RAIPUR. पीएससी व व्यापमं से होने वाली परीक्षाओं की फीस माफ है। यही कारण है कि प्रतियोगी और प्रवेश परीक्षाओं के लिए थोक में आवेदन किए जा रहा हैं। लेकिन परीक्षा में आवेदकों की उपस्थिति फॉर्म भरने के अनुपात से काफी कम रही।
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66 हजार अभ्यर्थी नहीं पहुंचे परीक्षा स्थल पर
रविवार को व्यापमं की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड में सहायक संचालक, सचिव सीनियर-जूनीयर के पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई। इस परीक्षा के लिए 1 लाख से अधिक आवेदन मिले थे, लेकिन इनमें से 66 हजार अभ्यर्थी परीक्षा देने नहीं आए। इस तरह से अभ्यर्थियों की उपस्थिति करीब 33 प्रतिशत रही। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब फॉर्म भरने के बाद बड़ी संख्या में छात्र एग्जाम
देने नहीं पहुंचे।
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परीक्षा में पूछे रोचक सवाल
पड़ताल में पता चला कि पिछले सप्ताह व्यापमं से हुई सर्वेयर और अनुरेखक भर्ती परीक्षा में उपस्थिति का आंकड़ा क्रमश: 17 और 12 प्रतिशत था। सर्वेयर के लिए 18 हजार फॉर्म मिले थे। 3060 ने परीक्षा दी, जबकि 14940 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। जानकारी के मुताबिक अनुरेखक के लिए 14 हजार फॉर्म मिले थे, इसमें 1680 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। इसी तरह इस महीने व्यापमं से ग्रामीण कृषि अधिकारी के लिए भी भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए 26104 आवेदन मिले थे। इनमें से 14 हजार ने परीक्षा दी, जबकि 12 हजार अबसेंट रहे। बता दें कि मंडी बोर्ड भर्ती परीक्षा व्यापमं से आयोजित की गई। इस परीक्षा में कई रोचक सवाल पूछे गए। जैसे, पुतरा-पुतरी विवाह किस महीने में मनाया जाता है? पठौनी विवाह छत्तीसगढ़ की किस जनजाति से संबंधित है?, काकसाड़ नृत्य किस जनजाति द्वारा किया जाता है? श्री नर्मदा सोनसाय किस कला से संबंधित है। जनजातियों में पारद का संबंध किस क्रियाकलाप से है?
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सेंटरों में कहीं 20 तो कहीं इससे भी कम पहुंचे छात्र
रिपोर्ट्स की मानें तो मंडी बोर्ड के कुल 30 पदों पर भर्ती के लिए व्यापमं से परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा के लिए 1 लाख से अधिक फॉर्म मिले थे। आवेदन अधिक मिलने से राज्य में कुल 272 केंद्र बने थे। इस दौरान कई सेंटरों में 100 की जगह 20 अभ्यर्थी तो कई में इससे भी कम आवेदक परीक्षा के लिए पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक पीएससी व व्यापमं की परीक्षाओं के लिए वर्ष 2022 में शुल्क माफ किया गया था। इससे पहले परीक्षाओं के लिए 200 से 350 रुपए तक शुल्क लिए जाते थे। उस समय अनुपस्थित छात्रों की संख्या कम होती थी। अधिकांश परीक्षा में उपस्थिति 70 प्रतिशत से अधिक रहती थी। लेकिन अब कई परीक्षाओं में उपस्थिति का आंकड़ा बहुत कम है।
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