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छत्तीसगढ़ सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए एक ऐतिहासिक और जनकल्याणकारी फैसला लिया है। अब राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को दुर्घटना के पहले 7 दिनों तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी। इस योजना के तहत 1.5 लाख रूपए तक का निशुल्क इलाज संभव होगा, जिससे इलाज में देरी या आर्थिक समस्या के कारण किसी भी घायल व्यक्ति की जान न जाए।
योजना की प्रमुख बातें
कैशलेस इलाज की अवधि: दुर्घटना के बाद पहले 7 दिन तक। अधिकतम राशि: ₹1.50 लाख तक का उपचार पूर्णतः निशुल्क।
अस्पतालों की संख्या: राज्य के भीतर 134 सरकारी और निजी अस्पतालों में सुविधा उपलब्ध।राज्य के बाहर स्थित 61 अस्पतालों में भी इलाज की व्यवस्था लागू।
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कहां-कहां मिलेगा इलाज?
यह सुविधा उन अस्पतालों में लागू होगी जो स्वास्थ्य विभाग से मान्यता प्राप्त हैं। इसमें शामिल हैं: छत्तीसगढ़ राज्य के सभी प्रमुख मेडिकल कॉलेज और निजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल। दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के बड़े अस्पताल जहां गंभीर घायलों को रेफर किया जाता है।
अन्य राज्यों में भी मिलेगा लाभ
इस योजना की एक विशेष बात यह है कि अगर कोई छत्तीसगढ़ निवासी किसी अन्य राज्य में यात्रा के दौरान सड़क दुर्घटना का शिकार होता है, तब भी उसे इस योजना के तहत इलाज मिलेगा। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर लागू कैशलेस उपचार योजना 2025 के तहत की गई है, जिसकी अधिसूचना 5 मई 2025 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित हुई थी।
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इसलिए है यह योजना अहम
घायल को तात्कालिक इलाज: इलाज में देरी से अक्सर हादसों में जान जाती है। यह योजना गोल्डन ऑवर (पहले 60 मिनट) में इलाज सुनिश्चित करेगी।
आर्थिक बोझ से राहत: गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार इलाज का खर्च नहीं उठा पाते — यह स्कीम सीधी आर्थिक मदद है।
राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती: सरकारी और निजी संस्थानों की भागीदारी से सार्वजनिक-निजी भागीदारी का सफल उदाहरण बनेगा।
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प्रशासन को मिले निर्देश
छत्तीसगढ़ सरकार की लीड एजेंसी ने सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि सड़क दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति को तुरंत निकटतम अधिकृत अस्पताल पहुंचाया जाए। थाने, ट्रैफिक पुलिस और 112 जैसे इमरजेंसी सिस्टम को योजना की जानकारी दी गई है।अस्पतालों को तत्काल कैशलेस प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी दी गई है।
सरकार का उद्देश्य
सरकार की इस पहल का मूल उद्देश्य है किसी भी सड़क दुर्घटना के पीड़ित को समय पर जीवन रक्षक उपचार मिल सके और इलाज के अभाव या आर्थिक संकट के कारण कोई जान न जाए।
यह योजना छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य नीतियों में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे न केवल सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को तत्काल राहत मिलेगी, बल्कि राज्य की मानवता-केंद्रित प्रशासनिक सोच भी सामने आती है।
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