11वीं की छात्रा की तपस्या...जीभ काटकर शिवलिंग पर चढ़ाई, साधना में लीन

त्रेतायुग में भगवान शिव को प्रसन्न करने रावण ने अपने दस सिरों की बलि दी थी। अब कलयुग में एक 16 साल की लड़की ने अपना जीभ काटकर शिवलिंग को अर्पित कर दी।

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Kanak Durga Jha
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त्रेतायुग में भगवान शिव को प्रसन्न करने रावण ने अपने दस सिरों की बलि दी थी। अब कलयुग में एक 16 साल की लड़की ने अपना जीभ काटकर शिवलिंग को अर्पित कर दी। इतना ही नहीं लड़की ने अपने आपको मंदिर में बंद कर लिया है। वह दो दिनों के लिए भगवान भोलेनात की साधना में लीन है। हैरानी इस बात की है कि बच्ची को उसके माता-पिता ने भी ऐसा करने से नहीं रोका बल्कि, परिजनों का कहना है कि, यह एक तरह का रिवाज है, उसे कुछ नहीं होगा। हमारी बेटी बिल्कुल स्वस्थ है। 

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बच्ची ने जीभ काटकर शिवलिंग को किया अर्पित, मंदिर में खून ही खून

सक्ती जिले के लोग उस वक्त सकते में आ गए जब यह पता चला कि 11वीं में पढ़ने वाली छात्रा आरुषि चौहान (16) ने अपनी जीभ काटकर शिवलिंग पर अर्पित की है। छात्रा के मंदिर परिसर में जीभ काटने से मंदिर के चारों ओर खून ही खून है।  जीभ काटने के बाद छात्रा ने मंदिर में खुद को बंद कर लिया है और साधना करने बैठ गई है। छात्रा ने एक नोट भी लिखा है, जिसमें उसने कहा है कि अगर मैं उठ जाउंगी तो मर्डर हो जाएगा। घरवालों का कहना है कि छात्रा 2 दिनों तक साधना में लीन रहेगी। परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस वालों को मंदिर के अंदर जाने नहीं दिया है।

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अधिकारियों को मंदिर में घुसने से परिजनों ने रोका

घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को मिली तो वे मौके पर पहुंचे। लेकिन उन्हें मंदिर के अंदर जाने नहीं दिया गया। वहीं गांव के लोगों ने मंदिर को चारों तरफ को घेर लिया। छात्रा के माता पिता को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने समझाया, लेकिन बेटी को अस्पताल ले जाने से माता पिता ने साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनकी बेटी को कुछ नहीं हुआ है, यह एक तरीके का रिवाज है। उनकी बेटी पूरी तरह स्वस्थ है। 

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ऐसी कोई भी परंपरा वेदों-पुराणों में नहीं

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, ऐसी कोई भी परंपरा या विधि का उल्लेख हिंदू वेदों-पुराणों में नहीं किया गया है। इस मामले में द सूत्र ने रायपुर के पंडित मनमोहन झा शास्त्री से जानकारी ली। इस दौरान बलि प्रथा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां पंडित मनमोहन ने बताई। उन्होंने बताया कि भगवान शिव को किसी भी जीव (नर या पशु) की बलि अर्पित नहीं की जाती। ऐसी कोई भी परंपरा का उल्लेख हिंदू शस्त्रों में नहीं है। 

इसके साथ ही पंडित मनमोहन ने बताया कि भगवान शिव मात्र एक बेलपत्र चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। हिंदू शस्त्रों के अनुसार भोलेनाथ तो प्रसन्न करने के लिए किसी भी प्रकार की बलि या हिंसक विधि का प्रयोग करना बाध्य है।

 

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