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रायपुर। अहमदाबाद के विमान हादसे और उत्तराखंड में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश के बीच, “द सूत्र” ने केंद्रीय विमानन मंत्रालय और राज्य विमानन विभाग की लापरवाही का पर्दाफाश किया है। यह खुलासा 2022 में छत्तीसगढ़ के स्टेट हेलीकॉप्टर अगुस्ता 109 के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच रिपोर्ट से जुड़ा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार और विमानन विभाग ने दुर्घटना के बाद इस रिपोर्ट को आठ महीने तक दबाकर रखा। दुर्घटना के समय हेलीकॉप्टर रायपुर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान आग की चपेट में आ गया था, जिससे दो पायलटों की जान चली गई थी। DGCA ने इस मामले की जांच के लिए एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (AIIB) को जिम्मेदारी सौंपी थी। अब रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि यह दुर्घटना अप्रत्याशित नहीं थी, बल्कि हेलीकॉप्टर के रखरखाव में लापरवाही का नतीजा थी।
दुर्घटना की मुख्य वजह
AIIB की रिपोर्ट के मुताबिक, हेलीकॉप्टर क्रैश होने का मुख्य कारण ‘टेल रोटर’ में आई खराबी थी। इसके अलावा, समय पर रखरखाव और रिप्लेसमेंट की कमी भी दुर्घटना का कारण बनी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2018 से 2021 के बीच हेलीकॉप्टर के रखरखाव पर 14 करोड़ 65 लाख रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन इन खर्चों के बावजूद उचित रखरखाव रिकॉर्ड का कोई पता नहीं चला।
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पायलटों की लापरवाही
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पायलटों ने टेल रोटर की खराबी को गंभीरता से नहीं लिया। पायलटों ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और हेलीकॉप्टर की गति को जानने के लिए रनवे के ऊपर से नीचे जाने का निर्णय लिया। सह-पायलट को भी पूरी जानकारी नहीं थी, और वह स्थिति को ठीक से संभालने में असमर्थ था, जो दुर्घटना का मुख्य कारण बना।
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छत्तीसगढ़ सरकार की निष्क्रियता
यह मामला और भी गंभीर हो जाता है, जब यह पता चलता है कि रिपोर्ट को आठ महीने तक दबा कर रखा गया था। न तो राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की, और न ही विमानन निदेशक संजीव कुमार झा ने इस मामले में FIR दर्ज करवाई। यह घोटाले और अधिकारियों की भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। “द सूत्र” द्वारा मामले पर सवाल उठाने के बावजूद अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, और संजीव कुमार झा ने भी फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया।
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मेंटेनेंस की खामियां
AIIB की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हेलीकॉप्टर के रखरखाव में गंभीर खामियां थीं। फ्लाइट सेफ्टी सिस्टम की कमी, ऑडिट का कोई निष्कर्ष नहीं निकलना और सुरक्षा संबंधी अनियमितताएं इसकी प्रमुख खामियां थीं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि दुर्घटना से 12 महीने पहले कोई सुरक्षा बुलेटिन जारी नहीं किया गया था, जो नियमित सुरक्षा निरीक्षण के लिए आवश्यक था।
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VIP उड़ानें और सरकार की लापरवाही
यह हेलीकॉप्टर छत्तीसगढ़ सरकार के VIP उड़ानों में प्रयोग होता था, जिसमें मुख्यमंत्री और अन्य VVIPs को यात्रा की सुविधा दी जाती थी। यह दूसरा सरकारी हेलीकॉप्टर था जो क्रैश हुआ था, इससे पहले ‘मैना’ हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था, जिसमें पायलट और अन्य चार लोग मारे गए थे। सरकार की लापरवाही और अधिकारियों की भ्रष्टाचार की वजह से यह दुर्घटना हुई, जो इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देती है।
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