छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार में इमरजेंसी सेवा पर ही इमरजेंसी लग गई है। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन ऐसा ही हो रहा है। इमरजेंसी सेवा धूल खा रही है और सरकार सांय सांय चल रही है। जिन गाड़ियों को 33 जिलों में सांय सांय चलना था, वे 15 महीनों में एक इंच भी नहीं चली हैं।
इस स्थिति में एक दो नहीं बल्कि पूरी 400 गाड़ियां हैं। एक तरफ सरकार कर्ज के बोझ से दबी जा रही है तो दूसरी तरफ पिछली सरकार से मिलीं 40 करोड़ की गाड़ियों की सुध भी नहीं ली जा रही। हैरानी की बात है कि सरकार तो नई है लेकिन अफसर और सिस्टम तो पुराना है। क्या कोई भी इनकी सुध लेने वाला नहीं है।
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बटालियन नंबर 4 के मैदान में रखी हैं बुलेरो
बटालियन नंबर 4 के मैदान में रखी इन बुलेरो गाड़ियों को देखिए। देखकर आपको लगता होगा कि हम आपको यह कबाड़ क्यों दिखा रहे हैं। पुलिस थानों और मैदानों में गाड़ियों का कबाड़ रखा रहना तो आम बात है। नहीं साहब यह आम बात नहीं खास बात है। ये खास बात है सरकार और अफसरों की लापरवाही की।
यह खास बात है सिस्टम के जाम होने की। यह एक दो नहीं बल्कि पूरी 400 बुलेरो कार हैं जो धूल फांक रही हैं। और ये कबाड़ नहीं बल्कि 40 करोड़ की कीमत से खरीदी गईं नई चमचमाती गाड़ियां हैं जो जिनकी चमक पर लापरवाही की मोटी परत जम गई है।
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इस मकसद से खरीदी गईं थी गाड़ियां
15 महीने पहले भूपेश सरकार में इन वाहनों को खरीदा गया था। मकसद था कि डायल नंबर 112 की इमरजेंसी सेवा को पूरे प्रदेश में रफ्तार दी जाए ताकि लोगों को परेशानी न हो। लोगों को इमरजेंसी में होने वाली परेशानी से बचाने के लिए ये गाड़ियां खरीदी गईं। छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में इन गाड़ियों को भेजा जाना था, लेकिन ये गाड़ियां जस की तस खड़ी रहकर कबाड़ में बदल चुकी हैं।
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भूपेश सरकार में चुनावी साल में इनको खरीदा गया था। जब तक इन गाड़ियों के संचालन का टेंडर होता तब तक विधानसभा चुनाव आ चुके थे। चुनाव के बाद सरकार बदल गई और भूपेश बघेल की जगह विष्णुदेव साय की सरकार बन गई। अब इस सरकार को एक साल पूरा हो गया है लेकिन इन गाड़ियों की धूल नहीं हटी। हां इतनी बात जरुर है कि कैमरे को देखकर गाड़ियों का धोना पोंछना शुरु हो जाता है।
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टैक्स से पैसे की इस तरह बर्बादी
जब इस बारे में गृह मंत्री विजय शर्मा से बात की गई तो उन्होंने इस संबंध में कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जल्दी ही टेंडर कर इनका संचालन शुरु कर दिया जाएगा। लेकिन यहां पर यह सवाल उठता है कि जनता के टैक्स से पैसे की इस तरह बर्बादी क्यों की जा रही है। 15 महीने में खड़े खड़े इन गाड़ियों में तकनीकी खामियां आ गई हैं। उनकी मरम्मत और मेंटनेंस में फिर पैसे खर्च किए जाएंगे। आखिर इसमें किसकी जवाबदेही बनती है।