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छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली बच्चों के लिए अपार आईडी लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसका उद्देश्य बच्चों के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों को डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रखना है। इस प्रक्रिया के लिए आधार कार्ड का पंजीयन अनिवार्य है।
हालांकि, राजधानी रायपुर सहित राज्य के कई हिस्सों में पालकों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मार्च 2025 में स्कूल खुलने से पहले बच्चों के कार्ड के लिए किए गए आवेदनों में से 90 फीसदी रिजेक्ट हो गए हैं।
इस स्थिति ने पालकों में आक्रोश और असमंजस पैदा कर दिया है, क्योंकि उन्हें दोबारा आवेदन करने के लिए सेवा केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।
आधार सेवा केंद्रों पर पालकों की भीड़
रायपुर के मोवा स्थित सेवा केंद्र के अनुसार, 100 में से 90 बच्चों के कार्ड आवेदन रिजेक्ट हुए हैं। इस खबर ने पालकों को परेशान कर दिया है, क्योंकि न तो उन्हें रिजेक्शन का स्पष्ट कारण बताया जा रहा है और न ही कोई ठोस समाधान दिया जा रहा है।
परिणामस्वरूप, पालक अपने बच्चों को लेकर सेवा केंद्रों पर दोबारा आवेदन करने के लिए मजबूर हैं। इन केंद्रों पर इन दिनों भारी भीड़ देखी जा रही है, जहां पालक घंटों लाइन में खड़े होकर कार्ड बनवाने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। पालकों का कहना है कि आधार कार्ड के लिए 50 रुपये का शुल्क भी वसूला गया था, जो रिजेक्शन के बाद व्यर्थ चला गया।
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स्कूलों की ओर से अपार आईडी के लिए दबाव के कारण पालकों के पास दोबारा आवेदन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। एक पालक ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "हमें यह तक नहीं बताया जा रहा कि आवेदन क्यों रिजेक्ट हुआ। क्या गलती थी, यह जानने का हक हमें है। अब दोबारा समय और पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।"
क्यों हो रहे हैं आवेदन रिजेक्ट?
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के अनुसार, कार्ड आवेदन कई तकनीकी और गैर-तकनीकी कारणों से रिजेक्ट हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं।
खराब गुणवत्ता वाली बायोमेट्रिक जानकारी : बच्चों के फिंगरप्रिंट या आंखों की स्कैनिंग (आईरिस स्कैन) की गुणवत्ता अगर UIDAI के मानकों को पूरा नहीं करती, तो आवेदन रिजेक्ट हो सकता है।
डेटा में असमानता : आवेदन में दी गई जानकारी (जैसे नाम, जन्मतिथि, या पता) और दस्तावेजों में दर्ज जानकारी में कोई अंतर होने पर रिजेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
डुप्लिकेट आवेदन : यदि एक ही बच्चे के लिए बार-बार आवेदन किया गया हो, तो सिस्टम इसे डुप्लिकेट मानकर रिजेक्ट कर देता है।
तकनीकी समस्याएं : सर्वर की खराबी, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी, या डेटा अपलोड में त्रुटि के कारण भी आवेदन रद्द हो सकते हैं।
दस्तावेजों की कमी : बच्चों के कार्ड के लिए आवश्यक दस्तावेज, जैसे जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल आईडी, या माता-पिता का कार्ड, अगर पूरे नहीं हैं, तो आवेदन रिजेक्ट हो सकता है।
हालांकि, पालकों की शिकायत है कि रिजेक्शन के कारणों की जानकारी न तो SMS के जरिए दी जा रही है और न ही सेवा केंद्रों पर कोई स्पष्ट जवाब मिल रहा है। UIDAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, रिजेक्शन की सूचना आवेदक को दी जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में पारदर्शिता की कमी साफ दिख रही है।
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अपार आईडी का महत्व और चुनौतियां
नई शिक्षा नीति के तहत अपार आईडी को लागू करने का उद्देश्य बच्चों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से सुरक्षित और एकीकृत करना है। यह एक तरह का 'वन नेशन, वन स्टूडेंट' पहल है, जिसके तहत प्रत्येक छात्र का एक यूनिक आईडी होगा। इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, क्योंकि यह डिजिटल लॉकर से जुड़ा होता है। अपार आईडी के लाभों में शामिल हैं।
