नक्सलवाद के खिलाफ गढ़चिरौली में कभी नक्सलगढ़ के नाम से जाने वाले 20 गांव ने बड़ी पहल हुई। इन्होंने खुद को नक्सलमुक्त बनाने के लिए माओवादियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रस्ताव पर सहमति बनाने के लिए सामूहिक बैठकें हुई। तब प्रस्ताव पारित कर इसे पुलिस-प्रशासन को सौंप दिया गया है। अबूझमाड़ से लगे ये गांव भामरागढ़ ब्लॉक का हिस्सा हैं।
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ग्रामीणों से सामान लेते थे नक्सली
जिन गांव के लाेगों ने प्रतिबंध लगाया है। उनमें कोठी, पोयरकेठी, मरकानार पेनगुंडा सहित इनके लगे आसपास के गांव शामिल है। नक्सली अपनी बैठकों और कैंप के दौरान इन गांवों के लोगों पर दबाव बनाकर राशन, पानी, दवाएं और दूसरे दैनिक उपयोग की सामग्री जुटाते थे।
इन गांवों से मिलने वाली मदद के भरोसे ही नक्सली इस हिस्से में मूवमेंट करते थे, लेकिन अब लोगों नक्सलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का अभियान शुरू किया है। उन्हें न तो गांव से किसी तरह की मदद मिले और न ही वे अपनी विचारधारा इन गांवों के युवाओं को राह से भटका सके।
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भरमार बंदूकें भी पुलिस को सौंपीं
प्रस्ताव को लेकर धुर नक्सल प्रभावित गांवों के 100 से अधिक लोगों ने सहमति बनाई। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने साथ दिया। ग्रामीणों ने अपने पास मौजूद भरमार बंदूकें भी पुलिस को सौंप दी हैं। ग्रामीणों के पास मौजूद इन बंदूकों का इस्तेमाल भी नक्सली कई बार अपने फायदे के लिए किया करते थे।
युवाओं को ट्रेनिंग के लिए बुलाते थे
बीते दो साल में गढ़चिरौली में 70 से अधिक हार्डकोर नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। हालांकि नक्सली संगठन को मजबूत बनाने इन गांवों के युवाओं पर प्रशिक्षण में हिस्सा लेने दबाव बनाते थे। लेकिन अब ग्रामीण अपनी नई पीढ़ी को नक्सलवाद से दूर रखना चाहते हैं। ये सरकारी विकास योजनाओं पर अमल चाहते हैं।
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