प्रधानमंत्री आवास योजना में जिम्मेदार कर रहे गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना को अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगाने में जुटे हैं। पात्र हितग्राही को आवास का लाभ न देकर अपात्र व्यक्ति को मकान बनाकर दे दिया गया,और अब पात्र व्यक्ति इंसाफ के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

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Krishna Kumar Sikander
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प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का मकसद हर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को पक्का मकान देना है, लेकिन महासमुंद जिले में इस योजना को अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगाने में जुटे हैं। एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पात्र हितग्राही को आवास का लाभ न देकर अपात्र व्यक्ति को मकान बनाकर दे दिया गया, और अब पात्र व्यक्ति इंसाफ के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

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आठ साल पुराना स्वीकृत आवास, फिर भी खाली हाथ

ग्राम बंजारी (पंचायत लोहारडीह) के शत्रुहन साहू (पिता अभेयराम साहू) को वर्ष 2017-18 में पीएम आवास योजना के तहत मकान स्वीकृत हुआ था। उस समय शत्रुहन किराना दुकान चलाते थे और सर्वे (SECC सूची 2011) में पात्र पाए गए थे। लेकिन, शासकीय कर्मचारियों ने उनका हक छीनकर उसी गांव के शत्रुहन केंवट (पिता बिसहत) को आवास का लाभ दे दिया, जो योजना के लिए स्वीकृत ही नहीं था। इतना ही नहीं, सरकारी रिकॉर्ड में भी अपात्र व्यक्ति को लाभ दिया हुआ दर्ज कर दिया गया। 

शत्रुहन साहू कुछ समय के लिए काम के सिलसिले में बाहर चले गए थे और बाद में ग्राम बिरकोनी में रहने लगे। वर्ष 2024-25 में जब उन्होंने अपनी पत्नी राज कुमारी साहू के नाम पीएम आवास के लिए आवेदन किया, तो पता चला कि उनके नाम पर पहले से ही आवास स्वीकृत है और दोबारा लाभ नहीं मिल सकता। गहरी पड़ताल करने पर सारा गड़बड़झाला सामने आया।

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न्याय के लिए भटक रहा पात्र हितग्राही

पिछले तीन महीनों से शत्रुहन साहू इंसाफ की आस में सरकारी कार्यालयों से लेकर पीएमओ और पीजी पोर्टल तक शिकायत कर रहे हैं। उनकी शिकायत पर जिला प्रशासन ने चार सदस्यीय जांच टीम गठित की, जिसने 19 मार्च 2025 को जिला पंचायत सीईओ को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जांच में साफ हुआ कि अपात्र शत्रुहन केंवट को नियमों के खिलाफ आवास का लाभ दिया गया। रिपोर्ट में अपात्र से राशि वसूली की सिफारिश भी की गई, लेकिन कार्रवाई अब तक ठंडे बस्ते में है। 

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अधिकारी बता रहे रटा-रटाया जवाब

जब इस मामले में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सच्चितानंद आलोक से सवाल किया गया, तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया, लेकिन पीड़ित के पास पहले से पक्का मकान होने का हवाला देकर उल्टा उन पर ही कार्रवाई की बात कही। यह जवाब पीड़ित के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है, क्योंकि शत्रुहन साहू का कहना है कि उन्हें आज तक योजना का कोई लाभ नहीं मिला।

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पात्र का हक छीनने की सजा कौन भुगतेगा?

यह मामला महासमुंद जिले में पीएम आवास योजना की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। जब पात्र हितग्राही को उसका हक नहीं मिलता और अपात्र व्यक्ति सरकारी योजना का लाभ उठा लेता है, तो जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना जरूरी है। शत्रुहन साहू जैसे पात्र हितग्राहियों को इंसाफ कब मिलेगा, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।

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