छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। बलरामपुर के बाद अब बालोद जिले में रेत माफियाओं ने अपनी दहशत दिखाई। यहां राजस्व विभाग की टीम के सामने ही माफिया के गुर्गों ने एक पत्रकार पर रॉड से हमला किया और हाईवा से कुचलने की कोशिश की। इस खौफनाक वारदात में पटवारी ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई, जबकि घायल पत्रकार को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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पुरुर थाना क्षेत्र में माफियाओं का तांडव
यह सनसनीखेज मामला बालोद जिले के पुरुर थाना क्षेत्र का है, जहां स्थानीय नदियों से रेत तस्कर बड़े पैमाने पर अवैध खनन और भंडारण कर रहे हैं। गुरुर तहसील में अवैध रेत भंडारण की शिकायत मिलने पर पटवारी डोमेंद्र मंडावी जांच के लिए मौके पर पहुंचे। उनके साथ कवरेज के लिए मीडियाकर्मी भी वहां मौजूद थे। लेकिन, माफियाओं को पत्रकारों की मौजूदगी नागवार गुजरी।
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पत्रकार जब रेत भंडारण के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे थे, तभी माफिया के गुर्गों ने उनसे विवाद शुरू कर दिया। देखते ही देखते विवाद मारपीट में बदल गया। गुंडों ने पत्रकार कृष्णा गंजीर पर रॉड से हमला कर दिया और हाईवा से कुचलने की कोशिश की। इस दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि पटवारी और बाकी लोग जान बचाकर भागने को मजबूर हो गए।
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पत्रकार गंभीर, पुलिस ने 5 को दबोचा
हमले में घायल पत्रकार कृष्णा गंजीर को धमतरी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। पीड़ित ने आरोपियों पर जानलेवा हमला और हाईवा से कुचलने की साजिश का गंभीर आरोप लगाया है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई और पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बाकी फरार गुंडों की तलाश जारी है।
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पटवारी की आपबीती: "भागा, तभी बची जान"
पटवारी डोमेंद्र मंडावी ने बताया कि एसडीएम और तहसीलदार के निर्देश पर वे रेत भंडारण की जांच करने पहुंचे थे। जांच के दौरान अचानक माहौल बिगड़ गया और माफिया के गुर्गों ने पत्रकारों पर हमला बोल दिया। डर के मारे पटवारी ने मौके से भागकर अपनी जान बचाई। थाने पहुंचकर उन्होंने पुलिस और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी।
कानून व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए उमेश्वर उर्फ ओमू साहू, रविकांत साहू और उनके 7-8 साथियों के खिलाफ BNS की धारा 109, 190, 191(2), 191(3), 296, 351(2) के तहत केस दर्ज किया है। कुछ आरोपियों को हिरासत में लिया गया है, जबकि बाकियों की तलाश में छापेमारी चल रही है। पुलिस ने जल्द ही मामले का खुलासा करने का दावा किया है।
क्या रेत माफियाओं पर लगाम कसेगी सरकार?
बालोद की इस घटना ने रेत माफियाओं के बढ़ते हौसले को उजागर किया है। सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस बेलगाम माफिया राज पर अंकुश लगा पाएंगे, या ये घटनाएं यूं ही जारी रहेंगी?
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