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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित रेलवे भर्ती बोर्ड में रेलवे अर्बन बैंक यानी रेलवे एम्प्लॉइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड में नियुक्तियों में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यह घोटाला 2023 की 17 ग्रुप डी में किया गया है। अब रेलवे बोर्ड ने इन नियुक्तियों को फर्जी करार दिया है। साथ ही इसे नियम के विरुद्ध ठहराते हुए इसके तहत नियुक्त किए गए कर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। बोर्ड ने सख्त रुख अपनाते हुए इस मामले में पारदर्शी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
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कर्मियों को 15 दिन में देना होगा जवाब
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बैंक के चेयरपर्सन एसपी सिंह ने बताया कि इन कर्मचारियों को 15 दिन में जवाब देना होगा, अन्यथा उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। जांच में पता चला कि पूर्व बोर्ड ने कोलकाता और नागपुर उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर अपने रिश्तेदारों, परिचितों और घरेलू सहायकों को नियमों को ताक पर रखकर नौकरी दी। सेंट्रल रजिस्ट्रार फॉर को-ऑपरेटिव सोसायटी, नई दिल्ली ने भी इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई थी।
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17 मंडलों से जुड़े हैं फर्जी कर्मचारी
बैंक के डेलीगेट गोपी राव के अनुसार, घोटाले में शामिल 17 कर्मचारी देश के विभिन्न मंडलों से हैं। इनमें बिलासपुर से शेख नासिर, सुमित ललपुरे, जी. नरेश, प्रशांत यादव; नागपुर से हंस कुमार, संतोष मेश्राम, सुशील ओमप्रकाश; रायपुर से जय कुमार डोंगरे; आंध्र से किसन सहिस, निखिल बाउरी; भुवनेश्वर से गुड़ला वामसी; खड़गपुर से अर्णब गुप्ता, सौबीक घोष; खुर्दा रोड से अभिषेक मांगराज, ऋषिवा पटसाहानी; रांची से स्वरूप मंडल, शैलेन्द्र सिंह और संबलपुर से मदन मोहन दुर्गा शामिल हैं।
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