छत्तीसगढ़ में वाहन मालिकों के लिए अनिवार्य की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) योजना अब विवादों के घेरे में है। आरोप है कि सरकार द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन में भारी भेदभाव बरता गया है। एक ओर जहां राज्य के कुछ जिलों में यह सेवा सस्ती दरों पर दी जा रही है, वहीं करीब 30 जिलों में जनता से अनावश्यक रूप से अधिक शुल्क वसूला जा रहा है। इससे न केवल आर्थिक असमानता पैदा हुई है, बल्कि प्रशासन की नीयत और नीति दोनों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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दो अलग-अलग कंपनियों से अनुबंध
सरकार ने एक ही राज्य में एक ही सेवा के लिए दो अलग-अलग कंपनियों से अनुबंध कर लिए और उन कंपनियों ने अपने-अपने जोन में अलग-अलग दरें लागू कर दीं। इस असमान दर निर्धारण का सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है, परिवहन विभाग की इस गलती के कारण मालिकों से 50 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त वसूली होगी। भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे से सटे हुए जिले हैं, लेकिन प्रशासन ने इन्हें अलग-अलग जोन में बांटकर शुल्क में स्पष्ट भेद किया है।
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सरकारी तर्क बनाम जनता
परिवहन विभाग के अपर आयुक्त डी. रविशंकर ने बयान दिया है कि यह दरों में अंतर दो अलग कंपनियों से अनुबंध होने की वजह से है। एक कंपनी (रियल मेजान इंडिया प्रा. लि.) जोन ए में कार्यरत है। और दूसरे रोजिन सेफ्टी सिस्टम लिमिटेड जोन बी में...लेकिन सवाल यह है कि क्या अलग-अलग कंपनियों से अनुबंध का मतलब यह है कि एक ही सेवा के लिए अलग-अलग दरें वसूली जाएं।
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अतिरिक्त राशि वापस करने की मांग
समान शुल्क लेने और अतिरिक्त शुल्क राशि वापस करने की मांग उठ रही है कि पूरे प्रदेश में एक समान दरें तय की जाएं और जिन जिलों से अतिरिक्त वसूली हुई है वहां के वाहन मालिकों को यह राशि रिफंड की जाए। ऐसा करने के लिए विभाग ने जिलों को 2 जोन में बांट दिया है। और बड़ी चालाकी से अधिक शुल्क वाले जोन में जिलों की संख्या बढ़ा दी गई है। दूसरे जोन में तुलनात्मक रूप से कम जिलों को रखा गया है। जिसमें रायपुर बिलासपुर जांजगीर चांपा कोरबा कवर्धा बेमेतरा मुंगेली गौरेला पेंड्रा मरवाही बीजापुर सुकमा नारायणपुर कोंडागांव सूरजपुर और बलरामपुर।
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जोन बी के अधिक शुल्क वाले जिले
राजनांदगांव, दुर्ग, बालोद, महासमुंद, गरियाबंद, रायगढ़, जशपुर, धमतरी, बलौदा बाजार, दंतेवाड़ा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कांकेर, बैकुंठपुर, बलरामपुर
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