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संजय जगरिया, DHOLPUR. "जाको बेरी सुख ते सोबे बाके जीवे को धिक्कार"। धौलपुर जिले के गुर्जर समुदाय में यह कहावत काफी पुराने समय से प्रचलित है, जिसे स्थानीय भाषा में 'तेगा' कहा जाता है। इसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति का दुश्मन सुख से रहने लगे, उसके जीवन का कोई मतलब नहीं है और समाज के अन्य लोग उसको धिक्कारते हैं। अर्थात उसे कायर कहा जाता है। इसी कहावत के चलते जिले में इसी समुदाय में ही नहीं बल्कि विभिन्न समुदायों में किसी भी घटना का बदला लिया जाना एक सामान्य सा चलन बना हुआ है। हालांकि, गुर्जर समुदाय ने अपने समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को दूर करते हुए काफी सुधार किया है, लेकिन यह चलन अभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो पाया है।
परिवार सहित गांव के कई लोगों से थी रंजिश
इसी के चलते आठ सितंबर की शाम करीब सात बजे मनिया कस्बे में सरे बाजार मनिया ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष मेहताब गुर्जर की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि मेहताब गुर्जर की काफी समय से अपने परिवार और गांव के विभिन्न लोगों से रंजिश बनी हुई थी। इनमें 1995 में हुई परसोत्तम की हत्या और करीब आठ वर्ष पूर्व गांव के ही ज्वाला के साथ धौलपुर बाजार में और अपने चाचा होतम के परिजनों के साथ भी की गई मारपीट की घटनाएं प्रमुख थीं। लोगों का दबी जुवान कहना है कि मेहताब की दबंगई का मनिया तहसील क्षेत्र में भय व्याप्त था।
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परिवार के लोग और रिश्तेदार भी आरोपित
​इस हत्याकांड को लेकर मनिया पुलिस थाने में मृतक के भतीजे श्याम सुन्दर ने दर्ज कराई गई रिपोर्ट में करीब एक दर्जन लोगों का नाम अंकित कराया है। इनमें मेहताब के चचेरे भाई पप्पू पुत्र होतम और लोचन पुत्र रामसिंह के नाम भी है। इनके अलावा धौलपुर शहर में करीब आठ वर्ष पूर्व मारपीट कर घायल किए गए ज्वाला प्रसाद के दो पुत्र सुमित, अमित और स्वयं ज्वाला प्रसाद और उसके चचेरे भाई रामप्रसाद के पुत्र भरत और जितेंद्र, ज्वाला प्रसाद का भांजा देवा पुत्र राम मुकुट, ज्वाला के साले गब्बर पुत्र मेवाराम और धवल पुत्र रामवीर तथा ज्वाला के पुत्रों के साले बरीपुरा निवासी सोनू पुत्र रामवकील और बिरजा पूरा निवासी सोनू पुत्र लक्ष्मण सिंह को नामांकित किया गया है।
दुश्मन का दुश्मन बना दोस्त
​इस घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट में शामिल लोगों में मेहताब ने पूर्व में हमले कर घायल किए गए ज्वाला और होतम के परिजनों के एक साथ होने से एक और कहावत 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है' को भी साकार किया है। इस हत्याकांड में जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनके नाम उतने महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह सबसे अहम रहा है कि जिस तरह सरे बाजार ज्वाला और होतम के परिजनों पर सार्वजनिक रूप से हमले किए गए थे, ठीक उसी तरह इस वारदात को भी सरे बाजार अंजाम दिया गया है। इस समुदाय की यह खासियत है कि यह लोग अपने साथ हुई किसी भी इस प्रकार की घटना का बदला भी उसी रूप में ही और उसी प्रकार से ही लेते रहे हैं। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें चार लोग वारदात को अंजाम देते हुए दिख रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद अभियुक्तों की सटीक पहचान करने से लोग कतरा रहे हैं और वास्तविक रूप से हो नहीं पा रही है। यह कहना बड़ा ही मुश्किल हो रहा है।
कई परिवारों को करना पड़ा है पलायन
​इस समुदाय की ही नहीं अपितु पूरे अंचल की एक और प्रथा रही है कि वारदात को अंजाम देने के बाद अभियुक्त परिवार तत्काल ही अपने निवास स्थान से पलायन कर जाता है, और इस घटना में भी इस बात का अभी तक इंतजार किया जा रहा है कि कौन सा परिवार अपने गांव को छोड़कर जाता है। हालांकि, आरोपित परिवारों के पुरुष सदस्य जरूर पुलिस के भय से इधर-उधर छुपे हुए हैं। लेकिन महिलाएं और बच्चे अपने ही घरों में कैद हैं। अक्सर वारदात करने वाला परिवार वारदात के तुरंत बाद अपने निवास से पलायन करता है। इस घटना के 24 घंटे बाद भी अभी तक किसी भी परिवार ने अपने गांव से पलायन नहीं किया है। इसलिए वास्तविक अभियुक्तों के बारे में अभी भी शंका ही बनी हुई है। बताया जाता है कि करीब ढाई दशक पूर्व तक ग्रामीण अंचल में इस तरह के 'तेगाओ' के गायन का काफी चलन था, लेकिन ऐसे गायनों के बाद हुई घटनाओं के पश्चात अब ग्रामीण अंचल में भी इनका गायन केवल होली-दीपावली पर ही रह गया है। इससे कुछ वर्ष पूर्व भी फूस पूरा गांव में मोरोली निवासी एक बाबा की हुई हत्या के करीब ढाई दशक बाद धौलपुर के सरे बाजार जीटी रोड पर मास्टर सुल्तान सिंह की भी ताबड़तोड़ गोलियां मार कर हत्या कर बदला लिया गया था। इसी प्रकार जिले के कोटरा गांव में भी इस 'तेगा' को सुनने के बाद एक युवक ने तीन लोगों की हत्या कर अपने पूर्व पुरुष की हत्या का बदला लिया था। जिले में इस तरह की बदला लेने की तमाम घटनाएं हैं जिनका आज भी जिले की विभिन्न चौपाल पर आए दिन चर्चा होती रहती है।
बदले की आग में बने हैं कई डकैत
​शंका के आगोश में और वास्तविक रूप से वारदात को अंजाम देने पर पलायन करने वाले परिवारों के वयस्क पुरुष सदस्य पुलिस सुरक्षा के अभाव में और पुलिस के राजनीतिक दबाव में निष्पक्ष जांच नहीं किए जाने पर असुरक्षित महसूस किए जाने पर अनेक लोग डकैत भी बन जाते हैं और धौलपुर जिले में अधिकांश डकैतों के बनने के पीछे यही कारण रहे हैं। इनमें कछीयारा क्षेत्र के ठाकुर सोवरन सिंह भी अपने गांव से पलायन कर बसेड़ी क्षेत्र में जा बसे थे और उन्हें भी जंगल की शरण लेनी पड़ी थी। पुलिस लगातार इस घटना के अभियुक्तों की तलाश में जहां दबिश दे रही है वहीं शंका के घेरे में रहे अभियुक्तों के बीवी परिवारों की सुरक्षा के लिए पुलिस दल भी तैनात किए गए हैं। पुलिस ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया है, लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। फरार चल रहे आरोपियों की धर पकड़ के लिए जगह-जगह दवीश दे रही है। वहीं गत रात जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने इस मामले के नाम जद चार आरोपियों पर इनाम की घोषणा की है। इनमें से आरोपी सुमित पर 10 हजार का, धवल, राहुल और गब्बर पर दो-दो हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।