रीजी पहुंचे। एक तरफ मौत का तांडव था तो दूसरी तरफ मंत्रीजी मंच से सुर साध रहे थे।
रेल हादसे में 11 लोगों की जिंदगी चली गई और मंत्री मंच पर गाना गा रहे थे। या तो इसे मंत्री की संवेदनहीनता कहा जाए या फिर हादसे की अनदेखी। या फिर ये माना जाए कि मंत्रीजी को इतनी बड़ी खबर का पता ही नहीं था, यह तो और बुरी बात है। मंत्रीजी को अपना नेटवर्क मजबूत करने की जरुरत है। बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन लोग इसे सत्ता का मद बता रहे हैं।
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