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रायपुर : छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन अपने टारगेट से बहुत पीछे चल रहा है। 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने के बाद भी छत्तीसगढ़ अपने लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है। लोगों के घरों तक नल के जरिए पानी पहुंचाने का काम अभी आधा ही हुआ है और डेडलाइन एक साल पीछे छूट गई है।
साय सरकार में ही इस मिशन पर डेढ़ हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। काम की गति को देखते हुए केंद्र सरकार को टारगेट तीन साल आगे बढ़ाना पड़ा है। हालत ये है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के गृह जिलों में ही सबसे ज्यादा काम अधूरे हैं।
सरकार को कहीं लेबर नहीं मिल रहे तो कहीं ठेकेदार कछुआ चाल से काम कर रहा है। कई जगह तो ठेकेदार को हटाकर दूसरा ठेकेदार लाने में सरकार को पसीना आ रहा है। एक तरफ जल संकट से छत्तीसगढ़ की जनता हलाकान है तो दूसरी तरफ जल जीवन मिशन का काम सरकारी फाइल की तरह चल रहा है।
नाम मिशन चाल सरकारी
जल जीवन मिशन, इसका नाम तो मिशन रखा गया है लेकिन चाल पूरी तरह सरकारी है। सरकारी फाइल की तरह जीवन मिशन की चाल है। छत्तीसगढ़ की साढ़े तीन करोड़ आबादी के जीवन से सीधे जुड़ा यह मिशन अपने लक्ष्य से बहुत पिछड़ गया है। इस मिशन पर अब तक साढ़े 13 हजार करोड़ से ज्यादा फंड खर्च किया जा चुका है लेकिन काम अभी तक 50 फीसदी यानी आधा ही हो पाया है।
वैसे तो इस काम का लक्ष्य 31 मार्च 2024 तक पूरा करने का था लेकिन टारगेट के एक साल गुजरने के बाद भी यह मिशन आधा ही पूरा हो पाया है। केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ में काम की इस गति को देखते हुए डेडलाइन तीन साल आगे यानी 2028 तक बढ़ानी पड़ी है। जहां पानी है वहां नल नहीं है और जहां नल है वहां पानी नहीं है।
काम तो आधा हुआ ही है गुणवत्ता की शिकायतें अलग आ रही हैं। साय सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में ही इस पर डेढ़ हजार करोड़ खर्च कर चुकी है। बीजेपी सरकार ने इसका पूरा ठीकरा पिछली कांग्रेस सरकार पर फोड़ दिया है। डिप्टी सीएम अरुण साव कहते हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार ने इस पर काम ही नहीं किया।
सीएम और वित्त मंत्री के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम अधूरे
जल जीवन मिशन के सबसे ज्यादा अधूरे काम मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के गृह क्षेत्र रायगढ़ में हैं। जल जीवन मिशन के तहत 33 जिलों में काम चल रहे हैं। इनमें 18 हजार 117 काम अधूरे हैं। इसके अलावा पानी सप्लाई के लिए नगरों में ओवरहेड टैंक बनाए जाने हैं। 33 जिलों में 41 हजार पानी की टंकी बनाई जानी हैं जिनमें से 16 हजार जगह पर अभी टंकियां ही नहीं बन पाई हैं। सरकार कहती है कि अब इस काम पर फोकस किया जा रहा है। अरुण साव ने कहा कि अब सारे काम ठीक कर लिए जाएंगे।
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ये है प्रमुख जिलों में अधूरे कामों की स्थिति
जशपुर - 2260
रायगढ़ - 1001
सरगुजा - 1095
बलरामपुर - 1537
कोरबा - 751
बिलासपुर - 694
कबीरधाम - 707
महासमुंद - 733
दुर्ग - 241
रायपुर - 97
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योजना की शुरुवात से इतना हुआ खर्च
केंद्र ने दिया - 6185 करोड़ रुपए
राज्य ने मिलाए - 7299 करोड़ रुपए
कुल खर्च - 13484 करोड़ खर्च
साय सरकार के एक साल में हुआ खर्च - 1629 करोड़ रुपए जिसमें केंद्र सरकार ने 192 करोड़ रुपए दिए।
इसलिए हुई योजना में लेटलतीफी
जल जीवन मिशन मोदी सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में शामिल है। इस योजना का मकसद शहर से लेकर गांवों तक लोगों के घरों में नल के जरिए शुद्ध और पर्याप्त पेयजल पहुंचाना है। यही कारण है कि इस योजना को मिशन मोड में लिया गया है। राज्य सरकार ने कुछ कारण गिनाएं हैं जिससे यह योजना इतनी देरी से चल रही है। अधूरे कामों का कारण है कि लंबे समय से लगातार चलते रहना, पानी की स्त्रोत की समस्या, जगह का विवाद, एजेंसी का धीमी गति से काम करना, ठेकेदार का अनुबंध की शर्तों के हिसाब से काम न करना, टेंडर निरस्त कर फिर से टेंडर बुलाना, टंकी निर्माण के लिए कुशल मानव संसाधन की कमी और सोलर पंप की स्थापना से यह देरी हुई। सरकार को कई जगह से घटिया निर्माण की शिकायतें भी मिली हैं।
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