डिजिटल सर्टिफिकेट्स : बच्चों के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र (जैसे मार्कशीट, डिग्री) एक डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रहेंगे।
स्कूल दाखिले में आसानी : कई स्कूलों में दाखिले के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होने से अपार आईडी इस प्रक्रिया को सरल बनाएगी।
सरकारी योजनाओं का लाभ : अपार आईडी के जरिए बच्चे सरकारी स्कॉलरशिप और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
कार्ड आवेदनों के बड़े पैमाने पर रिजेक्शन ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। मोवा सेवा केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, 90% रिजेक्शन दर पूरे राज्य में एक बड़े संकट का संकेत देती है। यदि यह स्थिति अन्य जिलों में भी है, तो पूरे छत्तीसगढ़ में लाखों बच्चे अपार आईडी से वंचित रह सकते हैं।
पालकों की परेशानी और आक्रोश
पालकों का कहना है कि कार्ड के रिजेक्शन ने उनकी परेशानियों को दोगुना कर दिया है। एक ओर स्कूलों की ओर से अपार आईडी के लिए दबाव है, तो दूसरी ओर आधार सेवा केंद्रों पर लंबी कतारें और दोबारा शुल्क जमा करने की मजबूरी है।
एक पालक ने कहा, "हमने मार्च में ही आवेदन किया था ताकि स्कूल शुरू होने से पहले काम हो जाए। अब रिजेक्शन के बाद फिर से वही प्रक्रिया दोहरानी पड़ रही है। यह समय और पैसे दोनों की बर्बादी है।"कई पालकों ने यह भी शिकायत की कि आधार सेवा केंद्रों पर कर्मचारी रिजेक्शन के कारणों को स्पष्ट करने में असमर्थ हैं।
इससे पालकों में भ्रम और गुस्सा बढ़ रहा है। कुछ पालकों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर आधार कार्ड इतना महत्वपूर्ण है, तो सरकार को रिजेक्शन की प्रक्रिया को और पारदर्शी क्यों नहीं करना चाहिए?
UIDAI के दिशा-निर्देश और समाधान
UIDAI के अनुसार, आधार कार्ड आवेदन रिजेक्ट होने पर पालकों को दोबारा आवेदन करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं।
दस्तावेजों की जांच : आवेदन से पहले सुनिश्चित करें कि जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल आईडी, या माता-पिता का आधार कार्ड जैसे दस्तावेज सही और पूर्ण हों।
बायोमेट्रिक गुणवत्ता : बच्चों के फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। इसके लिए आधार सेवा केंद्र पर अनुभवी ऑपरेटर की मदद लें।
ऑनलाइन अपॉइंटमेंट : UIDAI की वेबसाइट (https://myaadhaar.uidai.gov.in) पर जाकर आधार सेवा केंद्र में अपॉइंटमेंट बुक करें, ताकि लंबी कतारों से बचा जा सके।
रिजेक्शन की स्थिति जांचें : UIDAI की वेबसाइट पर 'Check Aadhaar Status' विकल्प के जरिए आवेदन की स्थिति जांचें और रिजेक्शन का कारण पता करें।
UIDAI ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान और पते के सत्यापन के लिए बिना किसी डर के किया जा सकता है, लेकिन इसे सोशल मीडिया या सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं करना चाहिए।
UIDAI के लिए गंभीर चुनौती
छत्तीसगढ़ में आधार कार्ड रिजेक्शन की यह समस्या न केवल पालकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, बल्कि नई शिक्षा नीति के तहत अपार आईडी लागू करने की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रही है। यदि एक आधार सेवा केंद्र में 90% आवेदन रिजेक्ट हो रहे हैं, तो पूरे राज्य का आंकड़ा चौंकाने वाला हो सकता है।
यह स्थिति सरकार और UIDAI के लिए एक गंभीर चुनौती है। पालकों की मांग है कि रिजेक्शन के कारणों को स्पष्ट किया जाए और दोबारा आवेदन के लिए शुल्क माफ किया जाए। साथ ही, आधार सेवा केंद्रों पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है। अगर यह समस्या जल्द हल नहीं हुई, तो स्कूलों में बच्चों के दाखिले और अपार आईडी की प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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