छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा की हालत बहुत खराब है। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट यानी असर की ताजा रिपोर्ट में यह स्थिति सामने आई है। प्राथमिक शिक्षा पढ़ाई लिखाई की नींव मानी जाती है लेकिन छत्तीसगढ़ में प्राइमरी एजुकेशन ही नाजुक स्थिति में है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आठवीं में पढ़ने वाले 60 फीसदी बच्चों को बेसिक गुणा भाग नहीं आता।
गणित के साथ ही हिंदी की हालत भी कमजोर है। आठवीं के 24 फीसदी बच्चे कक्षा दूसरी की हिंदी की किताब का पाठ नहीं पढ़ पाते। इस सर्वे में सैंपलिंग मैथड अपनाई गई है। सर्वे में हर जिले के तीस गांव में प्राथमिक स्कूलों का अध्ययन किया गया है। इसके अलावा बच्चों के घर जाकर भी स्थिति देखी गई है। असर हर दो साल में पूरे देश की एजुकेशन स्टेटस का अध्ययन कर रिपोर्ट जारी करता है।
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यह है हिंदी की स्थिति
असर में 3 साल से 16 साल तक यानी कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई का अध्ययन किया गया है। बच्चों से हिंदी के बेसिक पाठ पढ़वाए गए। पहली,दूसरी के बच्चों को अक्षर और शब्द समझ में नहीं आए तो पांचवीं और आठवीं के बच्चे कक्षा दूसरी की हिंदी का पाठ नहीं पढ़ पा रहे थे।
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_ कक्षा 1 के 40 फीसदी बच्चे अक्षर यानी क,ख,ग भी नहीं पहचान पाते।
_ कक्षा 2 के 80 फीसदी बच्चों को शब्दों की समझ नहीं है।
_ कक्षा 3 के 75 फीसदी बच्चे कक्षा 2 की हिंदी का पाठ नहीं पढ़ पाते।
_ कक्षा 5 के 46 फीसदी बच्चे कक्षा 2 की हिंदी का पाठ नहीं पढ़ पाते।
_ कक्षा 8 के 24 फीसदी बच्चे कक्षा 2 की हिदी का पाठ नहीं पढ़ पाते।
यह है गणित की स्थिति
_कक्षा 1 के 49 फीसदी बच्चे 1-9 तक के अंक नहीं पहचान नहीं पाते।
_कक्षा 2 के 65 फीसदी बच्चे 11-99 तक के अंक नहीं पहचान पाते।
_कक्षा 3 के 80 फीसदी बच्चे बेसिक जोड़ घटाना नहीं कर पाते।
_ कक्षा 5 के 75 फीसदी बच्चों को भाग करना नहीं आता।
_ कक्षा 8 के 60 फीसदी बच्चों को गुणा भाग करना नहीं आता।
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डिजीटली स्मार्ट हैं बच्चे
छत्तीसगढ़ में बच्चों की पढ़ाई का स्तर भले ही कमजोर हो लेकिन वे डिजीटली स्मार्ट हैं। यानी उनके घर में स्मार्ट फोन है और वे स्मार्ट फोन चलाने में माहिर हैं। यह सर्वे भी 3 से 16 साल तक के बच्चों पर किया गया है।
_ 83 फीसदी बच्चे स्मार्ट फोन का प्रयोग कर सकते हैं।
_ 84 फीसदी लड़के स्मार्ट फोन चलाना जानते हैं।
_ 81 फीसदी लड़कियां स्मार्ट फोन का प्रयोग जानती हैं।
_ 94 फीसदी बच्चों के घर में स्मार्ट फोन है।
_ 20 फीसदी बच्चों के पास तो खुद का स्मार्ट फोन है।
_ 88 फीसदी बच्चे ऑनलाइन जानकारी ले सकते हैं।
_ 90 फीसदी बच्चे यू ट्यूब पर वीडियो ढूंढ सकते हैं।
_ 90 फीसदी बच्चे यू ट्यूब शेयर करने में भी माहिर हैं।
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यह हैं स्कूल में सुविधाएं
_ 96 फीसदी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन परोसा जाता है।
_ 81 फीसदी स्कूलों में पेयजल की सुविधा उपलब्ध है।
_ 26 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं है, जहां है वहां ताला लगा रहता है।
_ सिर्फ आधा फीसदी बच्चे कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं। 97 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है।
_ 47 फीसदी स्कूलों में लाइब्रेरी तो है लेकिन बच्चों के उपयोग की नहीं है।